बच्चों में शैक्षिक नेतृत्व क्षमता और वैज्ञानिक सोच विकसित करें – टेकाम
रायपुर
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि बच्चों में शैक्षिक नेतृत्व क्षमता और वैज्ञानिक सोच विकसित की जाए। बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान देना भी जरूरी है। बच्चों को समग्र शिक्षा देने की आवश्यकता है। इससे बच्चों का बौद्धिक विकास होगा।
डॉ. टेकाम आज राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय पहल के एकीकृत शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम निष्ठा के शुभारंभ अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे। छत्तीसगढ़ में निष्ठा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के डेढ़ लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ राज्यगीत से किया गया। यह सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 10 जनवरी तक संचालित होगा। निष्ठा के साथ शिक्षक दक्षता और संवर्धन कार्यक्रम का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे शासकीय विद्यालयों की शिक्षकों की व्यावसायिक दक्षताओं का विकास होगा।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि निष्ठा (स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिए राष्ट्रीय पहल) का प्रशिक्षण कार्यक्रम है। स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के लिए राष्ट्रव्यापी अपने तरह का सबसे बड़ा शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम है। राज्य में इस कार्य के लिए 1500 स्टेट रिसोर्स पर्सन्स और की-रिसोर्स पर्सन्स को राष्ट्रीय स्तर के स्त्रोत विशेषज्ञों द्वारा प्रत्यक्ष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षित स्त्रोत व्यक्ति सीधे शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। यह योजना स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिए राष्ट्रीय पहल है। उन्होंने बताया कि राज्य में निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ राज्य की आवश्यकता आधारित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिक्षकों को दिया जा रहा है, जिसमें राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में चल रही नवाचारी योजनाओं, कार्यक्रमों के संबंध में शिक्षकों को जानकारी प्रदान की जाएगी। प्रशिक्षण अभियान में भाषा, गणित, सामाजिक विज्ञान विषय मुख्य केन्द्र होंगे। प्रशिक्षण के दौरान कठिनाई क्षेत्रों के लिए काउंसिलिंग की व्यवस्था होगी। विद्यार्थियों की परेशानी को समझने के लिए विशेष फोकस ट्रेनिंग दी जाएगी।
डॉ. टेकाम ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य की शिक्षा की गुणवत्ता पर चर्चा करते हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में शिक्षकों, जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, संकुल स्त्रोत समन्वयक सभी का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने एक नवाचारी कार्यक्रम नई सोच नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी की दी है। इसके माध्यम से जागरूकता के लिए स्कूलों में बच्चों को जानकारी दी जाए। स्कूलों में किचन गार्डन और बाड़ी विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए। इससे पर्यावरण में सुधार होगा और बच्चे प्रकृति से जुड़ेंगे। डॉ. टेकाम ने कहा कि व्यक्तिगत और सामाजिक को विकसित करने, स्कूल प्रबंधन, शारीरिक स्वच्छता, स्कूलों में पुस्तकालय, युवा क्लब, इको क्लब पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिसर श्री पी.दयानंद ने कहा कि यह शासन का बड़ा कार्यक्रम है। सभी को मिलकर इसे पूर्ण करना है। राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु प्रतिबद्ध है। हम सभी ऐसा कार्य करें जिसमें बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन आये और आने वाले 4-5 वर्षो में उसके परिणाम दिखाई दें।