स्व सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने स्थानीय उत्पादों को बढावा देना होगा- श्रीमती अमिता चपरा
वोकल फॉर लोकल से महिलाएं होगी आत्मनिर्भर- श्रीमती चपरा
शहडोल 05 फरवरी 2022- देश के प्रधानमंत्री की मंशा वोकल फॉर लोकल को हम सब तभी साकार कर सकेंगे जब स्थानीय उत्पादों से विभिन्न प्रकार की सामग्रियां तैयार कर उनके बेहतर मार्केंटिग की व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो सकें इस हेतु स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिला सदस्यों को इनका प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के नये आयामों से जोड़ना होगा। जिससे वे अपने बेहतर जीविकोपार्जन हेतु छोटे-छोटे उत्पाद तैयार कर एवं उन्हें बेचकर अपनी आमदनी बढाने में सक्षम होगी। हमारे प्रदेश एवं जिले के अनेक उत्पाद जिनसे बेहतर सामग्रियां तैयार कर उन्हें बिक्री कर यह काम संभव हो सकेगा। प्रधानमंत्री ने देश में 100 करोड़ रूपये का महिला कोष बनाकर उससे महिलाओं के जीवन को सुदृढ़ बनाने की मंशा जागृत की है। उन्होंने कहा कि इसी दिशा में मैं प्रदेश के शहडोल जिलों को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महिलाओं को स्व सहायता समूहों के माध्यम से विकसित करने का काम करने के लिए प्राथमिकता के साथ काम करूंगी। उन्होंने नींबू के छिलके को फेंकने के वजह उसके बेहतर पेस्ट बनाने का टिप्स बताते हुए कहा कि नींबू के छिलके को पीस कर उसमें संेधा नमक, अजवाइन, हींग, लहसुन एवं काला नमक मिलाकर स्वास्थ्यवर्धक एवं स्वदिष्ट पेस्ट या चटनी बनाई जा सकती है। स्व-सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के कार्य हम सब को मिलकर करने होंगे जिससे महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ आमदनी के स्त्रोत भी सृजित होंगे। यह विचार अध्यक्ष महिला वित्त एवं विकास निगम श्रीमती अमिता चपरा ने आज स्थानीय कल्याणपुर में संचालित सह जीवन समिति के उत्पादों के अवलोकन अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सह जीवन समिति एक अच्छी परिकल्पना के साथ नाम के सहित काम को धरातल पर उतार रही है यह स्वय सेवी संस्था अन्य संस्थाआंे से हटकर है यहां दिये जा रहें अनेक उत्पादों के विषयवार प्रशिक्षण प्राप्त कर लोग अपनी आय को बढाएगें तथा इनसे प्रशिक्षण लेकर महिलाएं स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनेगी। इस मौके पर उन्होंने गेंहू, सोयाबीन, मूंगफली, मूंगदाल, सांेठ, घी एवं मिश्री से निर्मित प्रोटीन पाउडर, कच्चा पपीता की बड़ी, मुन्गा पत्ती की बड़ी, अमरू के फूल, महुआ के उत्पाद, मोंवा घास, लेवन ग्रॉस, सतावरी, सोंठ का त्रिकटयुक्त गुढ, तिलवारिया का बिस्कुट आदि स्थानीयता की वस्तुओं को बढावा देने की अन्य सामग्रियों का भी अवलोकन किया एवं उत्पादों को स्वय क्रय भी किया।
इस मौके पर मनीषा माथनकर एवं गिरिधर माथनकर, संचालक सहजीवन समिति ने कहा कि जन सहभागिता से टीकाऊ विकास के प्रति संकल्पित महिलाओं के समग्र विकास हेतु सक्रिय यह संस्था 21 वर्षाें से कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि सामाजिक,सांस्कृतिक व अध्यात्मिक व्यवस्थाओं को आगे बढाने के उददेश्य से जिले में 10 हजार परिवारांे को स्व-सहायता समूह से जोड़ा गया है ग्राम स्वरोजगार व्यवस्था के तहत एनजीओ का कार्य अनेक क्षेत्रों में लोंगो प्रशिक्षित कर उनके जीवन में बदलाव लाना है। उन्होंने वाटर शेड योजना का उपयोग सब्जी, फलदार व औषधीय पौधों का विकास करने, उद्यानिकी विभाग के साथ मिलकर कार्य करने मुर्तरूप दिया जा रहा है साथ ही जिले की 5697 वर्ग किलो मीटर की भूमि को विविध रूप से विकसित करने नागरिकों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पौराणिक चींजो का संरक्षण, संवर्धन एवं प्राकृतिक संसाधन एवं प्रबंधन तथा जल संरक्षण के कार्य भी किये जा रहे हैं। साथ ही देश में मानव व प्रकृति को संरक्षित करने युवाओं के सुझाव लेकर भी कार्य किये जाएगें। उन्हांेने कहा कि जिले में नर्मदा, सोन, जोहिला जैसी बड़ी नदियों और अनेकांे जड़ी-बुटियों की प्रचूर मात्रा में बहूल्यता है।
अध्यक्ष महिला वित्त विकास निगम ने सहजीवन समिति के प्रांगण में स्थापित माला बनाने, तुलसी के पौंधों, एक पेड़ में कई बिरायिटी के आम के पौंधे सहित अन्य औषधीय पौंधों की पौधशालाओं का भी अवलोकन किया और उनकी प्रक्रियाओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी हासिल की।
अध्यक्ष ने आंवला लड्डू, आंवला जल जीरा, आंवला सौंप, कच्ची हल्दी व अदरक का अचार, हैंड बैग, लाल मिर्ची की चटनी आदि अनेकों उत्पादों का अवलोकन किया एवं उनकी निर्माण प्रक्रियाओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी हासिल प्राप्त की।
इस मौके पर परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास श्रीमती जशवंत कौर हूरा श्री रवीन्द्र वर्मा, श्री सुनील मिश्रा, श्री होल्कर सिंह परस्ते, श्री अभिषेक श्रीवास्तव, श्री मुकेश जेठानी, श्री इस्ताक खान, श्री राकेश सोनी सहित अन्य लोग उपस्थित थें।