दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 12सीटें रखती अहमियत

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नई दिल्ली
दिल्ली की सत्ता में पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से राजनीतिक वनवास झेल रही बीजेपी के लिए इस बार के विधानसभा चुनाव बेहद अहम हैं। आम आदमी पार्टी (आप) को फिर से सरकार में आने से रोकने के लिए बीजेपी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। अगर दिल्ली में विधानसभा के चुनावी इतिहास को खंगालें तो पता चलता है कि बीजेपी के सत्ता तक पहुंचने का रास्ता उन 12 रिजर्व सीटों से होकर गुजरेगा जो दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में अपनी अलग अहमियत रखती है। दिल्ली में 1993 के विधानसभा चुनावों के बाद से लेकर आज तक बीजेपी सत्ता से दूर है। आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि 1998 के बाद से ही पहले कांग्रेस और उसके बाद आम आदमी पार्टी को सत्ता की चाबी का हकदार बनाने में इन रिजर्व सीटों के वोटरों ने बेहद अहम भूमिका निभाई है।

1993 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने दिल्ली की 70 में से 49 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस वक्त दिल्ली में अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए रिजर्व सीटों की कुल संख्या 9 थी और बीजेपी ने इनमें से 5 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन पिछले 15-20 सालों के दौरान रिजर्व सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनावों में इन सभी रिजर्व सीटों पर बीजेपी को भारी जीत मिली। जानकारों के मुताबिक, पिछले 6 महीने के दौरान दिल्ली सरकार की ज्यादातर घोषणाओं का सबसे ज्यादा लाभ इन्हीं रिजर्व सीटों पर रहने वाले लोगों को मिला है। अगर बीजेपी दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना है तो उसे हर हाल में इन 12 रिजर्व सीटों में से ज्यादा-से-ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश करनी होगी क्योंकि इन सभी रिजर्व सीटों पर कांग्रेस भी वापसी की कोशिशों में लगी हुई है।

आप के सामने 100% परफॉर्मेंस की चुनौती
आम आदमी पार्टी ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 12 में से 9 रिजर्व सीटों पर कब्जा किया और उसके बाद 2015 के चुनाव में सभी सीटों पर सफलता हासिल की। अगले महीने होने वाले चुनाव में पार्टी के सामने जीत के 100% रेकॉर्ड को बरकरार रखने की चुनौती है। आप ने दिल्ली चुनाव में शिक्षा सुधारों को बड़ा मुद्दा बनाया है। पार्टी का मानना है कि गरीब वर्ग, दलित समाज के बच्चों और युवाओं को आप सरकार की शिक्षा नीतियों का बहुत फायदा हुआ है। पार्टी नेताओं का कहना है कि दलित समाज के युवाओं के लिए स्किल डिवेलपमेंट की ट्रेनिंग की योजना शुरू की जाएगी ताकि जो युवा अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए, उनको इस ट्रेनिंग के बाद आसानी से रोजगार मिल सके। आप ने अभी उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि इन सीटों पर पार्टी जीते हुए विधायकों को ही एक बार फिर से मौका दे सकती है।

कांग्रेस का दावा
1993 में दिल्ली विधानसभा के गठन के बाद से दिल्ली के रिजर्व सीटों पर कांग्रेस का बोलबाला रहा है लेकिन 2015 के चुनाव में कांग्रेस का पूरी दिल्ली की तरह इन सभी सीटों पर भी सूपड़ा साफ हो गया। हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर से इन सीटों पर कब्जा करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि उनके पास अन्य दोनों पार्टियों की तुलना में बेहतर, योग्य और अनुभवी नेता हैं।पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनके पास रिजर्व सीट में भी जाटव समाज से हमारे पास कृष्णा तीरथ, खटीक समाज से उदित राज, बाल्मीकि समाज से जयकिशन जैसे नेता हैं। कांग्रेस का कहना है कि पार्टी रैगर समाज के नेताओं को भी प्राथमिकता देगी।

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