November 22, 2024

सब को पता है सट्टा कहा होता है ,पर पुलिस को नहीं ?

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सटटे बाजों पर नहीं कस प् रही पुलिस सिकंजा ,खुले आम एक का अस्सी बनाने के चक्कर में लुट रहे श्रमवीर

जोगी एक्सप्रेस 

जमिलुर्रह्मान 

शहडोल म .प्र .धनपुरी।  पुरे कोयलांचल में युवा पीढ़ी किसी न किसी नशे की जद में मालूम पड़ती नजर आ रही है। नशा करना आज के इस दौर में मानो फैशन हो गया है। वहीं नशे से संबंधित कारोबार करने वाले लोगो का धंधा भी जोरों पर चल रहा है। और तो और ये स्वयं भी नशा करते हैं तो महज ये बच्चे क्यों पीछे रहे। वहीं नशे की जहोजद धीरे धीरे इन्हे समाज के गंदे कार्यो के नुमाईसो से संपर्क करा देते हैं, जहां दारू, जुआ, अयासी महज एक आदतें शौक का रुप ले लेती है। और उनके माता पिता द्वारा देखे गये सपनों की मययत जिते जी निकल जाती है। महज यह कहना गलत नहीं होगा कि इसके पीछे हमारे समाज, प्रशासन दोषी नहीं है। खुलेआम आज हमारे कोयलांचल में नकली शराब, गांजा का धंधा, खुले आम होटलों में दारू का परोसा जाना वहीं प्रशासन की अनदेखी का मलाल यहां की युवा पर भारी मालूम होती दिखाई देती है।कोयलांचल में कई जगह जुआ का लम्बा दाव चलता है, लेकिन प्रशासन का शिकंजा इन तक नहीं पहुंच पाता। महज खानापूर्ति हेतु छोटे छोटे बरसाती मंजर पर शिकंजा कस कर वाहवाही लूट ली जाती है और मेडल ले लिया जाता है। क्या कारण है कि थाना क्षेत्र में लंबे समय से पुलिस का यह प्रयास फिसड्डी साबित हो रहा है !  सट्टे का बढ़ता क्रे़ज देखते हुए कुछ लोगों ने इसे व्यवसाय बना लिया है। पैसा कमाने की तीव्र चाहत और भाग्यवादी सोच के लोग ते़जी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। चोरी-छुपे किये जाने वाले इस गैऱकानूनी धन्धे को बाकायदा एक खेल का रूप देकर इसे नगर में ही कई स्थानों पर खेला जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस गेम के सहारे सटोरियों ने बड़ी संख्या में शिक्षित-अशिक्षित और युवा वर्ग को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।ऱकम दोगुनी करने वाले इस खेल के प्रति प्रत्येक वर्ग के लोग आसानी से आकर्षित हो जाते हैं। इस पर दाँव लगाने वाले लोग ये नहीं जानते कि हार-जीत का ये अंधा खेल अन्तहीन है।वही पैसे कमाने और जरूरत पूरी करने की ख़्वाहिश के लिये युवा सट्टे की दुनिया में बेझिझक प्रवेश तो कर जाते हैं, लेकिन बाहर आने के बन्द रास्ते उन्हें जीवन गंवाने के लिये म़जबूर कर देते हैं। सट्टा खेलने में अक्सर हार का सामना करने वाले लोग जीत की चाल के इन्त़जार में अपना सब-कुछ गँवा बैठते हैं। खेल की हार इन्हें जिन्दगी की हार लगने लगती है। ऐसे में सट्टा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के लिये जिम्मेदार साबित हो रहा है।सट्टा जुआं व शराब के माफिया तो रातों-रात धनार्थ हो रहे है लेकिन गरीब वर्ग के लोग सट्टा, जुआ- शराब के धंधे में फसने के बाद दिन व दिन गरीब हो रहे है और इस सट्टा जुआ – शराब के कारण कंगाल होने पर घरेलू लड़ाई झगड़े के कारण आत्महत्या कर चुके है जिनके उदाहरण आप को धनपुरी नगर के 24 वार्डो में देखने को मिल जायेंगे ।अब इस  अवैध कार्यों पर रोक लग सके इसके लिए समय समय पर नगर में अवैध कार्य करने वालों की धरपकड़ की जानी चाहिए। कुछ माह पूर्व जिले की पुलिस  के द्वारा मुख्य रूप से सट्टे के कारोबार करने वालों पर शिकंजा कसा गया था और नतीजा भी सामने आया , जब सट्टे कें कारोबारियों की धरपकड़ की गई तो जिले भर में हड़कंप मच गया और सट्टा पर विराम कुछ दिनों तक लगा था। मगर जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे ही सटोरियों के द्वार सट्टे कारोबार चलने लगा। यह कारोबार नगर एवं ग्रामीण अंचलों तक पहुंच गया। सट्टे के खेल में कई घर बर्बाद हो रहे हैं, क्योंकि इसके खेलने वाले को एक रुपए लगाने पर 80 रुपए मिलते हैं, लालच में आकर मेहनत मजदूरी की गाढ़ी कमाई सट्टे में लगा दिया जाता है। लेकिन इस खेल के खेलने वालों को महज बर्बादी ही हाथ लगती है और जीवन यापन करने में काफी समस्या आ जाती है जिससे घर टूटने के कगार में रहता है और तनाव के कारण घर में विवाद का सिलसिला उत्पन्न होने लगता है। सट्टे का खेल खिलाने वाले मालामाल हो जाते हैं और खेलने वाले कंगाल होते रहते हैं, देखा जाए तो इस खेल को खेलने वालों की वृद्धि ही हुई है बताया जाता है कि इसको खेलने के लिए बड़े, बच्चे, महिलाओं भी खेलते देखा जा सकते है जिस पर अंकुश लगाना अति आवश्यक हो गया है। जिले के पुलिस के द्वारा पूर्व में भी अभियान चलाया गया था। जिसके तहत जिले भर के सटोरियों की धरपकड़ की गई थी, जिससे सट्टा खिलाने वालों में हड़कंप मच गया था और कुछ दिनों तक इस खेल में विराम लगा रहा, लेकिन यह खेल फिर अपनी गति में है जिसके रोकथाम के लिए पुनः एक बार जिला प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर इन सट्टे के कारोबारियों पर शिकंजा कसा जाए यह अपेक्षा नगर के लोगों ने जिला पुलिस कप्तान से की है ।

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