December 18, 2025

मस्जिद के नीचे इस्लामिक ढांचा नहीं मिला, जानें किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अपना आदेश

0
sc-5.jpg

 नई दिल्ली 
उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसले में एक सदी से अधिक पुराने मामले का पटाक्षेप करते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और साथ में व्यवस्था दी कि पवित्र नगरी में मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए।

न्यायालय ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन अब केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगी, जो इसे सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट को सौंपेंगे। पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसला दिया और कहा कि हिन्दुओं का यह विश्वास निर्विवाद है कि संबंधित स्थल पर ही भगवान राम का जन्म हुआ था तथा वह प्रतीकात्मक रूप से भूमि के मालिक हैं।

मस्जिद के नीचे इस्लामिक ढांचा नहीं मिला
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट से साफ है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। खुदाई में मस्जिद के नीचे विशाल संरचनाएं मिलीं हैं, उनमें जो कलाकृतियां पाई गईं उससे पता चलता है कि वह इस्लामिक ढांचा नही था।

मुस्लिम पक्ष सबूत पेश नहीं कर पाया
मुस्लिम पक्ष ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया जिससे संकेत मिले कि 1857 से पहले मस्जिद पूरी तरह उनके कब्जे में थी।  वहीं, हिंदू पक्ष यह साबित करने में कामयाब रहा कि बाहरी चबूतरे पर लगातार हिंदुओं का कब्जा था और वे वहां पूजा किया करते थे। 1857 से पहले भी हिंदू यहां पूजा किया करते थे। 

जमीन बंटवारे का फैसला तार्किक नहीं
अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को अतार्किक माना और कहा 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन हिस्सों बांटना सही नहीं था। यह कोई बंटवारे का मुकदमा नहीं था। उच्च न्यायालय ने जमीन का बराबर-बराबर हिस्सों में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था। 

जन्मस्थान के दावे का विरोध नहीं
अयोध्या में राम के जन्मस्थान के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया। हिंदू मुख्य गुंबद को ही राम जन्म स्थान मनाते हैं। ऐतिहासिक ग्रंथों के विवरण से चबूतरा, सीता रसोई, भंडारे से भी हिंदू पक्ष के दावे की पुष्टि होती है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण का जिक्र किया गया था।

मस्जिद कब बनी फर्क नहीं पड़ता
शिया बनाम सुन्नी केस में शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज करते हुए अदालतने कहा कि मस्जिद कब बनी, इससे फर्क नहीं पड़ता। 22 दिसंबर  1949 की रात मस्जिद में मूर्ति रखी गई। एक व्यक्ति की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने। नमाज पढ़ने की जगह को हम मस्जिद मानने से मना नहीं कर सकते। जज ने कहा कि जगह सरकारी जमीन है। 

आस्था पर किसी तरह का कोई विवाद नहीं
संविधान पीठ ने साफ किया हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। हालांकि, मालिकाना हक को धर्म-आस्था के आधार पर स्थापित नहीं किया जा सकता। ये किसी विवाद पर निर्णय करने के संकेत जरूर हो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *