महिलाएँ अब घुट-घुटकर जीने की जगह गाँव के विकास में सहभागी बन रही हैं।
भोपाल-महिलाएँ अब घुट-घुटकर जीने की जगह गाँव के विकास में सहभागी बन रही हैं। नर्मदा महिला संघ का मुख्य उद्देश्य आजीविका के लिये बेहतर अवसर, महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना, हक और अधिकार दिलाना तथा महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी सुनिश्चित करना है। नर्मदा महिला संघ की पदाधिकारियों ने यह बात अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में व्याख्यान-माला ‘असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम” में ‘अनहर्ड व्हाइसेस ऑफ वूमेन लीडर्स ऑफ नर्मदा महिला संघ, बैतूल” विषय पर व्याख्यान में कही।
ममता बाई प्रशासन अकादमी मसूरी में दे चुकी हैं व्याख्यान
नर्मदा महिला संघ की सदस्य ममता बाई लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी, मसूरी में 3 बार प्रशिक्षु आई.ए.एस. अधिकारियों को संबोधित कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूह की किसी भी महिला के साथ अत्याचार होता है, तो उसे न्याय दिलाने के लिये संघर्ष करती हूँ। गाँव की महिलाओं के लिये हमेशा जीने-मरने को तैयार रहती हूँ। उन्होंने बताया कि महिलाओं को हिंसा से मुक्ति दिलाने के लिये कई लोगों की शराब छुड़वाई है। सुश्री ममता बाई ने कहा कि मेरे भाई ने तो मात्र पढ़ाई की है, लेकिन मैंने असली पढ़ाई की है।
अब इंजीनियर हमसे खुद पूछते हैं
संध्या बाई ने कहा कि मैं स्व-सहायता समूह में रिकार्ड तैयार करती थी। समूह की महिलाओं ने मुझे गाँव की सरपंच बनाया और अब हम महिलाओं के साथ मिलकर गाँव के विकास की योजना बनाते हैं और उनका क्रियान्वयन करते हैं। उन्होंने बताया कि मुझे कार्यों के बारे में इतनी जानकारी हो गई है कि इंजीनियर योजना बनाने के पहले हमसे पूछते हैं।
जल-संरक्षण के कार्यों से बढ़ा वाटर लेवल
सुश्री कला बाई ने बताया कि समूह ने मनरेगा योजना के साथ मिलकर गाँव में चेकडेम और तालाब बनवाये। इससे गाँव का जल-स्तर बढ़ गया। उन्होंने बताया कि 15 गाँव से काम की शुरूआत की थी। आज इसका दायरा बढ़ गया है।
खेत-तालाब और मेढ़-बँधान
सुश्री रामकली बाई ने कहा कि पहले पूरे गाँव का नक्शा बनाया और फिर गाँव में उपयुक्त जगह देखकर खेत-तालाब और मेढ़-बँधान के कार्य करवाये। इससे खेतों में पानी की उपलब्धता बढ़ी।
हक की लड़ाई लड़ने की समझाइश
रश्मि बाई ने बताया कि संघ अपने परिवार की तरह है। सभी महिलाएँ सप्ताह में एक दिन बैठती हैं। उन्हें अपने हक की लड़ाई लड़ने की समझाइश देते हैं। ग्रामीण महिलाओं को राशन-कार्ड और सामाजिक सुरक्षा पेंशन दिलवाने में सहयोग करते हैं।
नर्मदा महिला संघ में 22 हजार से अधिक महिलाएँ शामिल हैं। बैतूल जिले के 300 गाँव में 1750 महिला स्व-सहायता समूह बनाये गये हैं।
परिवर्तन के लिये शहर से गाँव तक कार्य की जरूरत
संस्थान के महानिदेशक आर. परशुराम ने कहा कि संघ ‘असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम” का जीता-जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन लाने के लिये सिर्फ शहर नहीं गाँव तक कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन एक दिन की बात नहीं है। परशुराम ने कहा कि आत्म-विश्वास हो, तो कोई काम असंभव नहीं है। संस्थान के प्रमुख सलाहकार एम.एम. उपाध्याय ने कविता के माध्यम से नर्मदा महिला संघ के कार्यों की सराहना की। संचालन प्रमुख सलाहकार गिरीश शर्मा ने किया।