शाहीन बाग पर आकर अटक गया दिल्ली विधानसभा चुनाव

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नई दिल्ली
इस विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुस्लिम वोटर्स का इस बार क्या रुझान दिखाएंगे। असल में दिल्ली का यह चुनाव शाहीन बाग पर आकर अटक गया है, इसलिए वह मुस्लिम वोटर पर भी फोकस हो गया है। बीजेपी मान चुकी है कि यह वोट उसकी ओर नहीं आने वाला। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या मुस्लिम वोटर आम आदमी पार्टी की तरफ वापस लौटेगा या लोकसभा चुनाव की तरह कांग्रेस के पास ही रहेगा। कुछ सीटों पर मुस्लिम वोट खासा प्रभावी है। संभावना बन रही है कि अगर यह वोटर कांग्रेस के पास चला गया तो विधानसभा के परिणाम चौंकाने वाले होंगे। वैसे राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि इस बार मुस्लिम वोट आप की ओर जा सकता है।

नौ विधानसभा में मुस्लिम वोटर 20% से अधिक
दिल्ली में मुस्लिम आबादी मोटे तौर 16 से 18 प्रतिशत मानी जाती है लेकिन मुस्लिम वोटरों का मत प्रतिशत कुल वोटरों का 12 फीसदी है। वैसे दिल्ली की नौ विधानसभ सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोट 20 प्रतिशत से अधिक हैं। इनमें चांदनी चौक में 20, मटिया महल 48, बल्लीमारान 38, सीलमपुर 50, ओखला 43, किराड़ी 30, सीमापुरी 25, बाबरपुर 35 व मुस्तफाबाद में मुस्लिम वोटरों की संख्या 36 प्रतिशत है। इन्हीं वोटरों के चलते ओखला, सीलमपुर, मटिया महल, बल्लीमारान में मुस्लिम प्रत्याशी ही जीतते आए हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हों। लेकिन अब समीकरण बदलने लगे हैं। उसका कारण यह है कि मुस्लिम वोटर कभी किसी पार्टी या प्रत्याशी को एकमुश्त वोट देते हैं या वह किन्हीं कारणों से बंट भी जाते हैं।

मुस्लिम वोटरों पर बीजेपी का रुख ठंडा
शाहीन बाग के प्रचार में आने के चलते इस बार दिल्ली का चुनाव पूरे तौर पर अलग नजर आ रहा है। पहले दिल्ली के विकास व कामकाजी मसलों पर बातें होती थीं। लेकिन इस बार चुनाव में वोटरों का ध्रुवीकरण हो गया है और माना जा रहा है कि मुस्लिम वोटर ‘मन और ऊपरवाले की बात’ को मानते हुए इस बार एकजुट होकर किसी भी पार्टी या प्रत्याशी का वोट डालेगा। वैसे बीजेपी ने इस बार मुस्लिम वोटरों को लेकर बेहद ठंडा रुख अपना लिया है, जो पहले कभी देखने को नहीं मिला। उसके कुछ प्रत्याशी तो मुस्लिम इलाकों में प्रचार के लिए नहीं गए, अगर गए भी तो उन्होंने वहां प्रचार की खानापूरी की। इस चुनाव में 70 सीटों में से एक पर भी मुस्लिम उम्मीदवार को न उतारकर बीजेपी ने साफ कर दिया है कि उसकी सोच क्या है। वरना पिछले विधानसभा चुनाव में उसने मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया था।

आप की ओर लौटेगा या कांग्रेस में रहेगा?
दिल्ली में आप के उदय से पहले अधिकतर मुस्लिम वोटर कांग्रेस को ही वोट करते थे। साल 2013 के चुनाव भी मुस्लिम वोटरों का रुझान कांग्रेस में रहा लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में वह आप की ओर मुड़ गया। वैसे यह ऐसा चुनाव था, जिसमें पूरी दिल्ली ने ही आप को वोट दिया। पिछले साल लोकसभा के चुनाव में मुस्लिम वोटर एक बार फिर से कांग्रेस की ओर लौट गया। इसके चलते ही लोकसभा की सात लोकसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर आई और आप ओवरऑल तीसरे नंबर पर खिसक आई। इस चुनाव में कांग्रेस जिन दो लोकसभा सीटों पर दो नंबर पर रही, वह साउथ दिल्ली व नॉर्थ वेस्ट सीट है। इन सीटों पर मुस्लिम आबादी अन्य सीटों की अपेक्षा कम है।

माना गया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मुस्लिमों का नौ प्रतिशत वोट पड़ा। इस चुनाव में आप व कांग्रेस ने पांच-पांच मुस्लिम वोटर उतारे हैं। वैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में इस बार आप व कांग्रेस दोनों का दबदबा नजर आ रहा है। लेकिन अगर इस चुनाव में मुस्लिम वोटर लोकसभा चुनाव की तरह कांग्रेस को पड़ गए तो नतीजे बेहद चौंकाने वाले हो सकते हैं। वैसे इस चुनाव में मुस्लिम वोटरों का रूझान आप की ओर दिख रहा है।

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