बस्तर में आदिवासियों पर अत्याचार के दोषी मुख्यमंत्री से इस्तीफ़ा मांगें : अमित जोगी
जोगी एक्सप्रेस
रायपुर: रोज सुबह उठकर, ‘अमित जोगी इस्तीफ़ा दो’ की बांग देने वाले कांग्रेस-भाजपा महागठबंधन के नेताओं को मरवाही विधायक अमित जोगी ने सलाह दी है कि ऐसे नेता पहले मुझे मिले मतों और मेरे जीत की मार्जिन की बराबरी करें और उसके पश्चात ही अपना मुंह खोलें। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मरवाही की जनता ने मुझे, आदिवासी आरक्षित मरवाही सीट से, रिकॉर्ड मतों से विजयी बनाया है। मैं 46 हज़ार से अधिक मतों से विजयी ह जबकि 3 बार मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर रमन सिंह 35 हज़ार, नेता प्रतिपक्ष 19 हज़ार और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष केवल 9 हज़ार मतों से अपना चुनाव जीते हैं। इतना ही नहीं, कांग्रेस के बडबोले प्रदेशाध्यक्ष अपने पूरे राजनितिक जीवन के सभी चुनाव मिलाकर अब तक कुल 22,322 मतों से ही जीते हैं जो मेरे एक चुनाव में मिली जीत -46,250 से आधा भी नहीं है। वहीँ नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अपने राजनितिक जीवन में जितने अंतर से आज तक चुनाव जीते हैं, उन सबको जोड़ दिया जाए (22322 + 20538) तो भी, मरवाही में एक चुनाव में मुझे मिली जीत-46250 के बराबर नहीं है । इसलिए मेरी इन नेताओं से विनती है कि मेरा इस्तीफ़ा मांगने से पहले ये विचार करें कि क्यों मरवाही की जनता ने मुझे इतने विशाल और एतिहासिक मतों से विजयी बनाया है। स्वाभाविक है सेवा करने के लिये न की इस्तीफ़ा देने। मुझसे इस्तीफ़ा माँगना मरवाही की जनता के जनादेश का अपमान है। अमित जोगी ने कहा कि ये बड़े आश्चर्य की बात है कि “जाति” के नाम पर इस्तीफ़ा माँगा जा रहा है और जो “जाति विरोधी” काम कर रहा है उसके साथ हाथ मिलाया जा रहा है। मेरा इस्तीफ़ा मांगने वालों को अगर छत्तीसगढ़ के आदिवासी भाइयों से जरा भी लगाव है तो, पहले बस्तर में आदिवासियों पर अत्याचार के दोषी मुख्यमंत्री से इस्तीफ़ा मांगें, कुरूदडीह पाटन में गरीब आदिवासियों की जमीन हड़पने वाले कांग्रेस के जोगेरिया-पीड़ित प्रदेशाध्यक्ष से इस्तीफ़ा मांगे, सरगुजा में वर्षों पहले निर्दोष आदिवासियों को उबलते पानी में डालकर मारने वाले , खुद राजशाही जीवन व्यतीत कर आदिवासियों को गरीबी और भूखमरी में छोड़ देने वाले, नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफ़ा मांगे और इस्तीफ़ा मांगे राष्ट्रीय जनजाति आयोग के नए अध्यक्ष से, जिन्होंने अपने पूरे राजनितिक जीवन में इन आदिवासी विरोधी ताकतों को रोकने के बजाय उनसे हाथ मिलाया। और जो पोलावरम और कनहर बाँध से प्रभावित बस्तर और सरगुज़ा के आदिवासियों से आज तक मिलने तक नहीं गए और न ही कभी प्रदेश में आदिवासियों पर लगातार बढ़ रहे अत्याचार पर अपना मुंह खोला। अमित जोगी ने कहा कि मैं एक लोकतांत्रिक देश के संविधान और कानून के अनुसार चुन कर आया हूँ। जिस जनता ने मुझे चुना है, उसी जनता को अधिकार है। जिनको लगता है कि रमन पॉवर्ड कमेटी की फ़र्ज़ी रिपोर्ट के आधार पर मैं इस्तीफ़ा दे दूँगा, वे मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखते रहें। कुछ मुट्ठी भर षड्यंत्रकारी लोगों के इस तरह रोज एक जनप्रतिनिधि से इस्तीफे मांगने से यह देश नहीं चलता।