जानिए एक ऐसे कन्या आश्रम के बारे में जहां पर नवनिहालो से कराया जा रहा है झाड़ू ,पोछा के साथ जूठे बर्तन साफ
स्कूल जा पढ़े बर, जिंदगी ला गढ़े बर कैसे ?….
अजय तिवारी
बैकुंठपुर : एक तरफ सरकार अपने तीसरे पारी में विकास की बातें बताते नही थकती और दूसरी तरफ इन बातों के विपरीत प्रदेश के कन्या आश्रम में जूठे बर्तन धो रही बच्चियां ।ऐसा ही एक ताजा मामला कोरिया जिले के पहाड़ पारा स्थित प्राथमिक कन्या शाला आश्रम में सामने आया है जहां पर आश्रम में रहने वाली बच्चियां झाड़ू, पोछा ,कूड़ा कचरा करने के साथ झूठे बर्तन तक धोने के लिए विवश है इसके बावजूद भी उनको उचित शिक्षा नसीब नही हो पा रहा है
जिससे स्कूल जा पढ़े बर, जिंदगी ला गढ़े शासन का स्लोगन सिर्फ प्रचार-प्रसार तक ही सीमित रह गया है । एक ओर सरकार शिक्षा के गुणात्मक विकास का दावा करती है वहीं मैदानी स्तर पर इसकी सच्चाई के दावे वाकई बेहद शर्मनाक है।जबकि सरकार, स्कूलों में मध्यान्य भोजन दे रही है। ताकि गरीब के बच्चे भी स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान दें। भोजन पकाने के लिए रसोइये के साथ ही आश्रमो में बच्चियों को उचित शिक्षा मिल सके इसलिए उनके आवश्यकता अनुरूप
तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन कर्मचारियों का मनोबल इतना बढ़ गया है की इन आश्रमों में रहने वाली बच्चियों को भोजन देने के बाद उनसे जूठे बर्तन तक धुलवाएं जा रहे हैं।वहीं सोचनीय तथ्य यह भी है कि इस आश्रम में 1 सहायिका, 3 भृत्य व 1 जमादार नियुक्त है जिनका कार्य भोजन बनाने से लेकर साफ – सफाई की व्यवस्था इत्यादि अन्य कार्य है जो की इस कार्य के लिए शासन से हर माह वेतन पाते है लेकिन इसके बावजूद आखिर इन
बच्चियों से ऐसा शर्मनाक कार्य क्यों कराया जा रहा है समझ से परे है।लेकिन एक बात तो यहां पर स्पष्ट है की इस मामले में आश्रम अधीक्षक के साथ साथ सम्बन्धित अधिकारी भी बराबर के दोषी है क्योंकि उनके द्वारा अगर समय समय पर आश्रमो का निरीक्षण किया जाता तो कभी भी इस प्रकार का अराजकता इन आश्रमो में सामने नही आती ।बहरहाल अब इस मामले में देखना यह है की सम्बन्धित उच्च अधिकारियों द्वारा मामले की जांच करते हुए दोषी कर्मचारियों पर कोई ठोस कार्यवाही की जाती है या फिर उनको अपनी मनमानी चलाने के लिए और भी स्वतन्त्र कर दिया जाता है