शहडोल जिले की ग्राम बटूरा में आज भी स्वनिर्मित खदान से बदस्तूर जारी है अवैध कोयला निकासी।
क्या अवैध कारोबारियों एवं स्वनिर्मित खदान संचालकों से भयभीत है शासन प्रशासन?
शहडोल।अपार प्राकृतिक संपदा ओं खनिजों एवं बहुमूल्य औषधियों की खान है संभाग शहडोल जहां पर मेकलसूता नर्मदा एवं सोन नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक वन्यजीवों औषधीय वृक्ष, वन, पशु, पक्षियों के विहंगम दृश्य के लिए पर्यटकों एवं पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है उसी प्रकार अपार खनिज संपदा बॉक्साइट, कोयला, मीथेन गैस एवं अन्य खनिजो से परिपूर्ण जल, मृदा, कृषि योग्य भूमि के लिए भी अपने आप मे ख्याति प्राप्त है।
गौरतलब हो कि शहडोल संभाग के अंतर्गत अनूपपुर, उमरिया, पुष्पराजगढ़, राजनगर, रामनगर, जमुना, भालू मा डा, धनपुरी, बरगवां, बकही, वकहो,देव हरा, बटुरा, बिछिया, रामपुर, बगवार, बम्होरी, अर झूला, सिरोंजा, खैर हा सहित और कई ऐसे गांव है जहां पर प्रकृति की अपार खनिज संपदा आएं भरी पड़ी है जिनमें से कई जगह इनके नीचे की भूमि से करोड़ो टन कोयले का निकासी कर लिया गया है और वर्तमान में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के द्वारा बटुरा रामपुर उपक्षेत्र के नाम से 200 वर्षों तक चलने वाले कोयला निकासी के माध्यम के रूप में कोयला खान खोलकर काले सोने के खनन की तैयारी जल्दी होने जा रही है। और कई जगह अभी भी कई कोयला खदानों से निरंतर कोयला खनन जारी है। कई वर्षों से शहडोल संभाग की धरा पर बिजली उत्पादन के लिए मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड मध्य प्रदेश विद्युत मंडल चचाई,कागज कारखाना ओरियंट पेपर मिल अमलाई, बॉक्साइट खदान से निकासी हो रही बॉक्साइट अमरकंटक,जनपद पंचायत बुढ़ा र अंतर्गत आने वाले ग्रामों एवं सुहागपुर जनपद अंतर्गत आने वाले ग्रामों से मीथेन गैस की निकासी सहित कई ऐसे ग्राम संभाग के अंदर हैं जिन की सरजमी से अपार प्राकृतिक संपदा ओं कोयला खदानों से कोयले की निरंतर निकासी कर अन्यत्र स्थानों के लिए कच्चे माल भेजे जाते रहे हैं।
ऐसी स्थिति में क्या जिला प्रशासन एवं संभागीय कार्यालयों में इनके द्वारा प्राकृतिक संपदा ओं का किया जा रहा खनन और दोहन से प्राप्त होने वाली आय व उस पर लगने वाला टैक्स नहीं प्राप्त होता होगा? और इन से प्राप्त कर कब कहा और कैसे पहुंचता है इससे अनभिज्ञ है क्या?
फिर सवाल यह भी उठता है कि यह तो धरती के अंदर से निकाले जाने वाली प्राकृतिक संपदा है लेकिन शहडोल संभाग की धरती के ऊपर वह रही नदियों से निकाले जाने वाले रे त, पहाड़ों को तोड़कर बड़े-बड़े पत्थरों के रूप में निर्माण सामग्रियों की आवश्यकता की पूर्ति भी की जा रही है। तो इन से प्राप्त होने वाला टैक्स व कर कब कहां और किसके खाते में जाता है।
इस पर सवाल नहीं किया जा सकता क्योंकि यह शासन प्रशासन की व्यवस्था है किंतु आज कई वर्षों से प्राकृतिक संपदाओं का निरंतर दोहन किया जा रहा है जोकि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के द्वारा बटू रा रामपुर उप क्षेत्र के नाम से कोयला निकासी की तैयारी पूर्ण कर ली गई है जहां पर ग्राम बटूरा में वहां पर निवासरत कुछ लोगों के सहयोग से अवैध खनन करने वाले अवैध कारोबारियों के द्वारा स्वनिर्मित खदान बनाकर शासन की संपत्ति की चोरी बदस्तूर निरंतर जारी है कई बार जिला प्रशासन खनिज विभाग के द्वारा इन अवैध संचालित खदानों को बंद कराया गया यही नहीं इन अवैध खदानों में कई मासूमों की जान चली गई फिर भी वर्तमान स्थिति में आज भी कुछ तथाकथित अवैध लोगों के द्वारा जमीन से उठकर आसमान तक का सफर इस प्रकार अवैध कोयला निकासी कर बड़े-बड़े ट्रक में लोड करा कर चोरी की गई कॉले सोने की कमाई से करोड़पति हो गए।
इस प्रकार शासन की संपत्ति चाहे वह अवैध कोयला निकासी, वनों की कटाई, या मिथेन गैस की निकासी या फिर नदियों व पहाड़ों से निकाली जाने वाली रे त व पत्थर हो इन अवैध कारोबारियों पर शासन-प्रशासन कब कसेगा नकेल।