आयुष्मान योजना एक साल पुरे होने पर भी नहीं कर पाई निर्धारित लक्ष्य पूरा
भोपाल
मोदीकेयर यानि आयुष्मान भारत निरामयम योजना के एक वर्ष पूरे,लेकिन यह अपने निर्धारित लक्ष्य 5.5 करोड़ परिवारों से कोसों दूर। यह स्थिति तब है जब इसके लिए लाखों करोंड़ों का भारी भरकम बजट आवंटित किया गया है। इतना ही यह पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है। किंतु इसकी जमीनी हकीक त यह है कि अभी इससे 1.4 करोड़ कार्डधारियों के पंजीयन पर महज 1 लाख 40 हजार व्यक्ति ही लभार्थी बन पाए हैं। शेष अब भी प्राईवेट अस्पतालों में चक्कर काटते हुए इलाज करा रहे हैं। ऐसे में यह योजना दम तोड़ती वेंटीलेटर पर नजर आ रही है। आलम यह है कि प्रदेश का स्वास्थ अमला कछुए की चाल से कार्य करते हुए 12 महीने में महज 429 अस्पताल व 4000 वेलनेस सेंटरों से ही विभाग अनुबंध कर पाया है। इससे औसतन 326 मरीज प्रति अस्पताल ही इससे लाभान्वित हुए हैं। शेष अब भी नगद भुगतान कर कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं।
दरअसल,स्वास्थ विभाग की इस योजना के जरिए के वांछित तबके के उन सभी परिवारों को 5 लाख रुपए तक के स्वास्थ्य वीमा को कवर क्षेत्र में लाने की तैयारी थी। इसमें जो मरीज इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं या फिर बैकों व साहुकारों से कर्ज लेकर इलाज कराते थे, उन्हें यह सुविधा मुहैया करानी थी,लेकिन स्वास्थ विभाग की उदासीनता व मानिटरिंग के अभाव में यह योजना जमीन के वजाय कागजों तक ही सिमट कर रह गई। इस संबध में जिम्मेदार इस योजना के परफारमेंस रिपोर्ट को लेकर बच रहे हैं। ऐसे में जब आयुष्मान विभाग ही इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगा रहा हो तो अस्पतालों की क्या बात की जाए।
्रसामाजिक आर्थिक जातिगत गणना वर्ष 2011 के चयनित परिवारों को इस योजना में शामिल किया जाना था। इस योजना पर केंदÑ सरकार की तरफ से 60 एवं राज्य सरकार की तरफ से 40 फीसदी का अनुदान शामिल था। साथ ही नए जोडेÞ जा रहे लाभार्थियों के लिए पर 100 फीसदी राज्य सरकार को वहन करने का का प्रावधान था। इसमें ज्यादा से ज्यादा प्राईवेट अस्पतालों को जोड़ना था।
प्रदेश में एक साल भी स्वास्थ्य की गारंटी देने वाली योजना वेंटीलेटर पर नजर आ रही है। क्योंकि 10 फीसदी मरीजों को ही इस योजना से लाभ मिल पा रहा है। अभी भी 90 फीसदी मरीज नगद भुगतान कर अस्पतालों में इलाज करा रहें हैं। ऐसे में सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य की गारंटी कैसे मिल पाएगी यह सबसे बड़ा सवाल है।
आयुष्मान भारत निरामयम मप्र के वेबसाइट के मुताबिक स्वास्थ विभाग 1 करोड़ 40 लाख परिवारों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। इसके अनुसार 5 करोड़ 5 लाख व्यक्तियों को लाभ मिलना था,लेकिन विभाग एक साल बाद 1 लाख 40 हजार व्यक्तियों को ही इस योजना का लाभ दिला सका। इस योजना की परफारमेंस रिपोर्ट कार्ड 10 फीसदी से भी कम है। ऐसे में यह निर्धारित लक्ष्य से कोसों दूर है।