December 17, 2025

अनुशासन, संस्कार और संकल्प की विजयगाथा:आईसीएसई बोर्ड परीक्षा में कुमारी गीत जैन ने शहडोल संभाग में प्रथम स्थान प्राप्त कर बुढ़ार को दिलाया गौरव

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बुढ़ार | जब सपनों को दिशा मिलती है, मेहनत को अनुशासन का साथ मिलता है और संस्कार आत्मबल बन जाते हैं, तब सफलता केवल अंकपत्र तक सीमित नहीं रहती, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन जाती है। बुढ़ार नगर की प्रतिभाशाली छात्रा कुमारी गीत जैन ने ऐसी ही प्रेरणादायी मिसाल पेश करते हुए आईसीएसई बोर्ड की कक्षा 10वीं (कॉमर्स) परीक्षा में शहडोल संभाग में प्रथम स्थान हासिल कर अपने परिवार, विद्यालय और पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
कुमारी गीत जैन, श्री ऋषि जैन एवं श्रीमती जूली जैन की सुपुत्री हैं। उनकी इस उल्लेखनीय सफलता से घर-परिवार ही नहीं, बल्कि एमजीएम स्कूल परिसर और समूचे बुढ़ार अंचल में हर्ष, गर्व और उत्साह का वातावरण है। यह उपलब्धि इस सच्चाई को उजागर करती है कि सीमित संसाधन कभी भी प्रतिभा की राह में बाधा नहीं बनते, यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और परिश्रम निरंतर चलता रहे।
अपनी सफलता पर प्रतिक्रिया देते हुए गीत जैन ने परिपक्वता और विनम्रता के साथ कहा,
“माता-पिता हमें विद्यालय इसलिए भेजते हैं कि हम केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि अनुशासन और संस्कार भी सीखें। लेकिन उनके विश्वास को सार्थक बनाना हमारी स्वयं की जिम्मेदारी होती है। इसके लिए आत्मसंयम, निरंतर अभ्यास और कड़ी मेहनत सबसे ज़रूरी है।”
उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का संपूर्ण श्रेय अपने विद्यालय के गुरुजनों को देते हुए कहा कि शिक्षकों का स्नेहिल मार्गदर्शन, समय-समय पर मिला उत्साहवर्धन और सतत सहयोग ही उनकी सफलता की वास्तविक नींव है।
वहीं, गीत जैन के पिता श्री ऋषि जैन ने पुत्री की सफलता पर भावुक स्वर में कहा,
“मैं एक साधारण व्यापारी हूँ और दिन-रात परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मेहनत करता हूँ। बच्चों की शिक्षा से जुड़े निर्णयों को उनकी माता और विद्यालय अधिक बेहतर समझते हैं। जीवन के ऐसे निर्णायक क्षणों में लिए गए सही फैसले ही बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाते हैं।”
उन्होंने विद्यालय प्रबंधन, शिक्षकों एवं समस्त स्टाफ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सफलता सामूहिक प्रयास, विश्वास और मार्गदर्शन का परिणाम है।
श्री जैन ने सभी विद्यार्थियों को प्रेरक संदेश देते हुए कहा,
“पढ़ाई को जीवन में सर्वोपरि स्थान दें, क्योंकि शिक्षा ही वह दीपक है, जो हर अंधकार में रास्ता दिखाती है और आपको हर परिस्थिति में आगे खड़ा करती है।”
कुमारी गीत जैन की यह सफलता केवल एक छात्रा की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज के लिए यह संदेश है कि अनुशासन, संस्कार और सतत प्रयास के बल पर कोई भी विद्यार्थी अपनी अलग पहचान बना सकता है। एमजीएम स्कूल और बुढ़ार क्षेत्र के लिए यह उपलब्धि निश्चय ही गौरव, प्रेरणा और भविष्य की उम्मीदों का प्रतीक है।

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