सिंधिया ने कहा- कुर्सी को ठुकराना आसान नहीं होता ,18 साल तक मैंने कोई पद नहीं मांगा

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भोपाल
 मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने और राज्यसभा भेजने की अटकलों के बीच एक बार फिर से बड़ा बयान दिया है। रविवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस सेवादल के प्रशिक्षण में पहुंचे थे इस दौरान सिंधिया ने कहा था कुर्सी का त्याग करना बहुत बड़ी बात होती है। कुर्सी को ठुकरना आसान नहीं होता है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि मैं किसी पद के लिए राजनीति नहीं करता हूं मेरे लिए राजनीति का मतलब जनता की सेवा करना है। राजनीति मेरे लिए जनसेवा का एक जरिया है।

18 सालों से नहीं मांगा पद
ज्योतिरादित्य सिंधिया का दर्द भी इस दौरान झलका। सिंधिया ने कहा- कुर्सी ठुकराना आसान नहीं होता है। सिंधिया ने कहा- हमारे हिन्दी शब्दकोष में एक शब्द होता है राजनीति। कुछ लोगों के लिए राजनीति लक्ष्य होता है और जिन लोगों का लक्ष्य राजनीति होता है वो जनसेवा को माध्यम बनाकर राजनीति की कुर्सी हासिल कर लेते हैं। लेकिन कुछ लोग के लिए राजनीति सिर्फ समाज सेवा का माध्यम होता है। जिनके लिए समाज सेवा लक्ष्य होता हो उनके लिए राजनीति एक माध्यम हो सकती है। सिंधिया ने कहा कि ऐसे लोगों कुर्सी को ठुकरा देते हैं। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि कुर्सी को ठुकरना आसान नहीं होता है और मैंने 18 सालों में पार्टी से कुछ नहीं मांगा तो अब क्या मांगूगा। जिन लोगों का लक्ष्य राजनीति है वो समाज सेवा के माध्यम से कुर्सी पाना चाहते हैं। सिंधिया ने कहा कि मेरे जीवन में कुर्सी कभी महत्वपूर्ण नहीं रही। मुझे उदाहरण देने की जरूरत नहीं है मेरी जिंदगी का जो इतिहास रहा है वो आप सब लोगों के सामने है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि एनआरसी और सीएए के माध्यम से आज लोगों की नागरिकता पर सवाल पर है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीएए के विरोध में आवाज उठाने वालों पर कठघरे में खड़ा करा हैं। मैं उनसे पूछता हूं कि क्या जनता से उसकी अभिव्यक्ति का अधिकार छीना जा रहा है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर उन्हें मेजोरिटी से बात तो करना था। सिंधिया ने कहा कि भाजपा जनता के मूल मुद्दों पर ध्यान न देकर नोटबंदी के बाद एक बार फिर गरीब पर प्रहार किया जा रहा है। कांग्रेस ने 70 सालों में अर्थव्यवस्था की जो बुलंद इमारत खड़ी की थी उसे खोखला कर दिया गया है।

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