बीटेक कर रही भारतीय लड़की को गूगल ने चुना तकनीकी सलाहकार
राघौगढ़
गूगल दुनिया की पांच सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. यहां काम पाना अपने आप में बताता है कि नौकरी पाने वाला काबिल है. गूगल ने हाल ही में राघौगढ़ (मध्य प्रदेश) के जेपी इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट अपर्णा दुबे को नौकरी का ऑफर दिया है. अपर्णा दुबे फिलहाल वहां से बीटेक (कंप्यूटर साइंस) की पढ़ाई कर रही हैं. अपर्णा गुना से हैं, उन्होंने स्कूल की पढ़ाई शहर के कॉन्वेंट से की है.
जेपी इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी, राघौगढ़ में कैंपस सिलेक्शन के दौरान अपर्णा को गूगल ने यह ऑफर दिया. उन्हें यह ऑफर लिखित परीक्षा और चार राउंड के इंटरव्यू पास करने के बाद मिला.
पूरे मध्यप्रदेश से गूगल ने दो लोगों को चुना, लेकिन गूगल का ऑफर पाने वाली वह यूनिवर्सिटी की एकमात्र छात्रा हैं. गुना की सीताराम कालोनी के नरेंद्र दुबे और वंदना दुबे की बेटी अपर्णा को तकनीकी सलाहकार के तौर पर चुना गया है.
गूगल जैसी प्रतिष्ठित जगह काम करने वाले इंप्लॉइज को कंपनी जो सुविधाएं देती हैं, उनकी चर्चा सारी दुनिया में होती है. अमेरिका में Google कर्मचारियों को डेथ बेनेफिट मिलता है, जो इस बात की गारंटी देता है कि कर्मचारी के जीवित पति या पत्नी को अगले दशक तक हर साल उनके वेतन का 50% राशि मिलेगी.
दुनिया में सबसे बड़ी जॉब गूगल के सीईओ की मानी जाती है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई भारतीय मूल के हैं वे भारत में जन्में थे. सुंदर पिचई तमिलनाडु के मदुराई में पैदा हुए थे. उनके पिता इलैक्ट्रिक इंजीनियर थे जबकि मां स्टेनोग्राफर. सुंदर की शुरुआती पढ़ाई लिखाई चेन्नई में हुई. उनका परिवार वहीं रहता था. इसके बाद उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियर में डिग्री ली. फिर वो अमेरिका चले गए. अब सुंदर गूगल के सीईओ हैं. उन्होंने कई साल पहले भारतीय नागरिकता छोड़कर अमेरिकी नागरिकता ले ली है.
बता दें कि गूगल को लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में Ph.D. के दौरान बनाया था. उन्होंने 4 सितंबर 1998 को इसे उन्होंने कंपनी का रूप दिया. गूगल का नाम शुरुआत में 'Backrub' रखा था. Google नाम एक मैथमेटिकल टर्म 'googol' से लिया गया है. जिसमें एक के आगे सौ शून्य लगे होते हैं.
गूगल की सही स्पेलिंग Google है. लेकिन अगरwww.gooogle.com, www.gogle.com और www.googlr.com भी टाइप करते हैं तो भी गूगल ही खुलता है, क्योंकि गूगल इसे भी ऑन करता है.
गूगल के हेडक्वाटर में कई बार बकरियों को चरते देखा गया है. गूगल कंपनी समय-समय पर अपने लॉन में बकरियों को चरने की छूट हरियाली के लिए अपनी पहल के तहत देती है. कंपनी का ये भी मानना है कि बकरियों को खिड़की के बाहर देखने का नजारा सुकून देने वाला होता है.