November 22, 2024

गर्मी आते ही गहराने लगी पानी की समस्या ग्रामिण क्षेत्रो मे समस्या गंभीर

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संभागीय ब्यूरो :अजय तिवारी 
कोरिया /सोनहत : गर्मी के मौसम में सूख रहे नदी नालों, तालाबों तथा हैंडपंपों और नलों की पतली धार ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है, भू-जल स्तर तेजी से गिर रहा है। इसे देखते इस गर्मी में कई स्थानों में भीषण जल संकट उतपन्न हो होने लगा है लोगों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से यही स्थिति बन रही है इसके बावजूद प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है। जिसके कारण साल दर साल समस्या गहराती जा रही हैं। क्षेत्र की एकमात्र जीवनदायनी हसदेव का पानी सूख रहा हैं। मछलियां, मेंढक, सांप, कछुआ तथा अन्य जलीय जीव लगभग लुप्त हो गए हैं। साथ ही निस्तारी की समस्या शुरू हो गई है। ऐसा ही रहा तो ं ग्रामीणों सहित पशु-पक्षियों को भी पीने के पानी के लिये समस्याओ का सामना करना पडेगा। उल्लेखनीय है की हर साल इस तरीके की समस्या सामने आती है फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में इन समस्याओ की  अनदेखी की जाती है। भरत पुर सोनहत विधान सभा अतर्गत ग्राम सोनहत के समस्त वार्डों सहित रजौली पोडी सलगवां धुम्माडांड उरांव पारा तहसील पारा अन्य कई क्षेत्रों के अधिकांश जल स्रोत लगभग सुखने के कगार पर है साथ ही  अल्पवर्षा एवं खंड वर्षा के चलते जलाशयों में पर्याप्त पानी नहीं भर पाने के कारण गर्मी में जल संकट गहराने लगा है। वहीं पानी की समस्या से निजात दिलाने पुर्व में कई गांवों में तालाबों का निर्माण कराया गया मगर यह तालाब मात्र शो पीस बनकर रह गए हैं। अनुविभाग मुख्यालय सोनहत सहित सभी क्षेत्र के अधिकांश तालाबों में पानी तेजी से सूख रहा है और कई तलाबों में तो अभी स्थिती भयावह हो गई है। पानी के अभाव में पशु पक्षियों को भी दर-दर भटकना पड़ रहा है। रोजगार गारंटी से सिंचाई, तालाब गहरीकरण की योजनाओं पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। हैंडपंपों और नलों की धार पतली हो चली है। नल-जल योजना भी, अधर में पड़ी है तो कुछ जगह फ्लाप साबित हुई है। कहीं नल होते हुए भी पानी नहीं आता है। इन दिनों ग्रामीणों को मवेशियों की चिंता सता रही है। वहीं पंचायतों द्वारा बनाया गया तालाब मानसूनी तालाब बन गया है। जिनमें सिर्फ बरसात का पानी रहता है शासन द्वारा तालाब निर्माण, नल-जल योजना, सिंचाई योजना, गहरीकरण योजना पर लाखों रूपए हर साल खर्च होते हैं लेकिन यह व्यर्थ साबित हो रहे हैं। वहीं क्षेत्र की नहरे भी बरसाती नहर बन गई हैं
घुनघुटटा बांध से हो पेय जल आपुर्ति
विकासखंड सोनहत में प्रति वर्ष उत्पन्न होने वाले जल संकट को देखते हुए ग्रामीणो ने घुनघुटा परियोजना शुरू करने की मांग लोक सुराज अभियान में किया है हलाकी यह मांग पिछले कई सुराजों में किया जा चुका है लेकिन इस पर कोई अमल अभी तक नही हुआ है। ग्रामीणों का मानना है की टयुब वेल एवं नल जल से जल संकट को दूर नही किया जा सकता क्योकी हर माह किसी न किसी कारण से नल जल योजना खराब हो ही जाती है जिससे ग्राम जनो के मध्य जल संकट उतपन्न हो जाता। घुनघुटा जलाशय एक बडंे जलाशयों में गिना जाता है और यदि प्रशासन द्वारा सकारात्मक पहल करते हुए इसके पानी को फिल्टर कर सोनहत क्षेत्र में वितरण किया जाए तो जल संकट की समस्या लंबे समय के लिए खत्म हो सकती है।
सिचाई का रकबा कगजों में
सोनहत क्षेत्र में डउकाबुड़ा जलाशय की हालत अभी से खराब हो चुकी है आलम है की जल स्तर काफी नीचे चला गया है ऐसा लग रहा है की गर्मी का मौसम चढते ही यह जनाशय सूख जाएगा वहीं विभागीय आकड़ों के अनुसार यह जलाशय बड़े पैमाने पर भूमि को सिंचत कर रहा है जबकी हकीकत यह है की इस साल इस जलाशय का लाभ गिनति के किसानों को ही मिल पाया डउकाबुड़ा जलाशय की नहर का अत्यंत बुरा हाल हो गया है नहर की सफाई हुए कई वर्ष बीत चुके है आलम है की नहरों में बड़ी बड़ी झड़ियों के उग आने से नहर अब दिखाई ही नही पड़ रही है वहीं कई स्थानों पर नहरों के जाम होने से पानी पास होने में भारी दिक्क्तों को सामना करना पड़ रहा है।
क्या कहते है ग्रामीण
पुष्पेन्द्र राजवाडे
प्रति वर्ष नल कूप में शासन लाखों रूपए खर्च करती है यदि एक बार घुनघुटा बांध से पाईप लाईन के माध्यम से जल परियोजना प्रारंभ कर जलापुर्ति किया जाए तो हर वर्ष होने वाले जल संकट से बचा जा सकता है ।
लव प्रताप सिंह 
घुन घुटा एक बडा जलाशय है जिससे सोनहत मुख्यालय में जलापुर्ति की जा सकती है । हर साल पानी की दिक्कतों को देखते हुए इस विषय पर शासन को विचार करना चाहिए
  इस्लाम खान 
सोनहत क्षेत्र में प्रति वर्ष उत्पन्न हो रहे जल संकट को देखते हुए अब यह आवश्यक हो गया है की घुन घुटा जलाशय से पाईप लाईन के माध्यम से जल आपुर्ति कराई जाए ।
विरेन्द्र साहू 
जलापुर्ति के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया गया तो आने वाले समय में बहुत परेशानी होगी, हर साल समस्या होने के बावजूद उसकी अनदेखी आने वाले दिनों में भारी पड़ सकती है जल संरक्षण एवं जलापुर्ति की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

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