November 23, 2024

फिर बिजली का झटका देने की तैयारी में लगीं कंपनियां

0

भोपाल
प्रदेश की जनता को तीन माह में दूसरी बार बिजली का झटका देने की तैयारी शुरू हो गई है। तीन महीने पहले ही छह फीसदी दाम बढ़ाए गए थे। अब मप्र की तीनों बिजली कंपनियों ने घाटे का हवाला देकर सरकार को फिर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव भेज दिया है। मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से दायर तीन टू-अप पिटीशन में यह तथ्य सामने आया है। कंपनी ने वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में करीब 19 हजार करोड़ का घाटा बताया है। इस घाटे की भरपाई बिजली के रेट बढ़ाकर की जाएगी। हालांकि दरें दो महीने पहले ही बढ़ चुकी हैं, इसलिए बिजली के रेटों में यह बढ़ोतरी अभी नहीं होगी, लेकिन अगले साल मार्च-अपै्रल में ही एक बार फिर बिजली के रेट बढ़ सकते हैं। गौरतलब है कि इससे पहले मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने करीब 24 हजार करोड़ का घाटा बताकर 12 फीसदी तक बिजली का टैरिफ बढ़ाए जाने की याचिका मप्र विद्युत विनियामक आयोग में दायर की थी। सुनवाई के बाद आयोग ने घरेलू बिजली में 6 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी कर दी है। बढ़ी हुई दरें लागू हो चुकी हैं। कंपनी का दावा है कि हाल ही में बढ़ी हुई दरों से कंपनी के घाटे की भरपाई नहीं हो रही है। ऐसे में कंपनी आगामी सालों में फिर से दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही है।

बिजली कंपनियों ने पेश किया 3 साल का आंकड़ा
मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी की तरफ से वित्तीय वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 की याचिका मप्र विद्युत नियामक आयोग में दायर की गई है। दरअसल, कंपनी प्रस्तावित आकलन के बाद अंतिम आय-व्यय का ब्यौरा तैयार करती है। इसमें नुकसान होने पर कंपनी आगामी सालों में इसकी भरपाई के लिए आयोग के पास याचिका दायर करती है। आयोग सुनवाई के दौरान कंपनी के व्यय और विभिन्न परिस्थितियों को देखते हुए फैसला करता है।

कई बार मांगी गई राशि का कुछ अंश ही घाटे में मान्य करते हुए इसे वसूलने की इजाजत दी जाती है। कई बार आयोग बिजली कंपनियों को मांगी गई राशि वसूल करने की इजाजत नहीं देता है। इस बार अनुमान है कि आयोग कंपनियों को इजाजत दे सकता है। गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में बिजली कंपनी को करीब 5156 करोड़ रुपए की हानि हुई है। वहीं 2015-16 में हानि 7156 करोड़ पहुंच गई। वहीं वित्तीय वर्ष 2016-17 में बिजली से हानि 7 हजार करोड़ के आसपास हुई है। आयोग के पास पिछले तीन सालों में हुए घाटे का आंकलन भेजा गया है। कंपनी ने इसके बाद के वित्तीय वर्षों में हुए घाटे का आकलन अभी तक आयोग को नहीं भेजा है।

घाटे की भरपाई उपभोक्ताओं से
बिजली कंपनी अपने घाटे की भरपाई उपभोक्ताओं से करती है। इसके लिए बिजली के दाम में बढ़ोत्तरी एक विकल्प है। चाहे तो सरकार भी वित्तीय घाटे की भरपाई अपने स्तर पर कर सकती है। कंपनी के घाटे की भरपाई नहीं हुई, तो उसे वितरण का काम करना मुश्किल होगा। ऐसे में आयोग को भी घाटे के संदर्भ में फैसला करना होगा। जाहिर है, इसके लिए कंपनी को आयोग से अनुमति लेकर बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव मंजूर करवाना होगा।

फिजूलखर्ची पर नहीं लग रही रोक
हर साल करीब 4 हजार रुपए की फिजूलखर्ची बिजली खरीदी में हो रही है। निजी कंपनियों को लाभ देने के लिए बिना बिजली खरीदे ही करोड़ों रुपए का भुगतान हो रहा है। कई पावर प्लांट से बिजली खरीदी के करार किए गए, जिन्हें बिना बिजली लिए ही करोड़ों रुपए का भुगतान करना पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *