स्ट्रेस का बालों के रंग पर दिखता है असर

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उम्र और समय से पहले बालों के सफेद होने के पीछे तनाव ही सबसे बड़ी वजह है। ब्राजील की साओ पाउलो और अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हाल की रिसर्च में यह दावा किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि शरीर में मौजूद स्टेम सेल (कोशिकाएं) ही स्किन और बालों के रंग के लिए जिम्मेदार होती हैं। स्ट्रेस यानी तनाव की स्थिति में ये खास तरह के दर्द से जूझती हैं और इसका असर बालों के रंग पर दिखता है।

​30 की उम्र के बाद आने लगती है सफेदी
शोधकर्ताओं ने इसके लिए चूहों पर रिसर्च की। इसमें सामने आया कि कुछ हफ्तों तक तनाव झेलने के बाद काले बालों वाले चूहे का रंग सफेद हो गया। शोधकर्ता अब ऐसी दवा तैयार कर रहे हैं जो बढ़ती उम्र के बाद भी बालों को सफेद होने से रोक सके। उनका कहना है कि 30 की उम्र के बाद महिला और पुरुष दोनों के बालों में सफेदी आनी शुरू हो जाती है। इनमें से कुछ मामलों की वजह जेनेटिक होती है लेकिन कुछ स्थितियों में स्ट्रेस, तनाव और चिंता भी जिम्मेदार होते हैं।

​वजह भी बतायी
तनाव के कारण केवल सिर के बालों का रंग ही क्यों बदलता है, वैज्ञानिक इसकी वजह नहीं जान सके हैं। नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, मिलेनोसायट स्टेम कोशिकाएं मिलेनिन का निर्माण करती है। मिलेनिन ही तय करता है कि स्किन और बालों का रंग कैसा होगा। शोध के मुताबिक, तनाव की स्थिति में चूहे में एड्रिनेलिन और कॉर्टिसोल हॉर्मोन रिलीज हुआ। हृदय की धड़कन तेज हुईं और ब्लड प्रेशर बढ़ा। इससे सीधे तौर पर नर्वस सिस्टम प्रभावित हुआ।

​खास प्रोटीन रोकने की तैयारी
वैज्ञानिकों ने जब सामान्य और प्रयोग में शामिल चूहे के जीन का विश्लेषण किया तो पाया कि एक खास तरह का प्रोटीन (सायक्लिन डिपेंडेंट काइनेज) बालों का रंग बदलने के लिए जिम्मेदार होता है। शोधकर्ताओं ने इसे रोकने के लिए एक प्रयोग किया। प्रयोग के दौरान ही चूहों के बीपी को सामान्य करने के लिए ऐंटी-हाइपरटेंसिव ड्रग दिया। ड्रग के असर के कारण प्रोटीन का स्तर घटा और स्टेम कोशिकाओं पर असर कम हुआ। इसी प्रोटीन को कम करने के लिए वैज्ञानिक नई दवा पर भी काम कर रहे हैं।

​स्टेम कोशिकाएं होने लगती हैं खत्म
इस स्टडी में शामिल अनुसंधानकर्ता प्रफेसर सू कहते हैं, 'लगातार तनाव होने पर बालों में मिलेनिन का निर्माण करने वाली स्टेम कोशिकाएं खत्म होना शुरू हो जाती हैं। तनाव पूरे शरीर पर बुरा असर डालता है। हम लोगों ने जितने बुरे असर की कल्पना की थी यह परिणाम उससे भी ज्यादा खराब थे। कुछ समय के बाद बालों का रंग तय करने वाली कोशिकाएं स्थायी तौर पर हमेशा के लिए खत्म हो चुकी थीं।' लिहाजा यह बात पूरी तरह से साफ है कि तनाव की वजह से सिर्फ शारीरिक दिक्कतें, हार्ट प्रॉब्लम, हाई बीपी और कई दूसरी तरह की बीमारियां ही नहीं होतीं बल्कि आपके बाल भी समय से पहले सफेद होने लगते हैं।

स्ट्रेस को कंट्रोल में रखें
ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपको बालों पर केमिकल वाले हेयर कलर का इस्तेमाल न करना पड़े, आपके बाल नैचरली ब्लैक बने रहें और बालों की खूबसूरती भी बनी रहे तो इसके लिए जरूरी है कि आप अपने स्ट्रेस लेवल को कंट्रोल में रखें और जहां तक संभव हो तनाव से बचें।

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