ईरान के कोमा शहर की मस्जिद पर लहराया गया लाल रंग का झंडा

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नई दिल्ली
ईरान के शीर्ष कमांडर जनरल सुलेमानी के मारे जाने के बाद ईरान ने भी अमेरिका को बदला लेने की धमकी दी है। अमेरिका के खिलाफ निकाले गए जुलूस के बाद ईरान में कोम शहर की एक मस्जिद पर लाल झंडा फहराया गया। माना जा रहा है कि ईरान ने भी अमेरिका के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है और यह लाल झंडा बदले और खून का संकेत है।
ईरान ने जनरल की मौत के बाद कहा भी था कि वह अमेरिका से इसका बदला लेगा। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी धमकी दी कि अगर ईरान की तरफ से हमला किया गया तो अमेरिका भीषण हमला करेगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका के पास आधुनिक हथियार हैं जिन्हें ईरान झेल नहीं पाएगा। इससे पहले ट्रंप ने ट्वीट करके कहा था कि अमेरिका ने ईरान में 52 जगहों का चुनाव किया है जहां हमला किया जा सकता है और ईरानी संस्कृति पर प्रहार किया जा सकता है।

ईरान ने जामकरन मस्जिद पर यह लाल झंडा फहराया है जो कि कोम शहर में अपना स्थान रखती है। ईरान के स्टेट टेलिविजन ने इसका टेलिकास्ट भी किया। बताया जाता है कि यह झंडा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक है। करबला में इमाम हुसैने की हत्या के बाद ऐसा ही झंडा फहराया गया था जो कि अभी तक उतारा नहीं गया है। कहा जाता है कि इसे तभी उतारा जाएगा जब इमाम हुसैन की हत्या का बदला ले लिया जाएगा।

सोशल मिडिया पर ईरान के यूजर्स के मुताबिक कहा जा रहा है कि इतिहास में पहली बार यह झंडा फहराया गया है। इस बीच ईरान की सड़कों पर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और बदले की मांग कर रहे हैं। शनिवार को ईरान की सड़कों पर प्रदर्शन हुए और नारे लगाए गए, 'अमेरिका शैतान है।'

अमेरिका के लिए आसान नहीं होगा युद्ध
ईरान से तनाव बढ़ने के बाद अमेरिका ने मध्य-पूर्व इलाके में अतिरिक्त 3000 सैनिकों को भेजने का फैसला किया है। यहां पहले से ही 14 हजार सैनिक तैनात थे। बता दें कि ईरान पहले की तुलना में ज्यादा ताकतवर है और युद्ध जीतना भी अमेरिका के लिए आसान नहीं होगा। इस समय ईरान की आबादी लगभग 8.2 करोड़ है। ईरान की सैना में लगभग 5 लाख 20 हजार सक्रिय सैनिक और ढाई लाख अन्य सैनिक हैं।

रविवार को सुलेमानी का शव बगदाद से ईरान लागा गया। सुलेमानी की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। ट्रंप ने भी 52 ठिकानों पर हमले की धमकी दी है। दरअसल 1979 में अमेरिकी दूतावास से ईरान ने 52 अमेरिकियों को बंदी बना लिया था। इनकों छुड़ाने में अमेरिका को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। 52 की उसी संख्या का जिक्र करते हुए ट्रंप ने इस हमले की बात की।

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