झाबुआ में सी.एम. कमलनाथ की साख होगी दांव पर, उम्मीदवारी को लेकर मुश्किल
भोपाल-चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ देशभर की 64 सीटों पर उपचुनावों की तारीख का भी ऐलान कर दिया है। इन सीटों में प्रदेश की झाबुआ सीट भी शामिल है, जहां विधानसभा का उपचुनाव होना है।
ये सीट स्थानीय विधायक जीएस डामोर के लोकसभा के लिए चुन लिए जाने से खाली हुई है। कांग्रेस इस सीट को लेकर जिस तरह से दमखम लगा रही है। सीएम कमलनाथ दो बार झाबुआ दौरा कर आदिवासी हित में कई बड़े ऐलान कर चुके हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये कि कांग्रेस किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी। इस सीट पर सिर्फ कांग्रेस ही नही बल्कि सीएम कमलनाथ की साख भी दांव पर होगी।
पूरी ताकत लगा रही कांग्रेस
झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होगा। आयोग के ऐलान के साथ प्रदेश कांग्रेस में सियासी हलचल तेज हो गई है। सीएम कमलनाथ से लेकर सरकार के कई मंत्री झाबुआ में पंचायत लगाकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर चुके हैं। इस सीट पर लंबे समय तक कांतिलाल भूरिया का दबदबा रहा है। झाबुआ विधानसभा सीट पर 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जीएस डामोर ने कब्जा जमाया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में झाबुआ-रतलाम सीट पर कांतिलाल भूरिया को हरकार संसद पहुंचे जीएस डामोर के सीट छोडऩे पर उपचुनाव हो रहा है। हालांकि कांग्रेस में इस सीट को लेकर खासा घमासान है। अब भूरिया पिता-पुत्र के अलावा जेवियर मेढ़ा भी ताल ठोक रहे हैं।
किसे मिलेगा कांग्रेस का टिकट
पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया और उनके बेटे विक्रांत भूरिया इस सीट पर दावेदारी जता रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस नेता जेवियर मेढ़ा भी यहां से कांग्रेस के प्रबल दावेदार हैं। कांग्रेस की गुटबाजी को रोकने के लिए सीएम कमलनाथ ने खुद यहां की जिम्मेदारी ली है। जो फार्मूला पार्टी ने तय किया है, उसके तहत कांतिलाल भूरिया को पार्टी राज्यसभा भेजेगी और जेवियर मेढ़ा को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया जाएगा। वहीं कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि झाबुआ सीट पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है और प्रत्याशी कौन होगा ये सीएम कमलनाथ और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी तय करेंगे।