मुख्यमंत्री की छोड़ी सीट जीतने के लिए बीजेपी ने झोंकी ताकत
बीजेपुर
महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के साथ ओडिशा में भी एक विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो रहा है। इस सीट को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 2019 के विधानसभा चुनाव में दो सीटों से जीत दर्ज की थी, लिहाजा बाद में उन्होंने बीजेपुर सीट छोड़ दी थी। जिसके कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
सत्ताधारी बीजू जनता दल( बीजद) की कोशिश जहां सीट पर कब्जा बरकरार रखने की है, वहीं कांग्रेस अपनी इस पुरानी सीट को फिर से पाने की कोशिश में है। बीजेपुर उपचुनाव जीतकर भाजपा पश्चिम ओडिशा में अपनी जमीन भी मजबूत करना चाहती है।भाजपा नेतृत्व ने इसके लिए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान को प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है। वह क्षेत्र में डेरा जमाए हुए हैं। पार्टी महासचिव और राज्य के प्रभारी अरुण सिंह भी हाल ही में उपचुनाव की तैयारियों की समीक्षा कर लौटे हैं।
अरुण सिंह ने आईएएनएस से कहा, "बीजेपुर उपचुनाव जीतने के लिए संगठन पूरी तत्परता से लगा हुआ है। ओडिशा में सत्ताधारी बीजद सरकार जनअपेक्षाओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है।"बीजेपुर विधानसभा सीट से सत्ताधारी बीजू जनता दल(बीजद) ने रीता साहू को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने दिलीप पांडा और भाजपा ने विधानसभा चुनाव हारे हुए प्रत्याशी सनत गड़तिया पर फिर से भरोसा जताया है।
पहले यह सीट रीता साहू के पति और कांग्रेस नेता सुबल साहू के कब्जे में थी। मगर, 2017 में उनके निधन के बाद फरवरी 2018 में हुए उपचुनाव में बीजद के टिकट पर उनकी पत्नी रीता साहू भाजपा को हराकर विधायक बनीं।
इसके बाद इस साल 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने गंजाम जिले की अपनी परंपरागत हिंजली सीट के साथ ही बरगढ़ जिले की बीजेपुर से भी चुनाव लड़ा था।
वह दोनों सीटों से निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्होंने बीजेपुर सीट छोड़ दी और अब वहां उपचुनाव हो रहा है।इस साल हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी बीजद को 112, भाजपा को 23, कांग्रेस को नौ सीटों पर जीत मिली थी। राज्य की कुल 147 में से 146 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए थे।बहरहाल, बीजेपुर सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान 21 अक्टूबर को होगा और नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे।