*फ़र्ज़ी पत्रकारों के खिलाफ़ कार्यवाही करने में पुलिस कर रही आना कानी,
आरोपी थाने में बड़े अधि्कारियो की पत्रकार वार्ता में शामिल होकर खुले आम उड़ा रहे कानून का मख़ौल
मामूली सट्टा पट्टी काटने वालो को पकड़ कर खुद अपनी पीठ थपथपा रही चिरमिरी पुलिस
आरोपी खुले आम घूम घूम कर जाँच को कर रहे प्रभवित,
पीड़ित को कैसे मिलेगा न्याय *
जोगी एक्सप्रेस
चिरमिरी से धरम जीत सिंह की रिपोर्ट
चिरमिरी कोरिया छत्तीसगढ़चिरमिरी जब रिश्वत देने वालो के खिलाफ़ पुलिस मुक़दमा दर्ज़ नहीँ करती है तो फ़िर रिश्वत लेने वालों के खिलाफ़ मुकदमा लिखने का भी अधिकार पुलिस को नहीँ है ! यह कहावत नही चिरमिरी पुलिस की हक़ीक़त है, जो अपराधियो को अपना राहनुमा बना कर चंद छोटे मोटे सटोरियों को तो पकड़ कर अपने आला अधिकारियों की नज़र में बादशाह बनने की कोशिश कर रही है परंतु महीनों से पड़ी रिपोर्ट पर ध्यान नही देते, इसका जीत जागता प्रमाण दिनाक22/4/2017को फरियादी रामरतन ने चिरमिरी थाने में लिखित शिकायत देकर उससे तीन लाख से ज्यादा सूद का पैसा खाने के बाद गिरवी रखी उसकी कर वापस नहीं करने तथा और एक लाख रूपये मांगने वाले सूदखोर अभिजीत मुखर्जी और वेदप्रकाश तिवारी के ऊपर क़ानूनी कार्यवाही की मांग की लेकिन चिरिमिरी पुलिस ने उस पर कोई कार्यवाही करने के बजाय उसे आपसी लेनदेन का मामला बताते न्यायलय जाने की सलाह देकर उसे चलता कर दिया ।
पीड़ित रामरतन चिरमिरी पुलिस के इस व्यवहार पर हक्का बक्का रह गया ।
किसी की सलाह पर पीड़ित रामरतन अंबिकापुर गया और पुलिस महानिरीक्षक हिमांशु गुप्ता से मिलकर उन्हें सारी बात बताते हुए न्याय की गुहार लगाई । मामले की गंभीरता को देखते हुए आई जी हिमांशु गुप्ता ने स्वयं हस्तक्षेप कर सिटी कोतवाली अंबिकापुर में पार्थी की रिपोर्ट अपराध क्रमांक-0 मे दर्ज कराकर उसे नंबरिंग के लिए एवं आगे की कार्यवाही के लिए चिरिमिरी थाने भेजा जिस पर चिरमिरी पुलिस ने अपराध क्रमांक 0148/17 में वेद प्रकाश तिवारी,अभिजीत मुखर्जी द्वारा सभी निवासी चिरमिरी द्वारा रामरतन को 50हजार रुपए 20%ब्याज पर दिया अब प्रर्थी प्रत्येक माह 10,000 रुपय वेद प्रकाश तिवारी व अभिजीत मुखर्जी चिरमिरी को देता आ रहा है।और लगभग 3लाख रुपये दे चुका है परंतू इन ब्याज खोरो के चंगुल से नही निकल पा रहा बीते महीने 19/4/2017 को फरियादी रामरतन अपने निजी कार्यो से जब चिरमिरी आया तब वेद प्रकाश तिवारी , अभिजीत मुखर्जी से अपनी हूडाई कार वापसी की माँग की अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि तुम्हे 1 लाख रुपये और देना पड़ेगा, तब मैने कहाँ मैं आप लोगो को पहले भी गाड़ी की कीमत से ज्यादा रकम दे चुका हूं, अब मेरे पास पैसे नही है जिस पर पर वेद प्रकाश तिवारी गुस्से में आ कर गाली गलौच करने लगा और मै इनके चंगुल से जैसे तैसे निकल कर सीधा थाने पहोच कर घटना की सूचना दी,
परंतू आज दिनाँक तक पुलिस द्वारा न तो इन सूदखोर पत्रकारों पर कोई कार्यवाही हुई नही इन तथा कथित पत्रकारों से मुझे मेरी कार ही पुलिस दिला पायी हा सट्टा जुवा कबाड़ पकड़ कर अपनी पीठ जरूर थपथपा रही है। जानपर खेलकर दो नंबर के गैर कानूनी धंधा करने वालो का सच सबके सामने लाने वाले पत्रकार र्के ब इस स्तर पर आ कर पत्रकरिता को कलंकित करेंगे यह एक गंभीर सोचनीय मुद्दा है।वही दोषियों को बचाने के लिये पुलिस कोई कोर कसर बाकी नही रख रही है पुलीस शोसल मीडिया पर हुई बहस के आगे हुई चर्चा को बिना पढ़े ही हिटलर शाही फरमान जारी करने में अव्वल है चिरमिरी पुलिस के कई पुलिस कर्मियों पर तो मुकदमा कायम है। परंतु उन को छोड़ नए नए शिकार खोजने में माहिर चिरमिरी पुलिस को कुछ फ़र्ज़ी पत्रकार चला रहे। जो सुबह से शाम थाने में आने जाने वाली शिकायतों पर अपनी गिद्ध दृष्टि जमाये रहते है। और मौका मिलते ही पीड़ित को साहब से सैटिंग करने की और तत्काल कार्यवाही का झासा दे कर मोटी रकम वसूलते है। जिस में उनका साथ थाने में पदस्थ चंद सिपाही भी इन फ़र्ज़ी पत्रकारों को अपना भगवान मान बैठे है। मामला चिरमिरी तक ही रहता तो शायद बात बन जाती परंतु चंद चाटुकार जिनके पास न तो किसी संस्था का पहचान पत्र है ना ही वो भारत सरकार द्वारा बनाये नियमो के अंतर्गत आते, पर पत्रकारिता का रौब ही इन चाटुकारो का ब्रह्मास्त्र या ढाल बन चुका है।
आम आदमी के खिलाफ मिली शिकायत पर तो चिरिमिरी पुलिस पूरी जानकारी जुटाये बिना मुकदमा दर्ज कर देती है और सम्बंधित को गिरफ्तार भी कर लेती है । वही इन पत्रकारों पर आई पी सी की धारा 294,420, 406 ,506 तथा छत्तीसगढ़ रिणीयो के संरक्षण अधिनियम की धारा 3(ख) के मामले एक पखवाड़े से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी चिरिमिरी पुलिस कोई कार्यवाही करने से बच रही है । इस बारे मे जानकारी लेने कोई पत्रकार पहुँचता है तो उसे जाँच चल रही का चूरन दे कर विदा कर दिया जाता है। और मामले के आरोपी फ़र्ज़ी पत्रकार बड़े रौब से टेबल पर चाय की चुस्कियों के साथ कभी इसकी बुराई कभी उसकी बुराई कर कर के अट्टहास करते है। दबाव बनाने मे नाकामयाब इन फर्जी पत्रकारों के बॉस जो कि साजिश रचने में माहिर है ,जाँच की दिशा को कब तक प्रभवित करते है।
वही सूत्रों की माने तो इस कार से कई बार प्रेस का बोर्ड लगा कर समूचे चिरमिरी नगर व अस पास के गाव में गांजे की तस्करी भी की जाती रही है ,यदि पुलिस बारीकी से जाँच करती है तो कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है, पत्रकारिता का चोला पहनकर तथाकथित लोग सीधे साधे लोगो को अब और न ठग सके और पत्रकारिता के पेशे को अपनी ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले लोग पत्रकारिता के पेसे को दोबारा बदनाम न कर सके
वही रामरतन ने पुलिस को इनके खिलाफ सारे सबूत देकर उचित धाराओं मे मुक़दमा पंजीकृत कराकर इन्साफ दिलाने की मांग की है । देखना यह है की चिरमिरी पुलिस पीड़ित राम रतन को कब तक जाँच का बहाना करके टरकाती है ?