कोयला चोरो का प्यादा पुलिस के सिकंजे में

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प्यादे की बैशाखियों से कोयला तस्कर तक पहुंचने की कवायद
कोयला तस्कर कोटवानी का प्यादा नामदेव हुआ गिरफ्तार
प्यादे के बयानों पर पुलिस बढ़ा सकती है आरोपियों की सूची
मामला 19 जनवरी को पकड़े गये अवैध कोयले से लदे ट्रेलर का

ठीक एक माह बाद सोहागपुर पुलिस को कोयला तस्कर गिरोह के सदस्य को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। मंगलवार को पुलिस ने छ.ग. के कोयला तस्कर राजेश कोटवानी के गुर्गे चंद्रशेखर नामदेव को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद चंद्रशेखर ने पुलिस के सामने अन्य कई अनसुलझी तारों को भी सुलझाने में मदद की है। वहीं अभी इस मामले में मुख्य आरोपी राजेश कोटवानी सहित अजय मिश्रा व संतोष साहू को पुलिस तलाश रही है।


शहडोल। प्रदेश सरकार की माफिया के खिलाफ छेड़ी गई जंग में कुछ अधिकारी खुलकर माफिया राज को खत्म करने में लगे हैं, वहीं इसी महकमे के कुछ अधिकारी माफिया से मित्रता कर मामलों को खत्म करने की वजाय उन्हें प्रश्रय भी दे रहे हैं। आज से ठीक एक माह पहले 19 जनवरी की सुबह सोहागपुर पुलिस ने मुख्यालय में अवैध कोयले से लदे छत्तीसगढ़ के ट्रेलर को जप्त किया था। इस मामले में सोहागपुर पुलिस ने एक माह भीतर तस्करों के खिलाफ अपराध कायम कर मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ तक कई बार छापामार कार्यवाही की। पूर्व में पकड़े गये ट्रेलर क्रमांक सीजी 10 एम 5312 के चालक व परिचालक को गिरफ्तार कर जेल भेज था, वहीं इस मामले में पुलिस लगातार राजेश कोटवानी, अजय मिश्रा, चंद्रशेखर नामदेव व संतोष साहू की तलाश कर रही थी। मंगलवार को सोहागपुर पुलिस ने इस मामले में आरोपी रहे चंद्रशेखर नामदेव को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद उसे माननीय न्यायालय में पेश किया जाना था। इधर पुलिस बाकी तीन आरोपियों की तलाश में लगी हुई है।


बढ़ सकती है आरोपियों की सूची


मंगलवार को सोहागपुर पुलिस ने चंद्रशेखर नामदेव को गिरफ्तार करने के बाद उससे सघन पूंंछतांछ की। पुलिस सूत्रों की मानें तो चंद्रशेखर ने अपने बयान में इस कारोबार से जुडऩे और बीते कई माहों से चल रहे इस गोरखधंधे के कई राज उगले हैं। यह बात भी सामने आई कि अनूपपुर के अजय मिश्रा और किशोर सोनी के द्वारा उसे इस कारोबार के दिशा निर्देश दिये जाते थे। किशोर सोनी के अलावा कुछ और नाम भी चंद्रशेखर नामदेव के बयान में सामने आये हैं। चंद्रशेखर के बयानों के आधार पर पुलिस उस दिशा में भी जांच कर आरोपियों की सूची बढ़ा सकती है।


यह कह रहा आरोपी


सोहागपुर पुलिस द्वारा चंद्रशेखर नामदेव को गिरफ्तार करने के बाद उससे की गई पूंछतांछ में इस काले कारोबार से जुड़े कई और लोगों के नाम भी सामने आये हैं। चंद्रशेखर नामदेव ने बताया कि वह मूलत: चचाई थाना अंतर्गत अमलाई मोहाड़ा क्षेत्र का रहने वाला है। कई माह पहले अजय मिश्रा और किशोर सोनी ने सम्पर्क कर इस कारोबार से जोड़ा था। राजेश कोटवानी का डीओ सोहागपुर एरिया के रोड सेल वाली खुली खदानों में लगता था, जिसके कार्य का जिम्मा उसे दिया गया था। पकड़ा गया कोयला वैध है अवैध इसकी जानकारी उसे बिलकुल नहीं थी। ट्रेलर पकड़े जाने के बाद अजय मिश्रा और किशोर सोनी के कहने पर ट्रक मालिक की ओर से बिलासपुर में बनवाई गई पावर ऑफ एटार्नी को लेकर खुद के हस्ताक्षर करने के बाद थाने आये थे। बाद में जानकारी हुई कि कोयला चोरी का था जिस कारण मुझे भी आरोपी बना गया।


यह हुआ अब तक


सोहागपुर पुलिस ने 19 जनवरी को अवैध कोयले से लदा ट्रेलर पकडऩे के बाद इस मामले में छग के कोयला कारोबारी राजेश कोटवानी के खिलाफ सोहागपुर पुलिस ने भादवि की धारा 379 के तहत अपराध कायम करने के साथ ही अवैध खनिज होने के कारण इस मामले को अग्रिम कार्यवाही हेतु खनिज विभाग को भी भेज दिया था। जिसके बाद जब इस मामले में विवेचना के तार आगे बढ़ाते हुये पुलिस ने एसईसीएल के सोहागपुर एरिया से लेकर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और रतनपुर रोड पर स्थित कोल डिपो के अलावा अंतर्राज्यीय नाको को खंगालने के बाद बीते दिनों कथित कारोबारी और उसकी पूरी टोली के ऊपर सोहागपुर पुलिस ने भादवि की धारा 420 तथा 120 बी की धाराओं को भी बढ़ाया था। बीते एक माह से पुलिस लगातार आरोपियों की तलाश और मामले की विवेचना में जुटी थी।


इस तरह खुले तार


राजेश कोटवानी व अन्य के कथित कारनामें के बाद सोहागपुर पुलिस ने इस मामले में जांच को आगे बढ़ाते हुए ट्रेलर में जब्त हुए कोयले की ग्रेड की जांच के लिए नमूने सोहागपुर एरिया भेजे, जहां से कोयले की ग्रेड शारदा व बटुरा क्षेत्र की होना पाया गया। पुलिस अधीक्षक अनिल सिंह कुशवाह के निर्देशन में सोहागपुर थाना में पदस्थ रामराज पाण्डेय एवं चतुर्वेदी नामक एएसआई ने कथित व्यापारी द्वारा वाहन की जमानत के लिए न्यायालय में लगाये गये दस्तावेजों को लेकर जांच शुरू की, सप्ताह भर पहले दोनों पुलिस अधिकारी बिलासपुर भी गये, जहां राकेश कोटवानी द्वारा जगदम्बा कोल ट्रेडर्स बिलासपुर के द्वारा लगाया गया बिल, जिसमें कुल वजन लगभग 40 टन और कोयले का वजन 27.870 होना पाया गया था, लेकिन जांच के दौरान इस बात की पुष्टि हुई कि कोयला बिलासपुर के कथित डिपो से लोड नहीं हुआ था।

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