रूस में ऐसे ट्रेनिंग लेंगे गगनयान के 4 यात्री

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 नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के मुताबिक इसरो 2022 की समयसीमा के अंदर भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन पर 'गगनयान' को भेजने की तैयारी में जोर-शोर से जुट गया है। इस अभियान का मकसद भारतीयों (गगनयात्रियों) को अंतरिक्ष यात्रा पर भेजकर उन्हें सुरक्षित वापस लाना है। इसरो चेयरमैन के. सिवन ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रा के कुल 12 में से पहले चार कैंडिडेट्स का चयन हो चुका है और वे रूस में इस महीने के आखिर में ट्रेनिंग शुरू करेंगे। इन कैंडिडेट्स की पहचान गुप्त रखी जा रही है। हां, इतना जरूर पता है कि ये सभी भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट्स हैं। आइए जानते हैं, क्या है गगनयात्रियों की ट्रेनिंग प्रोसेस…

गगनयात्रियों की पहली परीक्षा

अभियान के लिए चयनित चार लोगों का असली काम कुछ दिन बाद शुरू होगा। अंतरयात्रियों को गुरुत्वाकर्षण भार महसूस होता है। उन्हें पर पृथ्वी पर 1 किलो का गुरुत्वाकर्षण भार महसूस होता है जबकि उड़ान और दोबारा पृथ्वी पर वापसी के दौरान कई गुना ज्यादा ज्यादा। उन्हें भारहीनता के क्षेत्र में प्रवेश करने पर मोशन सिकनेस को बर्दाश्त करना पड़ता है। गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बदलने पर रक्त प्रवाह (ब्लड सर्कुलेशन) प्रभावित होता है। ऐसे में अगर ट्रेनिंग नहीं मिले तो इंसान बेहोश हो सकता है।

पानी की टंकियां, सिम्युलेटर्स, सेंट्रीफ्यूज मशीनें
बेहद कम गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी), अलगाव (आइसोलेशन) और स्थितिभ्रम (डिसऑरियंटेशन) को हैंडल करना अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग का अहम हिस्सा होता है। इसके लिए भारत में इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) और रूस के यूए गागरिन ऐंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कई सिम्युलेटर्स काम कर रहे हैं।

जी-फोर्स की तैयारी
गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में आने वाले बदलाव से पैदा हुई परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता निर्माण के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को सेंट्रीफ्यूजेज और सेंट्रीफ्यूजेज आधारित सिम्युलेटर्स में रखा जाएगा।

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