अजब है गजब है 42 बच्चो के लिए तैनात हैं 7 मैडम,सरकारी स्कूलों में लड़खड़ाती शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़ी खामी हुई उजागर
शहडोल{म .प्र .}सरकारी स्कूलों में लड़खड़ाती शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़ी खामी उजागर हो रही है जिसके तहत शिक्षक गांवों के स्कूलों के पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं। शिक्षा विभाग इन मनमाने शिक्षकों को उनके अनुसार शहर के स्कूलों में पोस्टिंग भी दे देता है।संभागीय मुख्यालय शहडोल की बात करें तो यहां रसूख और जुगाड़ के दम पर स्कूलों में आवश्यकता से ज्यादा शिक्षक कई सालों से डटे हुए हैं। बार-बार शिक्षा विभाग के निर्देशों के बाद भी ऐसे शिक्षकों पर न तो कोई कार्रवाई हो पा रही है और न ही उन्हें शहर से दूर गांवों के उन स्कूलों में भेजा जा रहा है जहां न शिक्षक हैं न कोई सुविधा। शिक्षा विभाग हर साल अतिशेष शिक्षकों की सूची बनाता जरुर है, लेकिन किसी न किसी रसूख और जुगाड़ के आगे उसे प्रभावी तौर पर लागू नहीं करा पाता है।
सरदार पटेल मिडिल स्कूल में 6 बच्चों पर एक शिक्षिका : शहर के वार्ड क्रमांक 31में सिंहपुर रोड पर स्थित सरदार पटेल मिडिल स्कूल में 42 बच्चों पर 7 शिक्षिकाएं पदस्थ हैं। ये सभी शिक्षिकाओं में एक नियमित हेड मास्टर, 4 सहायक शिक्षक और दो अध्यापक पदस्थ की गई हैं।
स्कूल में लगातार घट रही बच्चों की संख्याः सरदार पटेल मिडिल स्कूल में लगातार बच्चों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। स्कूल में अगर देखा जाए तो वर्ष 2017-18 में 61 बच्चे दर्ज थे जो 2018-19 में घटकर 50 हो गए। वहीं 2019-20 में यह आंकड़ा 42 में आ गया।
दर्ज छात्र संख्या में 50 फीसदी भी नहीं आते स्कूलः सिंहपुर रोड पर स्थित सरदार पटेल मिडिल स्कूल में कक्षा 6वीं से 8वीं तक की पढ़ाई के लिए 20 बच्चे भी हर दिन स्कूल नहीं आते हैं। बच्चों के नियमित स्कूल नहीं आने पर प्रबंधन द्वारा भी उन्हें स्कूल लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जाते हैं।
स्कूल में कई दशकों से जमी हैं शिक्षिकाएं: बच्चों की कमी के कारण स्कूल में पदस्थ शिक्षिकाओं के पास भी ज्यादा काम नहीं होता है। सरदार पटेल मिडिल स्कूल में 2 से 3 दशक पुरानी शिक्षिकाएं भी पदस्थ हैं। शिक्षिकाओं का कहना है कि 10 साल पहले तक अच्छी छात्र संख्या थी अब नहीं है।
एक ओर जहां संभागीय मुख्यालय शहडोल शहर के स्कूलों में आवश्यकता से ज्यादा शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। वहीं दूसरी ओर गांव के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षकों की राह तक रहे ह
साभारःनई दुनिया