बस संचालक को मिला भाजपा का अभयदान:बस मालिक पर शहडोल RTO हुए मेहरबान
जोगी एक्सप्रेस
शहडोल [अखिलेश मिश्रा ]बीते दिनों नगर के राजीव गांधी बस अड्डे से पक्षीराज बस सर्विस की बस क्रमांक mp18p8799 व mp51p2125 शहडोल से नागपुर व नागपुर से शहडोल के लिए एक दिन के अंतराल में जाने के लिए रूपचंद मंगलानी (बस संचालक)के द्वारा भव्य शुभारम्भ कराया गया,जिसमे भाजपा के जैतपुर विधानसभा के विधायक जय सिंह मरावी,जयसिंहनगर विधायिका प्रमिला सिंह,नव निर्वाचित नाप अध्यक्ष उर्मिला कटारे,भाजपा पूर्व जिला जिलाध्यक्ष मार्तण्ड त्रिपाठी ,अनिल गुप्ता,नव निर्वाचित नपा अध्यक्ष कैलाश विसनानी के साथ ही भाजपा के अन्य नेता उपस्थित थे जबकि उक्त बस का परिवहन विभाग से टूरिस्ट का परमिट लिया गया है, वही दोनों ही बसों का कांटेक्ट कैरिज का परमिट लिया गया है। वही यह बसें नियमित रूप से स्टेज कैरिज के रूप मे फुटकर सवारियां बसों में भर रहे है जो मोटर वीकल अधिनियम की धारा 88(8)का खुले तौर पर उल्लंधन किया जा रहा है।इतना ही नही इस अवैध कार्य मे बस संचालक की मदद भाजपा के सत्ताधारी नेता कर रहे है।क्या इस तरह के शुभारम्भ कार्यक्रमों में नियम कानून को ताक पर रख कर प्रभावशाली लोग आम आदमी की जिन्दगी से खिलवाड़ करने के दोसी नहीं है,क्या आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं,शासन प्रशासन की चुप्पी से अब प्रतीत होने लगा है की अब सत्ता में बैठी सरकार जब चाहे कानून की धज्जी उड़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है , वही शहडोल RTO कार्यलय की भूमिका शुरू से ही संदेह के घेरे में रहती है ,सूत्रों की माने तो साहब पर सत्ता और महाना मिलने वाले मोटे लिफाफे से मतलब है ,यात्रियों के जान से कोई लेना देना नहीं !
यह कहता है नियम…
1, व्हीकल एक्ट की माने तो इस परमिट से आच्छादित वाहन किसी भी दशा में पंजीयन तिथि से 8 वर्ष से अधिक पुराना नहीं होगा और 8 वर्ष की अवधि पूर्ण होते ही परमिट स्वतः अवैध माना जायगा जब तक की परमिट पर उच्च मॉडल का वाहन प्रतिस्थापित नहीं कर दिया जाता प्रतिस्थापना हेतु प्रस्तावित तिथि को पंजीयन तिथि से 2 वर्ष से अधिक पुराना नहीं होगा।
2, परमिट में दर्शाए गए अन्य रास्तों के लिए अधिकार पत्र हेतु आवेदन पत्र प्रपत्र 46 मैं प्रस्तुत किया जाएगा तथा अधिकार पत्र की वैधता 1 वर्ष से अधिक नहीं होगी
3, इस परमिट के अंतर्गत ऐसे किसी भी राज्य में वाहन संचालन का अधिकार नहीं होगा जिसका उल्लेख नियम 83 के अंतर्गत जारी अधिकार पत्र में ना किया गया हो तथा अधिकार पत्र में दर्शाए गए प्रत्येक राज्य के लिए वे करो एवं फिश का भुगतान करना अनिवार्य होगा