सेंटिंग करने में माहिर हो गया टोपीबाज कबाड़ी,अब स्कॉर्पियो से तय करता कबाड़ का लम्बा सफर
जोगी एक्सप्रेस
जमिलुर्रह्मान
शहडोल। धनपुरी भर में चल रहे अवैध कारोबारो पर लगा प्रतिबंध फिर शुरू हो गया है पुलिसिया व्यवस्था से यह आम लोगों द्वारा सवाल किया जाने लगा है कि हो रहे अवैध कारोबार पर आखिर प्रतिबंध कब लग सकेगा, ज्ञात हो कि एक वर्ष पूर्व पूरे जिले में अवैध कारोबार करने वालो की तूती बोलती रही है। पुलिस के चारागाह बने इन अवैध कारोबारियों पर नकेल कसने के पुलिस अधीक्षक ने पदभार संभालते ही हर जतन कर लिये थे, उनके सख्ती को देखकर अवैध कारोबार करने वाले भूमिगत हो गये थे, यहाँ तक की कई कबाड़ व्यवसाईयों का एकत्रित किया गया करोड़ो का माल सड़ गया है लेकिन किसका दबाव पुलिस पर पड़ गया कि हर गली मोहल्ले में कबाड़ के नाम पर दुकाने धड़ाधड़ खुल रही है इन दुकानो में अच्छी-अच्छी वस्तुएं खपाई जा रही है, लेकिन पुलिस पर नजर नही पड़ रही है, पुलिस की निश्क्रियता कहे या काम का बोझ बढना माने इनके कारोबारो पर नजर न रखने के कारण इनके हौसले इतने बुलंद हो गये है कि चल रहा इनका गिरोह फिर सक्रिय हो गया है आम लोगों की बात को छोड़ दिया जाय तो पुलिस के बाहन ही सुरक्षित नही रह गये है। ज्ञात हो कि धनपुरी में कबाड़ व्यवसायियों का कारोबार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस ओर प्रशासन की नजर नहीं पहुंच रही है। गत वर्ष धनपुरी थाने की कमान संभालने वाले नगर निरीक्षक व पुलिस अधीक्षक ने सयुक्त अभियान चलाकर कबाड़ व्यवसाईयों पर नकेल लगाई थी लेकिन यह नकेल ज्यादा दिनो तक टिक नही सकी व्यवसाईयों ने अपने मुनाफे के कारोबार को अंजाम देने लगे है, लेकिन फिर उसके बाद कोई कार्यवाही नहीं हुई, जिसके चलते इन दिनो फिर धनपुरी भर में कबाड़ व्यवसायियों का गोरख धंधा जोर पकड़ लिया है। नगरीय क्षेत्र में आधा दर्जन सें अधिक स्थानों पर कबाड़ व्यवसायियों ने डेरा जमाया है, यहां जमा सामग्रियों को ओर नजर दौड़ाई जाए तो कबाड़ के रूप में जमा बेश कीमती सामग्रियां साफ दिखाई पड़ जाती है। सबसे ज्यादा एसईसीएल के कीमती पार्ट्स और तांबे की केबल बिजली के तार व खंभे व जाली देखने को मिल रहे है। उल्लेखनीय है कि धनपुरी के टोपिबाज की सेटिंग से कबाड़ दुकान संचालित है, लेकिन प्रशासन द्वारा कभी इस दूकान की जांच नहीं की जाती, जिसके चलते क्षेत्र में हो रही चोरी की घटनाएं यू ही दफन हो जाती है, यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में छुटपुट चोरी की घटनाओं का खुलासा नहीं हो पाता है। लगातार कई वर्षों से कबाड़ व्यवसायियों पर प्रशासनिक कार्यवाही का शिकंजा नहीं कसा गया, जिसके चलते कबाड़ व्यवसाई के हौसले दिनों-दिन बुंलद होते जा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार धनपुरी में आने वाली कबाड़ की खेप सर्वाधिक बंगवार, अमलाई, धनपुरी ओसीएम सहित आसपास के खदानों से आ रही है, ऐसा नहीं कि कबाड़ से लदे वाहनों की खेप पुलिसकर्मियों की नजर से ओझिल है, लेकिन इन वाहनों की ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया जाता। वैसे तो पुलिस कार्यवाही के नाम पर मोटर साइकिल चालकों को भी अपना असर दिखाती है पर सचमुच पुलिस को जिस जगह पर असर दिखाने की जरूरत है, वहां पुलिस की कार्यवाही होते नहीं देखी जा रही है। नगरीय क्षेत्र की बात करें तो यहां टोपिबाज कबाड़ व्यवसाई की दुकान संचालित है। हर दिन 2 से 3 ट्रक कबाड़ जावक आसानी से देखी जा सकती है। धनपुरी के आजाद चौक के सामने से खुले आम सर्वाधिक कबाड़ बाहर भेजा जा रहा है। इसके अलावा स्टेडियम के आस पास कबाडियों की गाडियों का रेला सारी रात गस्ती कर कबाड़ चोरो की हिफाजत करता है। टोपिबाज द्वारा यह धंधा डंके की चोट पर किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कबाड़ी के यहां पुलिस के कुछ सुरक्षाकर्मी चक्कर लगाते तो हमेशा देखे जाते हैं, लेकिन इनके द्वारा कभी कोई खुलासा करने का प्रयास नहीं किया गया।
अनुभवी हो गया है अब टोपिबाज कबाड़ी
धनपुरी में छुटपुट चोरियों के अलावा बिजली तार व बाउंड्रीवॉल के जाली चोरी होने की घटनाएं अक्सर आती रही है, इसके अलावा शासकीय भवनों के खस्ता हाल होने पर उपयोग में न आने के चलते विभागीय अमला जहां इस ओर पूरी तरह नजरअंदाज करता देखा जा रहा है। जिसके चलते चोरी की गतिविधियों में संलिप्ति लोग इन भवनों की खिड़की जाली रातोरात पार कर कबाडियों के यहां औनेे-पौने दामों में बेच दे रहे है। चार नंबर अमरकंटक रोड पर संचालित कबाड़ दुकान में इसका जीता जागता उदाहरण देखा गया है। जहां कालरी की महंगी मोटरे तांबे व बिजली तार, सर्विस लाइन के तार, पोल सहित जाली, चौखट का भारी मात्रा में कबाडियों द्वारा दुसरे ठीहे में रखवाया जाता है सूत्रों की माने तो रात होते ही टोपिबाज सफेद कलर की स्कॉर्पियो में ज्यादा सक्रीय हो कर कालरी के महंगे उपकरणों पर हाँथ साफ करता है।
साहब के लिफाफे का बढ़ा रहा वजन टोपिबाज
कबाड़ का व्यवसाय इन दिनो इतना फल फूल रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कारोबार किया जाने लगा है इनके नाम पर निर्माण एंजेसिंयो फैक्ट्रीयों किसानो के कृषि उपकरण गायब किये जा रहे है कबाड़ व्यवसाई दिन भर ठेला साईकिलों के माध्यम से गांव शहर की गलियों में घूम-घूम कर रखी गई सामग्री की टोह ले लेते है फिर रात के अधेरे में उसे पार कर इन कबाड़ व्यवसाईयों के हवाले कर देते है जो रातो रात अच्छी सी अच्छी सामग्री को कबाड़ में तब्दील कर रातो रात धनपुरी के बाहर भेज दिया जाता है। वही सूत्रों की माने तो नए साहब की मेहरबानी से पप्पू की इस समय चांदी कट रही है, लिफाफे का वजन बढ़ा कर साहब का दिल जितने वाला कल का टपोरी आज मशहूर टोपिबाज बन गया है।
एसईसीएल की सामग्री पर नजर
थोड़ी सी मेहनत के बाद बड़ी कमाई करने के फेर में कबाड़ व्यवसाईयों की नजर एसईसीएल की सामग्रियों पर लगी रहती है। शाम ढलते ही चोर एसईसीएल परिसर में प्रवेश कर रखी गई सामग्री पार कर देने की फिराक में रहते है। वहीं काम करने जाने वाले कुछ श्रमिक भी पीतल तांबा की बस्तुओं को पार कर परिसर के आस पास खुली कबाड़ की दुकानो में बेचकर मुनाफा कमा लेते है। यहीं हाल बंगवार एवं धनपुरी ओसीएम, अमलाई ओसीएम के क्षेत्रो में बनी हुई है खासकर धनपुरी यूजी माईन्स के मशीनो पर निगाह कबाड़ व्यवसाईयों की लगी रहती है आये दिन उपकरण गायब होते रहते है मगर कोई देखने वाला नही है।