नागरिकता कानून के बहाने कश्मीर में हिंसा की साजिश रच रहे कट्टरपंथी, पाकिस्तान से भी हो रही है कोशिश
नई दिल्ली
नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध की आड़ में जम्मू-कश्मीर में भी बड़ी हिंसा की साजिश रची जा रही है। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद घाटी में अस्थिरता फैलाने में असफल रहे कट्टरपंथी तत्व नए मौके की तलाश में है। सीमा पार से भी स्थिति को भड़काने की कोशिश हो रही है। एजेंसियों के मुताबिक, कट्टरपंथी तत्वों द्वारा लोगों को बरगलाने के लिए परचे बांटे जा रहे हैं। मस्जिदों, मदरसों के जरिए आम लोगों को बताया जा रहा है कि अनुच्छेद-370 और अब नागरिकता कानून के जरिए सरकार डेमोग्राफी में बदलाव की कोशिश कर रही है।
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान की शह पर कश्मीर में साजिश के कई सबूत भी हाथ लगे हैं। इसके आधार पर सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना किया गया है। एजेंसियों को इस बात की भी जानकारी मिली है कि नागरिकता कानून की आड़ में आईएसआई नेपाल और बांग्लादेश के जरिए भारत में स्थिति अशांत करने के ब्लू प्रिंट पर काम कर रही है। इसके पहले अनुच्छेद-370 समाप्त करने के फैसले के बाद भी इन देशों में मौजूद पाक दूतावासों के जरिए आईएसआई ने भारत विरोधी गतिविधियों को उकसाने का प्रयास किया था।
इसकी जानकारी संबंधित देशों से भी साझा की गई थी। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर चौकसी और कश्मीर के अंदर पुख्ता सुरक्षा इंतजामों से अपनी योजनाओं में फेल रही पाक एजेंसियां कश्मीर में कट्टरपंथी तत्वों को उकसाने के अलावा अन्य सीमाओं के जरिए अपनी गतिविधि तेज करना चाहती हैं। आईएसआई को लग रहा है कि नागरिकता कानून बांग्लादेश के जरिए भारत विरोधी गतिविधि का बड़ा हथियार बन सकता है।
एजेंसियों ने आगाह किया
भारतीय एजेंसियों ने बांग्लादेश की एजेंसियों को पाकिस्तानी योजना से आगाह कर दिया है। आईबी की सूचनाओं को वहां समकक्ष एजेंसियों से साझा किया गया है। भारत ने बांग्लादेश को कूटनीतिक स्तर पर साधकर यह भरोसा दिया है कि नागरिकता कानून से किसी को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। बांग्लादेश ने भी अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधि के लिए नहीं होने देने का भरोसा दिया है।