‘प्याऊ न हो तो यात्री प्यासे मर जाएं साहब!’
जोगी एक्सप्रेस
शहडोल से मिर्जा अफसार
शहडोल गर्मी इतनी कि मानो ट्रेन में नहीं भट्टी में बैठकर यात्रा कर रहे हों और जब स्टेशन पर ट्रेन रूके और पीने के लिए ठंडा पानी न मिले तो लगता है जान निकल जाएगी। यह तो अच्छा हुआ कि अमलाई रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म नंबर 4 पर न्यूज ऑफ इंडिया मध्यप्रदेश की ओर से मिर्जा अफसार बेग जिला ब्यूरो प्रमुख द्वारा प्याऊ खुलवा दिया वरना यात्री तो प्यासे मर जाएं साहब। यह हम नहीं कह रहे। यह शब्द हैं शहडोल रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से पानी के लिए उतरे एक यात्री के। जी हां यह महोदय गलत नहीं कह रहे हैं। पानी ही है जो गर्मी में अमृत लगता है। यह पानी ही वह बजह है जो जात पांच और ऊंच नीच का भेद मिटा रहा है। ट्रेन से उतरकर पानी के लिए परेशान होता यात्री किसी से यह नहीं पूछता कि पानी पिलाने वाला किस जात का है। सबको लगता है कि किसी तरह ठंडा पानी मिल जाए और हलक तर हो जाए।
प्याऊ न हों तो होती है दिक्कत
रेलवे स्टेशन के प्रत्येक प्लेटफार्म में कुछ सामाजिक संगठन प्याऊ संचालित करा रहे हैं। इन संगठनों के माध्यम से लोगों की भीषण गर्मी में प्यास बुझाई जा रही है। प्लेटफार्म क्रमांक एक में हरे माधव परमार्थ सेवा समिति और प्लेटफार्म नम्बर दो में वैश्य समाज के लोग प्याऊ खुलवाए हैं। जैसे ही ट्रेन रूकती है यात्री उतरकर बोतल लिए प्याऊ की ओर भागते हैं। ऐसी भीषण गर्मी में लोगों को पानी पिलाने जैसा मानवीय सेवा का कार्य करने वाले संगठनों की यात्री सराहना भी करते हैं। इनका कहना है कि यदि प्याऊ न हों तो वाकई दिक्कत बढ़ जाए।
पानी की स्थिति पर गौर कर लें
यहां के रेलवे स्टेशन में कहने को तो हर प्लेटफार्म पर वाटर कूलर लगे हुए हैं लेकिन इनसे पानी बूंद बूंद करके ही निकलता है। इसके अलावा वाटर कूलर की पानी ठंडा करने की कैपिसिटी उतनी नहीं है जितनी यात्रियों की संख्या है। यहां हजारों की संख्या में यात्री स्टेशन पर उतरते हैं और यहां से आगे के लिए चढ़ते हैं उनके अलावा ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को भी पानी की जरूरत होती है। ऐसे में वाटर कूलर पर्याप्त पानी नहीं दे पा रहे हैं। बाकी नलों से तो गर्म खोलता हुआ पानी निकलता है।