हेल्दी और न्यूट्रिशन से भरपूर दालें

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अरे बाबू ये काली दाल-पीली दाल है क्या? जिस दाल में हल्दी डाल देंगे वो पीली हो जाएगी… फिर अरहर की दाल हो, चने की या छिलका रहित मूंग या उड़द की धुली दाल। …और काली दाल से क्या मतलब है आपका? काली उड़द की दाल, साबुत उड़द, मसूर की छिलका दाल या साबुत मसूर? आप तो बोल कर निकल लिए, अब समझने वाला समझता रहे…।

मजाक नहीं शर्म की बात है डियर
एक तो हमें अपने पारंपरिक खाने का नाम नहीं पता, उस पर जब हमसे कोई नाम बताने को कहता है तो हम पूरे ऐटिट्यूट के साथ कहते हैं, यार मुझे दालों के नाम नहीं पता… और फिर हंस देते हैं। एक बार सोचकर जरूर देखना कि जब हम खुद नहीं सीखेंगे इन चीजों को तो आनेवाली पीढ़ी को कैसे सिखाएंगे? दादी-बाबा और मम्मी-पापा हमेशा तो हमारे साथ नहीं रहनेवाले हैं ना!

हमने सब भुला दिया
वैसे तो हमारी जनरेशन बहुत लकी है। क्योंकि हमें पुराने खयालों के दादी-बाबा और मॉर्डन खयालों के पैरंट्स की छाया मिली है। लेकिन हम जितने लकी है, उतना अपनी खुशकिस्मती का फायदा नहीं उठा पाए। क्योंकि हमने कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप की दुनिया की शुरुआते से लेकर पीक टाइम देखा है और हम इस कदर इन सबके आदी हो गए कि पीढ़ियों से सहेजे गए ज्ञान को भूल गए। बहुत हुआ बचपना। हमें हॉलिवुड ऐक्टर्स के नाम पता हैं। पूरा का पूरा चाइनीज मेन्यू और फास्ट फूड हमारी टिप्स पर है। लेकिन हेल्दी और न्यूट्रिशन से भरपूर दालों का नाम हम नहीं जानते… अरे छोड़िए अब। चलिए अपनी भूल सुधारते हैं और दालों के नाम जानते हैं…

अरहर की दाल
अरहर की दाल को देश के कुछ हिस्सों में तुअर की दाल के नाम से भी जाना जाता है। यह दाल देश के हिंदी बेल्ट में खाई जानेवाली दालों में नंबर एक पर रहती है। क्योंकि इस दाल को हर दिल अजीज माना जाता है। यह दाल तासीर यानी प्राकृतिक रूप से ठंडक देनेवाली होती है। इसे अंग्रेजी में split Pigeon pea नाम से जाना जाता है।

मसूर की दाल
साबुत मसूर को पीसकर मसूर की दाल बनाई जाती है। यह दो तरह की होती है। एक छिलके सहित और दूसरी बिना छिलके की। बिना छिलके की मसूर की दाल गुलाबी रंग की होती है। इसे मसूर की धुली दाल भी कहते हैं। मसूर की दाल प्राकृतिक रूप से बहुत गर्म होती है। जबकि साबुत मसूर ठंडी होती है। अंग्रेजी में इसे Red Lentil नाम से जानते हैं।

मूंग की दाल
मूंग की दाल साबुत मूंग को पीसकर बनाई जाती है। यह भी दो तरह की होती है। एक छिलके सहित और दूसरी बिना छिलके के। बिना छिलके की दाल हल्के पीले रंग की होती है और इसे मूंग की धुली दाल कहा जाता है। यह दाल प्रकृति में ठंडी होती है। जबकि साबुत मूंग की प्रकृति गर्म होती है। मूंग की दाल को अंग्रेजी में Green Gram कहते हैं।

उड़द की दाल
साबुत उड़द को पीसकर बनाई गई दाल को उड़द की दाल कहते हैं। यह भी दो तरह की होती है। छिलके सहित और बिना छिलके की। बिना छिलके की दाल उड़द की धुली दाल भी कहलाती है। इसका उपयोग पापड़, बड़ियां, फ्राइज और की पकवान बनाने में होता है। उड़द को इंग्लिश में Black Gram Whole कहते हैं जबकि इसकी दाल को Black Lentil कहते हैं।

चने की दाल
चने की दाल काले चनों को पीसकर बनाई जाती है। इन चनों को देसी चना भी कहते हैं। अगर अब भी नहीं समझे तो याद कीजिए जब आप किसी के घर माता के जगराते में गए थे तो आपको सूजी के हलवे के साथ जो चने मिले थे ना, वे ही देसी चने कहलाते हैं। चने की दाल महादिल कहलाती है। इसे किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। बस रात को खाने से बचें। देसी चने को अंग्रेजी में Bengal Gram कहते हैं जबकि चने की दाल को Yellow lentil और Bengal gram split कहा जाता है।

काबुली चना
छोले-पूड़ी के साथ आप जो चना खाते हैं, वो काबुली चना होता है। जो किसी जमाने में काबुल से आया हुआ माना जाता है। इसीलिए उसका नाम काबुली चना है। इसे बादी प्रकृति का माना जाता है। यानी जिन लोगों को गैस की समस्या अधिक रहती है, उन्हें इसका सेवन कम करना चाहिए। यह बहुत ताकत देनेवाला माना जाता है। इसे इंग्लिश में Chickpeas कहा जाता है।

राजमा
राजमा अपनी शेप के कारण Kidney Beans के रूप में भी जाना जाता है। राजमा का नाम सुनते ही राजमा-राइज याद आ जाते हैं ना? और मुंह में पानी आ जाता है। खैर, राजमा तासीर में ठंडा होता है। सर्दियों में इसे दिन के वक्त या कहिए जिस दिन धूप हो उस दिन खाना चाहिए। आमतौर पर इसे गर्मियों में अधिक खाया जाता है।

छोले
छोले मटर को सुखाकर बनाए जाते हैं। ये देसी छोले भी कहलाते हैं। याद कीजिए कुलचे के साथ खाए जानेवाले छोले का टेस्ट… जी, वही छोले-कुल्चे वाले छोले हरी मटर को सुखाकर और छीलकर तैयार किए जाते हैं। ताकि इन्हें स्टोर किया जा सके। ये प्रोटीन और विटमिन्स से भरपूर होते हैं। मटर की फसल सिर्फ सर्दियों में होती है। इन्हें Dry peas के नाम से भी जाना जाता है।

लोबिया
लोबिया महादिल होता है। यानी ऐसा खाद्य पदार्थ जिसे सर्दी और गर्मी में समान रूप से खाया जा सकता है। और यह मौसम के हिसाब से आपके शरीर को लाभ पहुंचाता है। वैसे तो यह सुपाच्य होता है यानी पचाने में आसान। लेकिन अगर पेट दर्द या लूज मोशन की शिकायत हो तो इसे नहीं खाना चाहिए। लोबिया को Black eyed peas और Cow pea भी कहा जाता है।

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