शहडोल में सक्रिय हुए रेत माफिया, रसूख के आगे नहीं हो पा रही कार्यवाही,रेत की काली कमाई में अधिकारी लगा रहे गोता
जोगी एक्सप्रेस
शहडोल,अखिलेश मिश्रा । जिले में इन दिनों एक बार फिर रेत माफिया सक्रिय हो गए है आये दिन सैकड़ो ट्रको की तादात में रेत निकली जा रही है लेकिन विभागीय अमला कार्यवाही से काफी दूर नजर आ रहे है। आलम यह हैवही सूत्रों की माने तो एस आर ग्रुप द्वारा जिले के कोने-कोने से रेत निकाल रहे है लेकिन इस ग्रुप के विरुद्ध कार्यवाही करने की हिम्मत किसी की नहीं पड़ रही है। इससे यह बात तो साफ नजर आ रही है कि कही न कही प्रसाशनिक अमले की मिली भगत है। वही रेत, पत्थर, मुरुम जैसे गौण खनिज ही नहीं कोयला जैसे महत्वपूर्ण एवं राष्ट्रीयकृत खनिज का दोहन भी जिले में जोर-शोर से जारी है। सवाल है कि आखिरकार अवैध खनन का खेल कब तक चलेगा। माफिया पुलिस, प्रशासन से आंख मिचौली खेलते रहते हैं। प्रशासन की सख्ती गरीबो पर तो दिखती है ,पर इन रेत माफियाओ पर गजब की मेहरबानी क्यू बरती जा रही इस पर अब आम लोगो में भी काना फूसी देखि जा सकती है , और कुछ दिनों बाद ही दिन दूनी रात चौगुनी गति से अवैध कारोबार पुन: शुरू हो जाता है। हालांकि खनन माफिया की नजर जिले की हर खनिज संपदा पर है लेकिन रेत के खेत से चांदी काटने का गोरख धंधा पूरे शवाब पर है और विभागीय अमला कुछ भी नहीं कर पा रहा है।वही सूत्रों की माने तो इन रेत माफियाओ के पास अत्याधुनिक हथियारों से लैस गुर्गे मना करने पर मरने मारने पर भी आमादा हो जाते है ,
रेत पर माफियाओ का कब्जा
जिले के जरवाही घाट, डाला घाट, पटासी, दियापीपर में तो रेत का ठेका लेकर माफिया ने पूरी की पूरी सोन नदी पर कब्जा जमा ही लिया है, वन भूमि से भी बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। सोन नदी के किनारे बसे गांवों में खनन माफिया द्वारा बालू का अवैध खनन कर न सिर्फ जिाला मुख्यालय व जिले के विभिन्न स्थानों पर बल्कि संभाग व प्रदेश के बाहर डंके की चोट पर रेत का परिवहन किया जा रहा है। रेत खनन की लीज वाले घाटों में तो रेत माफिया पॉकलेन मशीन से खनन शुरू किये है।यहाँ प्रशासन सख्ती के नाम पर फुस्स हो जाता है , वही माफियाओ की अधिकारियो से ले कर प्यादों तक की सेटिंग इतनी तगड़ी है की आला अधिकारियो के आने से पहले ही मशीन को हटा दिया जाता है। कभी दिन में तो कभी रात में अवैध खनन चलता है। पुलिस-प्रशासन की नाक तले खनन का खेल चलता है, इस वजह से सवाल उठने लाजिमी हैं क्योकि अफसरों के आंखों के सामने खनन होता रहता है और माफियाओं पर कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति अधिक होती है।
माफिया के सामने प्रसाशन बना भीगी बिल्ली
पुलिस और प्रशासनिक अफसरों द्वारा कार्यवाही पर यदि गौर किया जाए तो एक बात ही रह-रह कर सामने आती है वह यह कि पुलिस,और खनिज विभाग का मैदानी अमला सिर्फ ट्रैक्टर ट्राली में रेत का परिवहन करने वाल छुटभैया व्यापरियों के लिये ही शेर बना रहता है, खनिज माफिया का नाम आते ही ढेर हो जाता है। दिन-रात हाइवे पर दौड़ रहे उन हाइवा वाहनों पर कार्यवाही करने के नाम पर ही सांप सूंघ जाता है जो रीवा, इलाहाबाद और लखनऊ तक रेत लेकर जाते हैं।और जगह जगह चढ़ावा भी चढाते जाते है ,सूत्रों की माने तो इस खेल में जिले के कई आला अधिकारी भी रेत की कमाई में गोता लगाते है !
रास्ता रोके कौन
रेत खनन के बाद उसके परिवहन के लिए खनन माफिया ने पटासी घाट में अवैधानिक तरीके से जेसीबी लगाकर रास्ते का निर्माण किया था जिसे गतवर्ष पुलिस द्वारा जेसीबी लगाकर बंद करा दिया गया लेकिन माफिया ने पुन: प्रशासन द्वारा बंद किये गए मार्ग को खोल लिया गया और अब धड़ल्ले से रेत का परिवहन हो रहा है क्योंकि प्रशासन ने एक बार की कार्यवाही के बाद से अब अपना मुंह ही फेर लिया है ,मनो अब वहा किसी भी तरह की कोई भी गड़बड़ी नहीं होगी
जानकारों की माने तो सब को एक्स्ट्रा रकम बिना हाथ पाँव चलाये ही मिल जा रही तो कौन इन माफियाओ से पंगा ले