19 साल के अपने इतिहास में 6 मुख्यमंत्री देख चुका है झारखंड राज्य
रांची
झारखंड में अब तक जितने भी विधानसभा चुनाव हुए, उसमें मौजूदा मुख्यमंत्रियों को अपनी सीट गंवानी पड़ी है। यही वजह है कि 19 साल में यह राज्य अब तक छह मुख्यममंत्री देख चुका है। जमशेदपुर पूर्व सीट से बीजेपी के बागी नेता सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुबर दास पर जिस तरह से बढ़त बनाई है, उससे एक बार फिर यह मिथक सच होता दिख रहा है।
5 साल का कार्यकाल पूरा कर रचा था इतिहास
सवाल उठ रहा कि क्या रघुबर दास राज्य में मुख्यमंत्रियों की अपनी सीट गंवाने का मिथक तोड़ पाएंगे या फिर वह भी इस मिथक का हिस्सा बन जाएंगे। हालांकि पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री के तौर पर रघुबर दास इतिहास जरूर रच चुके हैं।
शिबू, मुंडा, कोड़ा…हारे सभी बारी-बारी
वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2000 में झारखंड बना था। तब बीजेपी ने राज्य की पहली सरकार बनाई थी और बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन अगले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद मुख्यमंत्री बने अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, और हेमंत सोरेन भी बाद में अपनी सीट बचाने में सफल नहीं हुए। हालांकि हेमंत सोरेन 2014 के विधानसभा चुनाव में दुमका में हार के बावजूद बरहेट सीट बचा ले गए थे। लेकिन सीएम पद पर उनकी वापसी नहीं हुई थी।
जब 'गुरुजी' को छोड़नी पड़ी थी सीएम कुर्सी
झारखंड 19 साल में छह मुख्यमंत्री देख चुका है। 28 अगस्त 2008 को मधु कोड़ा ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन ने सीएम की कुर्सी संभाली। उस वक्त वह विधायक नहीं थे लिहाजा उन्हें 6 महीने के अंदर चुनाव लड़कर एमएलए बनना जरूरी था। तमाड़ सीट के उपचुनाव में तत्कालीन सीएम शिबू को झारखंड पार्टी के राजा पीटर ने करीब 9 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। हार के बाद सोरेन को पद छोड़ना पड़ा।
2014 में मरांडी, मधु कोड़ा और अर्जुन मुंडा हारे
2014 विधानसभा चुनाव की बात करें तो राज्य के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी धनवार और गिरिडीह दो सीटों से चुनाव लड़े लेकिन दोनों जगह उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी चुनाव में पूर्व सीएम मधु कोड़ा भी चाइबासा की मझगांव सीट से जेवीएम प्रत्याशी से हार गए। झारखंड के तीन बार सीएम रह चुके बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा भी 2014 में जेवीएम प्रत्याशी से खरसावां सीट पर हार गए थे।