ढाई करोड़ का लीकेज सुधारने का खेल
भोपाल
राजधानी में नगर निगम प्रशासन पाइप लाइनों के लीकेज दूर करने, प्रेशर बढ़ाने और गंदे पानी की सप्लाई को रोकने के लिए पिछले डेढ़ साल में ढाई करोड़ का सामान लगा चुका है। लेकिन इसके बाद भी यह समस्या बरकरार है। कोलार, कोटरा सुल्तानाबाद, बागमुगालिया, विद्यानगर, ऐशबाग और शाहजहांनाबाद, माता मंदिर, ईदगाह हिल्स, लालघाटी पीरगेट आदि यह वह इलाके हैं जहां हर महीने कोलार और नर्मदा की पाइपलाइन में लीकेज होने के कारण दो से चार दिन तक रहवासियों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। नगर निगम के वाटर वर्क्स शाखा के इंजीनियरों द्वारा पाइपलाइन के लीकेज की सूचना मिलने के तत्काल बाद मरम्मत नहीं की जाती है।
किसने काटी कोलार की पाइप लाइन
छह माह पूर्व स्मार्ट रोड के किनारे कोलार की लाइन को काट कर ले जाने की घटना पर निगम द्वारा ही एफआईआर करवानी थी। लेकिन इस संबंध में भी कुछ नहीं हुआ है। हैरानी की तो यह है कि लाइन के प्रभारी एमएस सेंगर से लेकर उनके सहयोगी रिजवान अली, कार्यपालन यंत्री अविनाश श्रीवास्तव ने रूचि नहीं ली थी। इससे जाहिर होता है कि निगम अफसरों की सहमति के बिना ऐसे कैसे हो सकता था।
निगम के पास नहीं है लीकेज स्क्वाड
लीकेज के लिए निगम ने लीकेज स्क्वाड बनाने की योजना हर जोन में बनाई थी लेकिन वह नहीं बन पाई है। आलम है कि कि लीकेज को दुरूस्त करने का काम दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के हवाले ही होता है। इसमें एक्सपर्ट की कमी के कारण कई बार तो गलत खुदाई करने से और लीकेज बन जाते हैं।
आॅडिट में सामने आया मामला
नगर निगम के आॅडिट में यह मामला सामने आया है। इस आडिट में इस खर्च के बारे में आपत्ति ली गयी थी क्योंकि इतनी राशि से तो शहर के सारे लीकेज सुधारे जा सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। निगम को हर जोन में होने वाले लीकेज का रिकार्ड रखना था ताकि उसमें पता चल सके कि किस पाइप में एक माह में कितने लीकेज सुधारे गए और उसमें क्या-क्या सामान लगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि निगम के काल सेंटर पर रोजाना 30 से अधिक की शिकायतें आ रही हैं। इसी तरह से पुराने शहर में गंदे पानी की सप्लाई भी बंद नहीं हो पायी है। हवा महल रोड, पीरगेट, इब्राहिमपुरा, शाहजहांनाबाद आदि इलाकों में गंदे पानी की सप्लाई की शिकायतें हैं लेकिन इसको दूर नही ं किया जा सका है।