November 23, 2024

भाजपा बतायें पं. दीनदयाल उपाध्याय का देश की आजादी की लड़ाई में और संविधान निर्माण में कोई योगदान था क्या ?

0

पं.दीनदयाल उपाध्याय के बारे में जानकारी मांगने पर भाजपा क्यों तिलमिला जाती है ?

रायपुर, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के लोग आजादी की लड़ाई से संविधान निर्माण तक देश में दीनदयाल उपाध्याय का क्या योगदान है यह बतायें? फिर आपत्ति करें। किसी एक राजनैतिक विचारधारा का हिमायती होना अलग बात है, लेकिन देश की आजादी की लड़ाई, संविधान निर्माण और राष्ट्र निर्माण में भूमिका होना दीगर बात है। भारतीय जनता पार्टी ने पूरे देश में दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारें उनकी जन्म शताब्दी भी मना रही थी। सरकारी खजाने से करोड़ो रु. खर्च कर दीनदयाल उपाध्याय जी का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, सरकारी विज्ञापनों साइनबोर्ड में लेटरहेड में दीनदयाल की फोटो लगाई गई है इन सब के बावजूद भाजपा के लोग दीनदयाल जी के बारे में जनसामान्य की जिज्ञासा शांत नही कर पा रहे है। पं. दीनदयाल उपाध्याय के बारे में जानकारी मांगने पर भाजपा तिलमिला जाती है। क्या भाजपा के पास भी पं. दीनदयाल उपाध्याय के बारे में सही जानकारी नही है? लोग सिर्फ इतना ही तो जानना चाहते है जिनके नाम से केंद्र से लेकर राज्य तक की भाजपा सरकारे तमाम योजनायें चलाती रही हैं उनका देश के निर्माण में क्या योगदान है? इस जानकारी को सार्वजनिक करने में भाजपा को घबराहट क्यों हो रही है? दीनदयाल उपाध्याय का देश के आजादी की लड़ाई में क्या योगदान था? उन्होंने साहित्य में क्या योगदान दिया? उन्होंने ऐसा कौन सा आंदोलन छेड़ा जिससे भारत का जनमानस प्रभावित हुआ? भाजपा को सारी जानकारी जनता के सामने रखना चाहिए। अगर कुछ है तो उसे लोगो को भाजपा बताती क्यों नही? पं. दीनदयाल की उपाध्याय के कथित एकात्म मानववाद के पहले महात्मा गांधी, विनोबा भावे जैसे महापुरुषों ने समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति की चिंता की थी फिर पं. दीनदयाल उपाध्याय का यह सिद्धांत अनूठा कैसे हुआ? किसी व्यक्ति द्वारा दल विशेष के लिए किए गए सांगठनिक योगदान को समूचे राष्ट्र के नवनिर्माण में योगदान कैसे माना जा सकता है। अगर लोग उनके बारे में जानना चाहते है जिन्हें सरकार महा मानव बता कर इतना प्रचार का आभामण्डल तैयार कर रही है तो इसमें गलत क्या है? महापुरुष प्रचार से नही जनसामान्य के आदर और उनके हृदय में अपने कार्यो की छाप से तैयार होते है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *