PMJAY का बजट आधा करने के बाद भी नहीं हो पाया खर्च, जानें यूपी, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड का हाल

0

नई दिल्ली
दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना के तौर पर पेश की गई प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) में आवंटित पैसा खर्च ही नहीं हो पा रहा है। इसे देखते हुए संशोधित बजट में इस योजना का आवंटन आधा कर दिया गया था, लेकिन अब बची आधी राशि भी खर्च होना मुश्किल दिख रहा है। पीएमजेएवाई के लिए वर्ष 2019-20 में 6400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

इसे संशोधित बजट में घटाकर 3200 करोड़ रुपये कर दिया गया। इसमें भी 10 महीनों में यानी 31 जनवरी 2020 तक सिर्फ 1698.71 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। यानी 1500 करोड़ रुपये दो महीने में खर्च करने होंगे। खास बात ये है कि इतना फंड होने के बावजूद राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस वित्त वर्ष में बिहार और झारखंड समेत 9 राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश को एक भी रुपया इस योजना के तहत जारी नहीं किया है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बजट बचने की वजह उम्मीद से कम मरीज मिलना है। अधिकारी ने कहा कि चार राज्य योजना में शामिल नहीं हुए हैं। इससे कुल परिवारों की संख्या घटकर 8.74 करोड़ रह गई है। एसईसीसी डाटाबेस की खराब हालत से इसमें से भी 30 % लोगों का कोई पता नहीं चला है। ऐसे कुल संख्या सिमटकर 6.01 करोड़ रह गई है। जनसंख्या के मामले में सबसे बड़े राज्य यूपी और बिहार में योजना की रफ्तार बेहद धीमी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ इंदुभूषण कहते हैं, ' हमने फंड जारी करने में नियमों को सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया है। बिना प्रमाण पत्र मिले हम पैसे जारी नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा राज्यों की ओर से अंशदान देने के बाद भी हम फंड दे रहे हैं। इस वजह से फंड जारी होने में थोड़ा विलंब हो रहा है।'

बिहार में योजना के तहत कम गोल्डन कार्ड जारी होने और कम अस्पतालों के सूचीबद्ध होने के कारण अधिक लाभार्थियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजना के तहत बिहार में कुल 1.08 करोड़ लाभार्थी परिवार हैं जबकि मात्र 21 लाख परिवारों को ही गोल्डन कार्ड जारी किया गया है।

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पूरे देश में अब तक 171 अस्पतालों को गड़बड़ियों के कारण योजना से बाहर किया है। इनमें से 21 अस्पताल झारखंड के हैं। आयुष्मान भारत के वर्जन 2.0 को शुरू हुए 3 माह से अधिक हो चुका है। पर वर्जन 2.0 का सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं किया गया है।
 
आयुष्मान भारत योजना की उत्तर प्रदेश में स्थिति कुछ ज्यादा बेहतर नहीं है। प्रदेश में एक करोड़ 18 लाख लाभार्थी चिन्हित किए गए थे। स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद केवल 80 लाख लाभार्थी ढूंढे मिले हैं। स्वास्थ विभाग बचे 38 लाख लोगों को अंत्योदय कार्डधारक वालों को लाभ देने की योजना बना रहा है।

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में अच्छे अस्पताल न होने से पहाड़ के लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। योजना के तहत कुल 184 अस्पताल जुड़े हुए हैं, उनमें से ज्यादातर मैदानी इलाकों में हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *