ऐसा करने वाला बना दूसरा राज्य, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित

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 नई दिल्ली 
पंजाब में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। संसदीय कार्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया गया।  उन्होंने प्रस्ताव को पढ़ते हुए मांग की इसमें मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए जिन्हें संशोधित कानून के तहत नागरिकता दी जा सकती है। बता दें कि सीएए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्य के लिए नागरिकता प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ गए थे, लेकिन मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के लिए नहीं।

गौरतलब है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही यह कह चुके थे कि उनकी सरकार राज्य में संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं होने देगी। कांग्रेस इसके खिलाफ ऐड़ी चोटी का जोर लगा देगी। जिसके बाद अब राज्य विधानसभा में उनकी सरकार ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित कर दिया है। इससे पहले केरल सरकार भी संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुका है। 
 
केरल विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को रद्द करने की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया। सत्तारूढ़ सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने विधानसभा में सीएए के विरोध में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया। केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने पहले ही घोषणा की थी कि उनकी सरकार संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे। विधानसभा में मंगलवार को प्रस्ताव पेश करके इसे एक के मुकाबले 138 मतों से पास करवाकर उन्होंने अब केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।

139 सदस्यों वाली विधानसभा में लेफ्ट फ्रंट के पास बहुमत है। इसके अलावा उसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ का भी साथ मिला है। प्रस्ताव के खिलाफ में बीजेपी के एकमात्र विधायक ओ राजगोपला ने वोट डाला था। उन्होंने विधानसभा में कहा कि देश की संसद से बनाए गए कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाना गैरकानूनी है और यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ भी है।

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