गोलमाल : तृतीय वर्ग के कर्मचारी को वित्तीय अधिकारी देकर रचा इतिहास
क्रमोन्नति को बताया पदोन्नति और भ्रष्टाचारी को दे दी कमान
खुद सहायक आयुक्त सहित टे्रजरी अधिकारी बयानों में उलझे
तृतीय वर्ग कर्मचारी मंडल संयोजक एमएस अंसारी को राजपत्रित अधिकारी की तरह उसे सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग का कोषालय से धन आहरण का अधिकार दे दिया गया.? इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो मंडल संयोजक तृतीय वर्ग कर्मचारी के हस्ताक्षर से जिला कोषालय अधिकारी ने बड़ी रकम आहरित करने में अपने मुहर भी लगा दी। तो क्या यदि कोई भृत्य अथवा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को यदि सहायक आयुक्त का प्रभार दे दिया जाए तो कोषालय अधिकारी उसे करोड़ों रुपए आहरण करने पर अपनी सहमति देते हुए शासकीय धन को नियम विरुद्ध तरीके से अपने को से निकलने देंगे.?
शहडोल।(अबिरल गौतम ) आदिवासी विभाग में वरिष्ट प्राचार्यो को दरकिनार कर सहायक आयुक्त का प्रभार तृतीय श्रेणी कर्मचारी मंडल संयोजक एमएम अंसारी को दे दिया गया है। बात इतने में ही सीमित नहीं है तृतीय श्रेणी कर्मचारी अंसारी को ही आहरण व संवितरण का अधिकार भी दे दिया गया है। इनके द्वारा वेतन का आहरण भी किया जा चुका है। अब सबाल उठाए जा रहे है कि क्या वित्तीय नियम के तहत तृतीय वर्गकर्मचारी को आहरण का अधिकार है क्योकि मंडल संयोजक का पद तृतीय श्रेणी का है। इतना ही नही सहायक आयुक्त का प्रभार लेने वाले अंसारी को सीएम निलंवित कर चुके है।
क्या कहते है नियम
मध्य प्रदेश वित्त संहिता जिल्द 1 नियम 29 में परिभाषित किया गया है कि संवितरण अधिकारी से आशय उस अधिकारी से है जो कोषालय में देयक के माध्यम से धन का आहरण करता है। साथ ही 2 टिप्पणियां भी दर्ज हैं एक में कहा गया है संवितरण अधिकारी घोषित करने का अधिकार विभाग प्रमुख को प्रदत्त है टिप्पणी दो में स्पष्ट है मध्यप्रदेश कोषालय संगीता भाग 1 सहायक नियम 125 के अनुसार मूल आहरण एवं संवितरण अधिकारी (कार्यालय प्रमुख) अपने यह अधिकार अपने अधीनस्थ किसी अन्य राजपत्रित अधिकारी को सौंप सकता है।और इसके बाद सरकारी कर्मचारियों के प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों का वर्णन है।इसी तरह मध्यप्रदेश शासकीय कर्मचारी क्रमोन्नति एवं समय मान वेतनमान योजना में प्रदत्त नियम निर्देशों के तहत वित्त विभाग के पृष्ठांकन के 734/ एस /110/ 99 /मह/ सी/ चार दिनांक 19-4-99 द्वारा महालेखाकार मध्य प्रदेश ग्वालियर में स्पष्ट पृष्ठाअंकित है किवेतनमान क्रमोन्नति के फलस्वरूप अधिकारी कर्मचारी के पद नाम में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
जानकारो की यह है राय
सेवानिवृत्त आदिवासी विभाग के अधिकारी का स्पष्ट कहना है कि जो भी हो रहा है वह निर्धारित नियमों के खिलाफ है क्योंकि क्रमोन्नति अथवा वेतन मान परिवर्तन से तृतीय वर्ग कर्मचारी की श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के रूप में परिवर्तित नहीं होती इसकी व्याख्या आदिवासी विभाग के जो भी उच्चाधिकारी कर रहे हैं या तो उन्हें इसकी समझ नहीं है या फिर भी जानबूझकर निहित बड़े भ्रष्टाचार के लिए वित्तीय नियमों के खिलाफ काम करने जा रहे हैं। यह प्रश्न इसलिए खड़ा होता है क्योंकि वित्तीय अनियमितताओं की अराजकता का आलम आदिवासी क्षेत्र शहडोल में भ्रष्टाचारियों के नंगे नाच से तार-तार हो रहा है… यह अलग बात है कि उसकी शुरुआत कानून और नियम निर्देशों के नंगे नाच से उस वक्त चालू हुआ था जो मंडल संयोजक एमएस अंसारी स्वयं सोहागपुर विकासखंड में की शिक्षा कर्मी वर्ग 3 के चयन कमेटी में मेंबर होकर पूरी चयन कमेटी को भ्रम में रखकर अपनी पत्नी जुबेदा अंसारी को वर्ग 3 का शिक्षाकर्मी किसी गांव में बनाया था ..।, सबसे बड़ी बात यह है कि उसके इस भ्रष्टाचार के आर्थिक साम्राज्यवाद में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का शिक्षक संघ फूल और गुलदस्ते लेकर उसका स्वागत करने, एक भ्रष्टाचारी का मनोबल बढ़ाने के लिए सबसे पहले जा धमका…, तो क्या यह आदिवासी क्षेत्र में भ्रष्टाचारियों की सल्तनत विस्तार का पारदर्शी तरीका भी है।
ट्रेजरी अधिकारी पर उठ रही उंगली
बहराल यह बात कानूनी और वित्तीय नियम निर्देशों में किसी अंसारी के भ्रष्ट आचरण का मोहताज क्यों होना चाहिए. जब जिला कोषालय अधिकारी अपने स्वतंत्र अस्तित्व से शासन के राजस्व कोष की चौकीदारी करता हो। क्या उन्हें कोई भ्रम हो गया था अथवा वह किसी बड़े दबाव में थे या फिर उन्हें नियम निर्देशों का ज्ञान नहीं था ….? यह बात भी क्यों नहीं देखी जानी चाहिए….। आखिर यह देश ट्रांस्प्रेंट इंडिया का नया इंडिया भी जो बन रहा है…।
इनका कहना है
वित्तीय अधिकारी नियमो के अनुरूप ही दिये गये हैं, बाकी जानकारी आप कार्यालय में आकर हमसे ले सकते हैं।
एम.एम.अंसारी
सहायक आयुक्त, शहडोल
नियमत: तृतीय श्रेणी कर्मचारी को सहायक आयुक्त का प्रभार नहीं मिलना चाहिए। आहरण का सबाल ही नहीं उठता है। लेकिन एमएम अंसारी को शहडोल में सहायक आयुक्त का प्रभार मिला है। शायद वे शिक्षको का वेतन भी निकाल चुके है। इससे हम सहमत नहीं है।
जेपी सरवटे
संभागीय उपायुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग शहडोल
वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया है, नियमों की तो बात नहीं, लेकिन वरिष्ठ कार्यालय का आदेश मानना हमारा दायित्व है, इसलिये तृतीय वर्ग के कर्मचारी को आहरण के अधिकार दिये हैं।
आर.एम.सिंह
जिला कोषालय अधिकारी, शहडोल