जग्गी वासुदेव फ्रॉड है, जो कहता है मिस्ड कॉल करो, तुम्हारी नदी जिंदा कर दूंगा : जलपुरुष राजेंद्र सिंह

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भोपाल
मिंटो हाल में आयोजित राष्ट्रीय जल सम्मेलन में सम्मेलन में आए वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने मीडिया से चर्चा में अध्यात्मिक गुरु जग्गी बाबा को फ्राड बताते हुए कहा कि नदी जोड़ो अभियान के नाम पर उन्होंने फ्राड किया है। उन्होंने कांग्रेस सरकार से मांग की है कि भाजपा सरकार के समय में दिए गए फंड की जांच करे और कार्रवाई करे। शिवराज सरकार में जग्गी बाबा ने मध्यप्रदेश में चलाया था नदी जोड़ो अभियान।

सीएम हाउस में भी किया था प्रोग्राम,कई बड़े लोग इसमें शामिल हुए थे। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने नदी न्याय के अध्यक्ष कम्प्यूटर बाबा पर भी प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि नदियों की हालत कम्प्यूटर से नहीं सुधरने वाली इसके लिए जमीन पर उतरना पड़ता है।  इसके पहले अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि  इस प्रदेश में अगर पानी का अधिकार दिया जा सकता है तो सभी राज्यों को मौका दिया जा सकता है।

जल अधिकार से सबको पीने और जीने के लिए आवश्यक पानी मिल सकेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश से अन्य राज्यों को सीख लेने का आग्रह किया। उन्होंने देश में जल कानून बनाने की मांग की है। इसके लिए पंचायत, ग्राम सभओं को जुड़कर काम करने की जरुरत बताई।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल में राष्ट्रीय जल सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद एक रोचक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा- मेरा राजनीतिक जीवन भी पानी से जुड़ा है। पानी न होने से बेटे की शादी नहीं होती थी। 1979 में राजनीति में आया तो उसकी वजह पानी ही थी। रात के 10 बजे सौंसर से पांढुर्ना जा रहा था। उस वक्त मैंने चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोचा था। रास्ते में लोग खाली पीपा और खाली बर्तन लेकर खड़े थे। वह सड़क पर रुके थे, उनका गांव सड़क से अंदर आधा किलोमीटर था। लोगों ने बताया कि हमारे गांव में बेटे की शादी नहीं हो सकती है, क्योंकि पेयजल 12 किलोमीटर दूर है, इसलिए कोई अपनी लड़की देने के लिए तैयार नहीं है। मैंने सोचा मैं इस पर क्या करूं, सिफारिश करूं या खुद इनके लिए आगे आऊं। मैंने तय किया कि राजनीति में जाऊंगा और चुनाव लडूंगा।

कमलनाथ ने कहा- कानून तो बन जाएगा। कैसा कानून बनाएं- ये विचार आपको करना होगा। 65 बांध सूखने की कगार पर हैं। नदियां भी सूख रही हैं। नई टेक्नोलॉजी से पानी पर लाने विचार करना होगा। जो 20 साल पहले संभव नहीं था वो आज संभव है। अगर हमने अब भी जल संरक्षण पर विचार नहीं किया तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी भी माफ नहीं करेंगी। उन्होंने राजेन्द्र सिंह से मुखातिब होते हुए कहा- सामाजिक कर्तव्य के प्रति आप हमारी भावनाओं से जुड़ें। आप तो देशभर में चक्कर काटते हैं, लेकिन अब देश के कम, मध्यप्रदेश के ज्यादा चक्कर लगाइए, ताकि हम कह सकें कि मप्र में पानी की कोई कमी नहीं है।

मिंटो हॉल में राइट टू वॉटर कान्फ्रेंस में देशभर के करीब 25 राज्यों के जल विशेषज्ञ और पर्यावरणविद शामिल हो रहे हैं। इसमें पानी बचाने और सहेजने को लेकर मंथन हो रहा है। राष्ट्रीय जल सम्मेलन में विशेषज्ञों के विचार के बाद अगले तीन महीनों में एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। उसमें पानी पर हर व्यक्ति का अधिकार तय किया जाएगा। हर व्यक्ति को 55 लीटर प्रतिदिन पानी और एक करोड़ लोगों के घर तक नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। 5 हजार करोड़ के कामों के टेंडर इसी महीने जारी होंगे। जिसमें 45-45 प्रतिशत राशि केंद्र औऱ राज्य सरकार वहन करेंगे। बाकी की राशि जनसहयोग से जुटाई जाएगी।

पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय, तेलंगाना से वी. प्रकाश राव, मदुरै के डी गुरुस्वामी, जल गुरू महेंद्र मोदी, डॉ. इंदिरा खुराना, बंगाल से स्नेहिल डोंडे, डॉ. कृष्णपाल, पुणे से सुमंत पांडेय, अंतरराष्ट्रीय जल कानून विशेषज्ञ डॉ. अनुपम सर्राफ, कर्नाटक के पूर्व मंत्री वीआर पाटिल, अग्रणी नदी बेसिन के नरेंद्र चुघ, हरियाणा से इब्राहिम खान, जगदीश चौधरी, दिल्ली से रमेश शर्मा, प्रतिभा सिद्धे, उत्तराखंड के पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय, केरल के बेनूगोपाल, त्रिपुरा से विभूति राय।

 

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