जन आंदोलन से ही हो सकता है जीवनदायिनी नदियां व प्रकृति संपदा की सुरक्षा।
रेत उत्खनन की समस्या का निदान शासन प्रशासन के लिए नासूर हो गए।
शहडोल। (अविरल गौतम) संभाग अपार एवं बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा से भरा पड़ा है,जहां चहूं ओर नदी जंगल और जमीन को लेकर मची लूट को रोकने में नाकाम साबित हो रहा शासन प्रशासन आए दिन नदियों में बड़े-बड़े मशीनों को उतारकर रेत उत्खनन करने वाले सरकार की संपत्ति को अपने बाप की संपत्ति मानकर दिन रात चोरी करने में जुटे और जनता की सेवा और शासन की संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर अच्छे जनप्रतिनिधि व पत्रकार इन लुटेरों और डकैतों के गुंडागर्दी व अवैधानिक कृत्य के निरंतर निगरानी व शिकायतों के कारण शिकार हो जा रहे कारण माने तो इन्हें जंगल, जमीन और नदियों में भरी अकूट प्रकृति की संपत्ति जिस पर शासन का अधिकार है जानबूझकर अंजान बने बैठे जनता की सेवा की दुहाई और पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन को लेकर महज बड़े-बड़े विज्ञापनों व पोस्टरों सहित अखबारों की सुर्खियां में वाह वाही लूटने वाले प्राकृतिक संपदाओं की सुरक्षा के संरक्षक बने बैठे लोग जानबूझकर अनजान है। जबकि इनकी नजरों के सामने खुले तौर पर नदियों में एनजीटी के द्वारा बनाए गए सख्त व कड़े कानूनों के बावजूद दिनदहाड़े बड़े-बड़े पोकलेन मशीन उतारकर सरेआम लोगों की नजरों के सामने धड़ल्ले से सीना ठोककर हाईवा वाहनों के माध्यम से नदियों का रेत उत्खनन कर सरकार की संपत्ति व कोष में डाका डाल रहे।
कई वर्षों से शहडोल संभाग अंतर्गत नदियों के अंदर से रेत उत्खनन करने में कई ठेकेदारों व प्राइवेट कंपनियों के नाम नीलामी कर शासन और प्रशासन के नियमों व शर्तों की तेरहवी, वार्षिक श्राद्ध करने में जुटे हैं। इधर शासन के द्वारा कहा जा रहा है,की नदियों में मशीनों का संचालन नहीं किया जाएगा और पोकलेन मशीन के माध्यम से रेत निकासी नहीं की जाएगी फिर भी यह कैसा कानून है, की इन प्रकृति के लुटेरों के द्वारा शासन के निर्देशों को धता बताते हुए सब कुछ देखता प्रशासन आंखों में पट्टी बांधा हुआ है। इससे ऐसा लगता है कि कानून की किताबों में सुना था व पढ़ा था कि “कानून अंधा होता है” यहां तो सब कुछ सामने दिखता है फिर भी इन्हें प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने की खुली छूट दी गई है।
संभाग के अनूपपुर शहडोल अंतर्गत बहने वाली जीवनदायिनी नदियों के साथ केजी डेवलपर्स व वंशिका ग्रुप जिनके कारनामों के बड़े-बड़े ग्रंथ बन चुके हैं,उनके द्वारा शहडोल संभाग की जीवनदायिनी एवं पावन नदियों के बीच से बड़े-बड़े गड्ढे खोदकर मशीनों के माध्यम से इस कदर रेत निकासी की जा रही है की नदियों की दशा और दिशा बिगाड़ कर रख दिया है। देखकर ऐसा प्रतीत होता है की किसी ने मानव जाति पर आधारित धर्म की नींव और प्रकृति की आधारशिला को ही छलनी कर दिया जा रहा है। शिकायतों की एक लंबी फेहरिस्त व फाइलें जिनमें धूल जमकर कचरे के ढेर में फेंक दिया गया ऐसी ऐसी घटनाएं व वारदातें रेत उत्खनन को लेकर पूरे जिलों में मामले उजागर होने के बाद कार्यवाही ना होने के उपरांत आज भी जिम्मेदारी का निर्वहन जिन्हें इस प्रकार हो रहे अवैध कार्यों के रोकथाम व शिकायतों पर कार्यवाही के लिए नियुक्त किया गया उनके द्वारा मुंह मोड़ कर अपने कार्यालयों में स्वच्छ व ठंडे हवा के साथ वातानुकूलित कार्यालयों में आनंद पूर्वक सब कुछ होता देखकर लुत्फ उठाया जा रहा है। क्या इन अवैध रेत उत्खनन करने वाले प्राइवेट कंपनियों ठेकेदारों के ऊपर कार्यवाही न करने से ऐसा प्रतीत होता है कि शासन प्रशासन इनके सामने नतमस्तक है।
इसी क्रम में कुछ दिनों पूर्व अनूपपुर जिले के जिला कार्यालय के बगल से गुजरी सोन नदी बरबसपुर,चचाई केल्हारी, बटूरा घाट, चाका खमरोध, जरवाही नवलपुर और कई ऐसी जगह पर रेत की अवैध निकासी की जाती है जहां पर शासन प्रशासन की नजर जाती है पर दिखाई नहीं देता वही हाल शहडोल संभाग के जयसिंहनगर मसीरा घाट सोन नदी में पांच पोकलेन मशीन लगाकर दिनदहाड़े रेत उत्खनन कर नदियों के प्राकृतिक बहाव को उलट पलट कर बड़ी-बड़ी डींग हांकने वाले उच्च स्तरीय नेताओं जिनके द्वारा नदियों के संरक्षण संवर्धन को लेकर बड़े-बड़े भाषण आए दिन अखबारों हुआ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से पढ़ने और सुनने को मिलते रहते है। यही हाल वन सुकली पहाड़िया ओदरी नदी, भटीगमा, चूं दी नदी , भुरसी नदी, लोड़ी सीधी कुन कुन नदी आदि जगह से निरंतर सभी नियमों कानूनों की अनदेखी करते हुए अवैध रेत उत्खनन का कार्य जारी है।
नदी के किनारे बसे ग्रामों की जनता, जनप्रतिनिधि, पत्रकार जिनके द्वारा निरंतर देशहित वह जनहित में अपने प्राणों को संकट में डाल कर इनके द्वारा किए जा रहे अवैध कार्यों की शिकायत कर कर के थक गए किंतु शासन प्रशासन चुप्पी साधे बैठी है।