सड़कों की सफाई में दिखा ईंट-पत्थरों का अंबार, सिर्फ एक इलाके से निकलीं 2000 KG ईंटें

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 नई दिल्ली 
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में हिंसा की आग ऐसी भड़की कि देखते ही देखते करीब 38 लोगों की जानें चली गईं। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इलाकों में हुई हिंसा में पत्थरबाजी और आगजनी का खौफनाक नजारा देखने को मिला। पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) ने गुरुवार को दंगा प्रभावित इलाकों की मुख्य सड़कों की सफाई शुरू की, जिसमें भजनपुरा, यमुना विहार, जाफराबाद और खजूरियां खास शामिल हैं। यहां की सड़कों पर चारों तरफ पत्थर, ईंट के टुकड़े, टाइल्स मार्बल के टुकड़े बिखरे पड़े थे। इन सबका इस्तेमाल हिंसक भीड़ ने एक दूसरे पर हमला करने के लिए किया था। 

जब दंगा प्रभावित इलाकों के इन सड़कों और फुटपाथों की सफाई की गई तो ईंट-पत्थरों का जैसे अंबार खड़ा हो गया। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अकेले कर्दमपुरी से कम से कम 2,000 किलोग्राम ईंट (लाल ईंट के टुकड़े) हटाए गए। उन्होंने कहा कि ईंटों को सड़कों पर लाइन से फैला दिया गया था और इसे बोरियों में भरकर गलियों में रखा गया था। 

अधिकारी ने कहा कि कपड़ों, फर्नीचर और टायरों के जले हुए टुकड़े भी साफ कर दिए गए। इसके अलावा मोलोटोव कॉकटेल (पेट्रोल बम) के अवशेष और टूटी खिड़कियों से कांच के टुकड़े जो सड़कों बिखरे थे, सबको हटा दिया गया है। 

ईडीएमसी शाहदरा (उत्तर) जोन के डिप्टी कमिश्नर रेन कुमार ने कहा कि अभी कारों और मोटरबाइकों को हटाया जाना बाकी है क्योंकि पुलिस सबूतों के लिए उनकी विडियोग्राफ करेगी। हो सकता है कि वाहनों के मालिक बीमा क्लेम करने के लिए अपने वाहनों की पहचान करना चाहते हों। जल जाने के बाद वाहनों को पहचानना मुश्किल है। उन्हें पहचानने का एकमात्र तरीका चेसिस प्लेट है, जब तक वह पिघल न जाए। इसलिए उन्हें उनके मूल स्थान पर रखना महत्वपूर्ण है।

अधिकारियों ने बताया कि दंगा प्रभावित इलाकों में सफाई का यह कार्य शाहदरा और पूर्वोत्तर दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेटों (डीएम) संजीव कुमार और शशि कौशल द्वारा गुरुवार को ईडीएमसी के समक्ष किए गए अनुरोध के बाद किया गया।

पूर्वोत्तर दिल्ली के कुछ हिस्से जो सांप्रदायिक दंगों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, वह पूर्वी नगर निगम शाहदरा (उत्तर) क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। ईडीएमसी के वरिष्ठ इंजीनियर और प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा कि हमारे कुल 34 नगरपालिका वार्डों में से कम से कम 15 जैसे कि मुस्तफाबाद, सीलमपुर, ब्रह्मपुरी, मौजपुर और करावल नगर बुरी तरह से प्रभावित हैं।

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