अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि ने क्या उपलब्धियां हासिल की बताएगी कमेटी, भविष्य इस पर निर्भर
भोपाल
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय वर्तमान में शासन के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। हिंदी विवि अपने उद्देश्यों से भटक गया है। विवि ने क्या उपलब्धियां हासिल की हैं और उसकी पुर्नसंरचना कैसे हो सकती है। इसे लेकर एक कमेटी गठित की है। कमेटी की रिपोर्ट हिंदी विवि का भविष्य तय करेगा। पूर्व सीएस आर परशुराम को कमेटी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
अटल बिहारी विवि में गिनती के छात्रों का प्रवेशित हैं। विवि के कुल खर्च का दो फीसदी भी विद्यार्थियों की फीस से वूसल नहीं हो पा रहा है। क्योंकि विवि अपने उद्देश्यों से भटक गया है। बड़ी धूमधाम से पिछली सरकार ने हिंदी विवि की स्थापना की थी, लेकिन दो कुलपतियों ने एक-एक कर सैकड़ों की संख्या में कोर्स बंद कर विभागों में ताले लगा दिए। जिन उद्देश्यों से हिंदी विवि की स्थापना की गई थी। उससे वह भटक गया है। इसके चलते शासन ने उसके उद्देश्य, उपलब्धियों और पुर्नसंरचना के लिए छह सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसमें पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके साथ रीवा विवि कुलपति पियूष अग्रवाल, जबलपुर विवि के पूर्व कुलपति राम राजेश मिश्र, पूर्व कुलपति बीयू निशा दुबे, संस्कृत विवि उज्जैन के रजिस्ट्रार एलएस सोलंकी को शामिल किया है। कमेटी 15 दिनों में अपनी समीक्षा रिपोर्ट तैयार कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद शासन तय करेगा कि हिंदी विवि पुर्नसंरचना के साथ संचालित किया जाएगा या बंद करना उचित होगा।
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में हिंदी में इंजीनियरिंग कराना शुरू कर चुका है। वहीं हिंदी विवि को हिंदी में इंजीरियरिंग के साथ मेडिकल के कोर्स बनाकर संचालित करना था जो वह नहीं कर सका है। जबकि लगातार कोर्स बंद होते आए हैं। राज्यपाल लालजी टंडन ने हिंदी विवि के बिगड़े स्टेक्चर पर दुख भी व्यक्त कर चुके हैं।