डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद कर भाजपा कार्यकर्ताओं ने बूथ केन्द्रों में मनाया बलिदान दिवस
*(भानु प्रताप साहू- 9425891644)*
*बलौदाबाजार*। कसडोल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम हटौद, खरहा, बम्हनी, टेमरी, बोरसी, नंदनिया,परसदा, खर्री में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते 23 जून दिन शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिवस मनाया गया। उक्त दिवस पर भाजयुमो के जिला उपाध्यक्ष सत्यनारायण पटेल ने डॉ मुखर्जी के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।श्री पटेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 6 जुलाई, 1901 को कोलकत्ता में आशुतोष मुखर्जी एवं योगमाया देवी के घर में जन्मे डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी को दो कारणों से सदा याद किया जाता है पहला तो यह कि वे योग्य पिता के योग्य पुत्र थे आशुतोष मुखर्जी कोलकत्ता विश्वविद्यालय के संस्थापक उपकुलपति थे। 1924 में उनके देहान्त के बाद केवल 23 वर्ष की अवस्था में ही श्यामाप्रसाद को विश्वविद्यालय की प्रबन्ध समिति में ले लिया गया। 33 वर्ष की छोटी अवस्था में ही उन्हें कोलकत्ता विश्वविद्यालय के उपकुलपति की उस कुर्सी पर बैठने का गौरव मिला, जिसे किसी समय उनके पिता ने विभूषित किया था। चार वर्ष के अपने कार्यकाल में उन्होंने विश्वविद्यालय को चहुंमुखी प्रगति के पथ पर अग्रसर किया। भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष ने बताया की दूसरे जिस कारण से डॉ. मुखर्जी को याद किया जाता है, वह है जम्मू कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय की मांग को लेकर उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह एवं बलिदान। 1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद गृहमन्त्री सरदार पटेल के प्रयास से सभी देसी रियासतों का भारत में पूर्ण विलय हो गया, पर प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के
कारण जम्मू कश्मीर का विलय पूर्ण नहीं हो पाया। उन्होंने वहां के शासक राजा हरिसिंह को हटाकर शेख अब्दुल्ला को सत्ता सौंप दी। शेख जम्मू कश्मीर को स्वतन्त्र बनाये रखने या पाकिस्तान में मिलाने के षड्यन्त्र में लगा था। शेख ने जम्मू कश्मीर में आने वाले हर भारतीय को अनुमति पत्र लेना अनिवार्य कर दिया। 1953 में प्रजा परिषद तथा भारतीय जनसंघ ने इसके विरोध में सत्याग्रह किया। नेहरू तथा शेख ने पूरी ताकत से इस आन्दोलन को कुचलना चाहा, पर वे विफल रहे। पूरे देश में यह नारा गूंज उठा एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे। भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष ने आगे बताया की डॉ. मुखर्जी जनसंघ के अध्यक्ष भी थे वे सत्याग्रह करते हुए बिना अनुमति जम्मू कश्मीर में गये। इस पर शेख अब्दुल्ला ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया 20 जून को उनकी तबियत खराब होने पर उन्हें कुछ ऐसी दवाएं दी गयीं, जिससे उनका स्वास्थ्य और बिगड़ गया। 22 जून को उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। उनके साथ जो लोग थे, उन्हें भी साथ नहीं जाने दिया गया। रात में ही अस्पताल में ढाई बजे रहस्यमयी परिस्थिति में उनका देहान्त हो गया। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने अपने बलिदान से जम्मू-कश्मीर को बचा लिया। अन्यथा कुछ षडयंत्रकारी उसे पाकिस्तान में मिला देते । बलिदान दिवस के अवसर पर भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष ने सभी भाजयुमो एवं भाजपा कार्यकर्ताओं से आग्रह किया की जिस प्रकार से डॉ मुखर्जी ने राष्ट्र निर्माण तथा भारत की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। मुखर्जी के जीवन चरित को आत्मसाध कर हम सभी को राष्ट्र निर्माण के धेय के साथ अग्रसर होवें, ताकि गाँव, देश और समाज में बदलाव ला पायें। उक्त कार्यक्रम में ओम प्रकाश निराला कोषाध्यक्ष अजजा मोर्चा, शत्रुहन पैंकरा वरिष्ठ भाजपा नेता, राम दयाल पैंकरा बुथ अध्यक्ष, दुखू राम पटेल बुथ अध्यक्ष, योगेश पटेल, राम दयाल पटेल, प्रहलाद पैंकरा बुथ अध्यक्ष, तिरीथ राम पैंकरा बुथ अध्यक्ष, संत राम यादव, तीज राम विश्वकर्मा, घनश्याम मांझी सरपंच परसदा, तुलसी गोस्वामी बुथ अध्यक्ष, बृज लाल यादव स्थानीय अध्यक्ष कोयला दास मानिकपुरी जनपद सदस्य, नारायण सिंह पैंकरा स्थानीय अध्यक्ष, खम्भन वर्मा अध्यक्ष किसान मोर्चा, राम सिंह पैंकरा, समारू कैवर्त्य स्थानीय अध्यक्ष, उक्त कार्यक्रम में स्थानीय समिति के पदाधिकारी एवं भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।