राजा भोज की नगरी में दिखे आदिवासी संस्कृति के रंग, 5 दिवसीय मांडू उत्सव का आगाज
इंदौर
राजा भोज की बसाई ऐतिहासिक नगरी (City of Raja Bhoj) और मध्य प्रदेश का प्रमुख पर्यटक स्थल मांडू में 5 दिवसीय मांडू उत्सव (Mandu festival) की शुरुआत हो गई है. ट्राइबल टूरिज्म (Tribal Tourism) को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों के तहत यह फेस्टिवल हो रहा है. शनिवार से शुरू हुए मांडू उत्सव में आदिवासी संस्कृति और सभ्यता (Tribal Culture) के रंग दिखाई दे रहे हैं, जिसका मकसद देश-दुनिया में पश्चिमी निमाड़ की आदिवासी शैली को नई पहचान दिलाना है. उत्सव के पहले दिन ट्राइबल फैशन शो हुआ, जिसमें आदिवासियों की अनोखी डिजाइनों का प्रदर्शन हुआ. इसके अलावा आदिवासी लोक नृत्य प्रतियोगिता, हस्तकला प्रदर्शनी आदि विशेष आकर्षण का केंद्र थे.
रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर की अमर प्रेम गाथा के लिए मांडू को खुशियों का शहर कहा जाता है. शनिवार को यहां पांच दिवसीय मांडू उत्सव की शुरुआत पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल और संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने की. इस दौरान दोनों मंत्री आदिवासी लोकनृत्य पर अपने आपको थिरकने से नहीं रोक पाए. उत्सव के पहले दिन देश के जाने-माने बैंड इंडियन ओशियन ने अपनी प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया. ऐतिहासिक कारवां सराय में लगी आदिवासी कला प्रदर्शनी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी. उत्सव के उद्घाटन के बाद रेवा कुंड पर 108 दीपकों से नर्मदा की संगीतमय महाआरती की गई. इसके लिए 21 पंडितों का दल विशेष रूप से ओंकारेश्वर से बुलाया गया था.
मांडू में नर्मदा नदी बहती नहीं है, लेकिन मांडू को मां नर्मदा का प्राकट्य स्थल माना जाता है. पुराणों में और मां नर्मदा की आरती में मांडू का जिक्र है. इसके साथ ही जब कोई मां नर्मदा की परिक्रमा करता है, तो बिना मांडू के रेवा कुंड आए उसकी परिक्रमा अधूरी मानी जाती है. मां नर्मदा के मांडू में प्रकट होने को लेकर कई मत हैं. किंवदंती है कि ऋषि मार्कंडेय ने इसी स्थान पर मां नर्मदा की तपस्या की थी. इससे प्रसन्न होकर मां नर्मदा रेवा कुंड में प्रकट हुई थीं, तभी से इसे मां नर्मदा का प्राकट्य स्थल माना जाता है. मान्यता है कि गर्मी हो या सूखा पड़ जाए, लेकिन रेवा कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है. कहते हैं कि रानी रूपमती नर्मदा नदी को देखे बिना भोजन ग्रहण नहीं करती थीं. इसलिए राजा बाज बहादुर ने रानी रूपमती की इच्छा का ध्यान रखते हुए रानी रूपमती किले का निर्माण करवाया था.
मांडू उत्सव को देखने के लिए देश-दुनिया के पर्यटक पहुंच रहे हैं. पहले दिन कंबोडिया से 24 राजनयिकों का दल मांडू भ्रमण पर पहुंचा. इस दल पूरे दिन मांडू के इतिहास से जुड़े पुरातन स्मारकों को देखा. वे न केवल यहां के इतिहास और संस्कृति से रूबरू हुए, बल्कि मांडू उत्सव के कार्यक्रमों का भी आनंद उठाया. इस दौरान ट्राइबल फैशन शो के जरिए उन्होंने आदिवासी संस्कृति को भी समझने की कोशिश की. अगले चार दिनों में मीराबाई की जिरात पर पैराग्लाइडिंग, पैरामोटरिंग होगी. वहीं सागर तालाब में वाटर स्पोर्ट्स के आयोजन होंगे. हॉट एयर बलून और साइकिलिंग का लुत्फ भी पर्यटक ले सकेंगे. मालीपुरा, बूढ़ी मांडू में ट्रैकिंग की जाएगी. 29 दिसंबर को प्रेम जोशुआ टीम के साथ प्रस्तुति देंगे. 30 को गायक नवराज हंस की प्रस्तुति होगी तो 31 दिसंबर को अंतरिक्ष म्यूजिकल ग्रुप और 1 जनवरी को कबीर कैफे के नीरज आर्य की प्रस्तुति होगी.