अब दस्तावेजों की वजह से नहीं अटकेगी प्रदेश में बिल्डिंग परमिशन
भोपाल
मप्र में अब मकान, दुकान बनाने के लिए नगर निगम-नगर पालिका के चक्कर नहीं लगाना होंगे। अधिकारी जरूरी दस्तावेजों की लंबी फेहरिस्त दिखा कर अनुमति की फाइल नहीं अटका सकेंगे। राज्य सरकार ने निर्माण की अनुमति की प्रक्रिया को काफी आसान बनाने जा रही है। अब ऑनलाइन आवेदन के साथ केवल पांच दस्तावेज उपलब्ध कराना होंगे। पहले 16 दस्तावेज अनिवार्य थे। सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत यह कदम उठाया है। इसका फायदा भोपाल समेत प्रदेश के 378 नगरीय निकायों में रहने वाले लोगों को मिल सकेगा।
प्रदेश के सभी निकायों में ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन एप्रूवल सिस्टम (एबीपीएएस) लागू किया जा चुका है। इस सिस्टम का पूरा फायदा आवेदकों को नहीं मिल पा रहा है। आर्किटेट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करने और जरूरी दस्तावेज लगाने के बाद भी बिल्डिंग परमिशन शाखा के इंजीनियर, ड्राट्समैन या कर्मचारी अनुमति उलझा देते हैं। कभी वार्ड की एनओसी न होने की बात कहते हैं तो कभी नजूल की एनओसी मांगते हैं। ऐसी शिकायतें भी सामने आती रही हैं कि सारे दस्तावेज लगाने के बाद भी कई महीने तक निर्माण की अनुमति जारी नहीं की गई। इस परेशानी से लोगों को बचाने के लिए बिल्डिंग परमिशन की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। एबीपीएएस के हाल में आए अपडेट सॉफ्टवेयर में जरूरी दस्तावेजों की संख्या 16 से घटा कर पांच कर दी गई है।
भोपाल में ही हर साल 4 हजार आवेदन
राजधानी में बिल्डिंग परमिशन के हर साल औसतन चार हजार आवेदन आते हैं। इसमें करीब 75 फीसदी 2400 वर्गफीट से छोटे प्लॉट पर निर्माण के होते हैं। इस तरह प्रदेश के अन्य बड़े शहरों इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन वगैरह का आंकड़ा जोड़ लिया जाए तो यह 15 हजार के पार पहुंच जाता है।
अवैध निर्माण को वैध करने नियम
इसके अलावा अनुमति से ज्यादा व अवैध निर्माणों को वैध करने के नियम भी सरकार ने हाल में सरल कर दिए हैं। अब केवल एक डिलेरेशन (घोषणा पत्र) देकर परमिशन के अलावा किया गया दस फीसदी तक का निर्माण वैध करा सकेंगे। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। फीस भी ऑनलाइन जमा होगी। साथ ही बिना अनुमति बनाए मकानों की परमिशन भी मिल सकेगी। इसमें अन्य कोई अनियमिताएं नहीं पाए जाने पर निर्धारित शुल्क लेकर स्वीकृति दी जाएगी।
पहले देना पड़ते थे यह दस्तावेज
- प्रस्तावित विकास कार्य का एस्टीमेट
- रजिस्ट्री सेल डीड या लीज डीड की नोटरी एडवोकेट से अटेस्टेड कॉपी
- की प्लान
- साइट प्लान
- प्लॉट पर खड़े होकर आवेदक की दो फोटो
- शपथ पत्र
- वार्ड की एनओसी
- प्रॉपर्टी टैस की रसीद
- नगर तथा ग्राम निवेष संचालनालय से मंजूर ले आउट
- कंसलटेंट का सुपरविजन सर्टिफिकेट
- कंसोलिडेटेडई एफिडेविट
- लेआउट प्लान
- प्लॉट के मालिकाना हक या कानूनी अधिकार का सबूत
- एप्लीकेशन 14 का रूल फॉर्मेट
- सुपरविजन 16 का रूल फॉर्मेट
- अपॉइंटमेंट लेटर
अब देना होंगे यह दस्तावेज
- प्लॉट के मालिकाना हक के लिए सेल डीड, लीज डीड या किसी अन्य दस्तावेजी
- सबूत की खुद से सत्यापित कॉपी
- की व साइट प्लान
- निर्माण का स्पेसिफिकेशन
- सुपरविजन का फॉर्म
- ई एफिडेविट