प्रशासनिक एवं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता एवम लापरवाही से कई स्कूल हुए शिक्षक विहीन,खबर प्रकाशन का है इन्तजार मामला बिहारपुर चांदनी क्षेत्र का
जोगी एक्सप्रेस
ब्यूरो अजय तिवारी
सूरजपुर : जहाँ एक ओर शासन द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गाँव गाँव में स्कूल संचालित कर मुफ्त में किताब ,गणवेश ,मध्यान भोजन सहित छात्रवृत्ति तक उपलब्ध कराकर छात्रों के भविष्य को
संवारने का सतत प्रयास किया जा रहा वहीँ दूसरी ओर में प्रशासनिक एवम विभागीय अधिकारियों की उदासिनता एवम लापरवाही के कारण छात्रों का भविष्य अन्धकारमय होता दिखाई दे रहा है ।
ऐसा ही एक मामला सूरजपुर जिले के ओड़गी ब्लॉक के बिहारपुर चांदनी क्षेत्र में सामने आया है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ओड़गी विकाशखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के संकुल केंद्र महुली अंतर्गत ऐसे कई स्कूल है जो की शिक्षक विहीन है जिन स्कूलों में प्रा.शा.लुल्ह प्रा.शा.भुंडा, मा.शा.तेलेईपाठ, मा.शा.रसौकी शामिल है।
जहाँ पर एक भी शिक्षक स्थायी रूप से पदस्थ नही है तथा इन स्कूलों में सिर्फ यहाँ पंचायत द्वारा नियुक्त मानसेवी शिक्षको की नियुक्ति कर स्कूलों को किसी तरह भगवान भरोसे संचालित किया जा रहा है।
विदित हो की प्रा.शा.लूल्ह में 35 , प्रा.शा.भुंडा में14 ,
मा.शा.तेलईपाट में 23, मा.शा. रसौकी में 16 छात्र अध्यनरत है एवम आश्चर्यजनक बात यह है कि जहाँ पर प्राथमिक शाला लुल्ह संचालित है उस गाँव की पूर्ण जनसंख्या पंडो जनजाति की है तथा उक्त स्कूल में छात्रों की दर्जसंख्या देखने से ही स्पष्ट हो रहा है कि पंडो जनजाति के होने के बावजूद भी इन छात्रों के माता पिता अपने बच्चों को उचित शिक्षा देने हेतु प्रयासरत है जिसपर पानी फिरता नजर आ रहा है जो की अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन गया है ।
स्थानीय जानकारों की माने तो इन सभी स्कूलों में पूर्व में शिक्षक नियुक्त हुये थे जिनको सम्बंधित विभाग के अधिकारियो द्वारा उनके स्वेक्क्षानुसार मनचाहे स्कूलों में सलग्न कर दिया गया है जिसकारण इस क्षेत्र में ऐसे कई स्कूल है जहां पर छात्रों की दर्जसंख्या के अनुसार अतरिक्त शिक्षक भी हो गए है फिर भी सम्बंधित विभाग के अधिकारी इन शिक्षको को उनके मूल पदस्थापना हुए स्कूलों में पदस्थ करते है और नही उनका समायोजन करते क्योंकि उन शिक्षको द्वारा अपने मनचाहे जगह पर बने रहने के लिए अधिकारियो को चढ़ावा जो चढ़ाया गया होता है ।
वहीँ स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है जो की आज भी अत्यंत पिछड़ा हुआ है जिसका एक मात्र कारण लोगो में शिक्षा की कमी है इसलिए हम सभी चाहते है कि हमारे बच्चो को उचित शिक्षा मिले जिससे इस क्षेत्र एवम हमारा विकास हो सके लेकिन स्कूलो में शिक्षकों के नही रहने से हमारे बच्चो को पूर्ण रूप से शिक्षा नही मिल रहा है और लगता है कि हमारे बच्चे भी हमलोगों की तरह ही अनपढ़ रह कर मजदूरी करेंगे।
स्थानीय जानकारों की माने तो इन सभी स्कूलों में पूर्व में शिक्षक पदस्थ थे जिनको उनके स्वेक्षनुसार मनचाहे स्कूलों में सलग्न कर दिया गया है वही उनका यह भी कहना है कि इस क्षेत्र में ऐसे कई स्कूल है जहां पर दर्जसंख्या के अनुसार अतरिक्त शिकक्ष भी है लेकिन सम्बंधित विभाग के अधिकारी उनको इन शिक्षक विहीन स्कूलों में सलग्न नही करते क्योंकि उन शिक्षको द्वारा मनचाहे जगह पर बने रहने के लिए अधिकारियो को चढ़ावा चढ़ाया गया है । ग्रामीणों ने इस सम्बन्ध में कई बार ब्लॉक से लेकर जिला मुख्यालय तक लिखित में अधिकारीयो को दिया गया है किन्तु आजतक इस संबंध में कोई कार्यवाही नही की जा सकी है।
समाचार प्रकाशन के बाद ही हरकत में आते है जिले के प्रशासनिक अधिकारी
ज्ञात हो की बिहारपुर क्षेत्र विगत दिनों मलेरिया से कई मौते होने के खबर प्रकाशन के बाद जिला से लेकर संभाग तक का प्रशासनिक अमला प्रतिदिन दौरे पर है जिसके सम्बन्ध में जनसम्पर्क विभाग सुरजपुर द्वारा उन अधिकारियो के गतिविधियों का प्रतिदिन बखान किया गया है जिसके तहत कुछ दिन पूर्व उनके बताया गया कि जिला पंचायत सीईओ द्वारा निरन्तर मलेरिया प्रभावित क्षेत्र का दौरा के साथ प्रभावित क्षेत्र को उपस्वास्थ्य की सौगात दी गयी तथा गत दिवस बताया गया
कि जिले के कलेक्टर ने मलेरिया प्रभावित गाँव कोल्हुआ से बैजनपाठ गांव तक जाकर लोगो सम्पर्क कर जायजा लिया और इन क्षेत्रों में आठवीं पढ़कर छोड़ चुके बालिकाओं से भी मिलें एवं उनको कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में दाखिला लेने कहा है तथा प्राथमिक स्कूल में अतिरिक्त कक्ष, किचन शेड का निर्माण कराने को कहा जिसमें कलेक्टर साहब द्वारा बाइक में गाँव गाँव भ्रमण किया जो की सोशल मीडिया में चर्चा का विषय भी था लेकिन यहां पर यह भी सोचनीय तथ्य है कि जीले के दोनों प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों को इन स्कूलों में शिक्षकों के न होने से छात्रों के भविष्य के साथ जो खिड़वाड़ हो रहा है आखिरकार यह दुर्दशा क्यों नही दिखी या फिर इनके द्वारा इन स्कूलो की ओर ध्यान ही नही दिया गया ।
शायद इन प्रशासनिक अधिकारियों का इस ओर भी समाचार प्रकाशन के बाद ही ध्यान केंद्रित होगा तभी जाकर इन स्कूलों में अध्यनरत विद्यार्थियों का उद्धार हो सकता है क्योंकि पत्रकारों द्वारा मलेरिया से हुई मौतों के सम्बन्ध में समाचार प्रकाशन के बाद ही प्रशासन हरकत में आया अगर समाचार प्रकाशन नही किया गया होता तो प्रशासन को पता लगने तक कोल्हुआ क्षेत्र में जितनी भी मौते हुई आज उसका आंकड़ा दुगुना होता ।
इनका कहना है …..
इस संबंध में जब विकासखण्ड
शिक्षाधिकारी के. पी. साय से बात की गयी तो उनका कहना है कि मुझे इस संबंध में मालूम नही है फाइल देख कर बताऊंगा।अगर ऐसा है तो व्यवस्था बनाया जाएगा।