सिस्टम का भ्रस्टाचार:- 1 हफ्ते से भटकने के बाद भी नहीं हो रहा काम,
समग्र आईडी में नाम जुड़वाने के लिए लगाना पड़ रहा है चक्कर
उमरिया(अविरल गौतम )बिरसिंहपुर पाली मध्य प्रदेश सरकार लगातार नई योजनाएं लांच कर रहे हैं। जहा वह योजनाएं धरातल पर तो है लेकिन उसके नुमाइंदे इस कदर अपने आप में खोए हुए हैं कि सही ढंग से लोगों को सुविधा नहीं मिल पाती है। लोग अपने अपने पदों का दुरुपयोग भी करते हुए देखे जा रहे हैं।
दरअसल यह पूरा मामला उमरिया जिले के पाली नगर पालिका क्षेत्र का है जहां पाली नगर पालिका क्षेत्र में अधिकारी और कर्मचारी अपने आप में ही मदमस्त हैं। जो व्यक्ति अपना काम लेकर आते हैं उसे कम से कम 1 महीने तक चक्कर काटना पड़ता है उसके बाद उनका काम होता है वह भी काफी मिन्नतें करने के बाद।
समग्र आईडी में अपने बच्चे का नाम जुड़वाने के लिए एक व्यक्ति पिछले 1 हफ्ते से भटक रहा है लेकिन उसका काम नहीं हो पा रहा है। उसे बार-बार नगरपालिका में बुलाया जाता है और उसे है कह कर भेज जाता है कि आपका काम अभी नहीं होगा। आखिर भ्रष्ट प्रशासन की किस प्रकार की लापरवाही है कि एक छोटा सा काम जो कि नगरपालिका का मुख्य काम है और जिससे जनगणना से लेकर सारे का समग्र आईडी के बिना नहीं हो सकते हैं वह काम भी लोग लापरवाही पूर्वक क्यों करते हैं।
जब इसके बारे में नगर पालिका सीएमओ भूपेंद्र सिंह से कहा गया तो नगर पालिका सीएमओ भूपेंद्र सिंह का कहना है कि आप परेशान मत होइए हमारे पास आइए हम काम करवा देंगे लेकिन आज नहीं आपको सोमवार को आना होगा। अब आप इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जब एक जिम्मेदार अधिकारी खुद 3 दिन बाद लोगों का काम बुला रहे हैं और कह रहे हैं कि 3 दिन बाद आपका काम होगा तो सोचिए कि एक आम इंसान कैसे काम न करवा सकता है।
इतना ही नहीं हैरानी की बात तो यह है कि हमारे यहां के एसडीएम हैं खेमकरण धुर्वे जी उनका भी कहना यही है उनका कहना है आज शनिवार है आज वहां ऑफिस में कोई नहीं होगा इसलिए आप सोमवार को आइए और हमें शिकायत करिए हम आपकी शिकायत जरूर सुनेंगे। यानि कहने का मतलब है कि आज भी शिकायत का निराकरण नहीं होगा। जमाना कितना भी हाईटेक क्यों ना हो जाए लेकिन उन्हें शिकायत लिखित में करेंगे तभी वह कार्रवाई करेंगे जबकि फोन में सूचित कर दिया गया है कि इस तरह की समस्या हो रही है फिर भी समस्या सुनने के बावजूद उन्हें बुलाया जाता है और बुलाने के बाद उनकी समस्याओं पर ध्यान देने की बात कही जाती है लेकिन समस्या समाधान नहीं की जाती है।
सवाल एक और उठता है कि आखिरकार समग्र आईडी से छोटे कार्य और महत्वपूर्ण कार्य के लिए हमें एसडीएम तक का सहारा क्यों लेना पड़ रहा है अगर लोग और कर्मचारी अपने अपने जिम्मेदारी को पूर्ण रूप से कर ले तो हमें एसडीएम या कलेक्टर तक के जाने की आवश्यकता नहीं होगी लेकिन ऐसा प्रशासन किस बात का है कि हमें आखिरकार एसडीएम तक इस बात को पहुंचाना पड़ रहा है लेकिन फिर भी एसडीएम भी उन सब बातों को दरकिनार कर रहे हैं।