2600 टन मिला यूरिया, 2000 टन निजी दुकानदारों को देने की तैयारी
हरपालपुर
हाल ही में कृषि विभाग के सूत्रों ने बताया था कि इस साल पर्याप्त खाद मिला है इसलिए खाद का संकट नहीं होगा लेकिन जैसे ही बारिश हुई वैसे ही किसान खाद के लिए उमड़ पड़े। चूंकि यूरिया का छिड़काव नमी में किया जाता है इसलिए बारिश होते ही किसानों ने यूरिया की मांग शुरू कर दी मगर जो यूरिया गोदामों और समिति में रखा था वह खत्म हो गया और अब यूरिया के लिए मारामारी शुरू हुई है। उधर नियमों को तिलांजलि देकर निजी दुकानदारों को 80 फीसदी यूरिया भेजने की तैयारी की गई है जबकि खाद की किल्लत न हो इसे ध्यान में रखकर कमलनाथ सरकार ने 80 फीसदी सहकारी समितियों और 20 फीसदी निजी दुकानदारों को यूरिया उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। सूत्र बताते हैं कि 60-40 के अनुपात में यूरिया को उपलब्ध कराया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक रविवार को रैक प्वाइंट पर 2600 टन यूरिया उपलब्ध हुआ है जिसमें से सिर्फ 600 टन समितियों और मार्कफेड गोदामों को भेजा जाना है। शेष दो हजार टन यूरिया सीधे व्यापारियों तक पहुंचाया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि रैक प्वाइंट से ही 300 रूपए प्रति बोरी के हिसाब से व्यापारियों को भेजने की तैयारी कर ली गई है। यही वजह है कि किसान निजी दुकानदारों से यूरिया महंगे दामों में खरीदने को मजबूर है। उधर जानकारी में यह भी मिला है कि मार्कफेड के गोदाम में सिर्फ 40 टन यूरिया शेष है। यदि बारिश न होती तो लोग अपने जलस्त्रोतों से फसल की सिंचाई करते और यूरिया की अचानक कमी न पड़ती।
धीरे-धीरे यूरिया मांगी जाती मगर बारिश होते ही इसकी मांग बढ़ गई है। वहीं समिति प्रबंधकों का कहना है कि उनके पास यूरिया नहीं आई जैसे ही आएगी वैसे ही उपलब्ध कराया जाएगा। रानीपुरा समिति प्रबंधक बलवान सिंह ने बताया कि आज ही एक ट्रक यूरिया मिली है दो दिन पहले यूरिया खत्म हो गई थी। वहीं भदर्रा समिति प्रबंधक रामस्वरूप राजपूत ने बताया कि उनके यहां तीन दिन से यूरिया नहीं है। एक-दो दिन में आने की उम्मीद है। विपणन संघ के गोदाम प्रभारी महेश राजपूत ने बताया कि गोदाम में 40 टन यूरिया है। यहां से किसानों को यूरिया दिया जाता है। कुछ यूरिया समितियों को भिजवाया जाना है।
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जहां 20733 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया गया था तो वहीं इस वर्ष विभाग ने किसानों के लिए 31500 मीट्रिक टन यूरिया का मांग पत्र सरकार को भेजा है जिसके विरूद्ध 20834 मीट्रिक टन खाद प्राप्त हो चुका है और इसमें से 17814 मीट्रिक टन खाद का वितरण भी किसानों को किया जा चुका है। किसानों के लिए अब भी 3020 मीट्रिक टन यूरिया स्टॉक में रखा हुआ है। जिले के 113 सोसायटी और लगभग 150 निजी स्थानों से खाद की बिक्री कराई जा रही है।
प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने खाद बिक्री के लिए इस बार नीति में परिवर्तन किया है। पहले जहां 60 प्रतिशत सरकारी क्षेत्र एवं 40 प्रतिशत निजी क्षेत्रों से खाद की बिक्री होती थी तो वहीं इस बार 80 प्रतिशत शासकीय एवं 20 फीसदी प्राइवेट क्षेत्र से खाद की बिक्री किए जाने का प्रावधान रखा है मगर कृषि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से 80-20 के अनुपात को कहीं पीछे छोड़ दिया गया है। चूंकि निजी दुकानदारों को यूरिया उपलब्ध कराने से अधिकारियों को खासी कमाई हो जाती है इसलिए रविवार को आई 2600 टन यूरिया में से 2000 टन यूरिया निजी क्षेत्र को सौंपने की योजना बनाई गई है। यूरिया का सेम्पल लेने कृषि विभाग से कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा जबकि नियम के मुताबिक बिना सेम्पल लिए यूरिया को समितियों तक नहीं भेजा जाता।
फसलों की बढ़ोत्तरी के लिए किसानों द्वारा यूरिया का छिड़काव किया जाता है। लगभग 10 दिन पहले हरपालपुर रेल्वे स्टेशन पर आईपीएल कंपनी की बड़े दाने वाली यूरिया की रैक उतारी गई थी। जिले को मिली दो हजार टन यूरिया में से 6 ट्रक यूरिया को सागर भेजा गया है।