जनसुनवाई में, हरदा तहसीलदार और नगर पालिका पर लगे आरोप !

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हरदा
साल 2019 के आखिरी मंगलवार (31 दिसंबर) को हुई जनसुवाई में आये एक शिकायती आवेदन में नगरपालिका, तहसीलदार हरदा पर आरोप लगाए गए हैं। आवेदन में न्यायालय को झूठी जानकारी देने, अवमानना करने का जिक्र भी किया गया है।

आवेदन में लिखित बिंदुवार शिकायतें  जनसुनवाई में कलेक्टर को देकर कार्रवाई की मांग की गयी है। अब ये शिकायत और लगाए आरोप कितने सही हैं? इसकी प्रमाणिकता प्रशासनिक जांच में ही पता चल सकेगी।

क्या हैं शिकायत
शिकायतकर्ता रितेश पटेल पुत्र सरदार पटेल व  नागरिकगण (निवासी, गुर्जर छात्रावास के पास) ने जनसुनवाई में आवेदन देकर बताया कि हरदा में गुर्जर छात्रावास के पास मुख्य मार्ग पर कुछ लोगों ने लंबे समय से अतिक्रमण कर रखा है। पटेल के मुताबिक अतिक्रमणकर्ताओं में कुछ लोग नगरपालिका के कर्मचारी, राजस्व अधिकारी व उनसे संबंधित लोग हैं। प्रश्रय प्राप्त होने से इनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती।

आवेदन में पटेल ने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर ने 25 अप्रैल 2005 में अतिक्रमण 7 दिन में हटाने का आदेश दिया था। आदेश पर कार्रवाई न होने से व्यथित होकर स्व. रामकृष्ण पटेल ने हाइकोर्ट जबलपुर  में 14542/2006 याचिका लगाई थी। पटेल ने बताया कि तत्कालीन तहसीलदार ने अतिक्रमण हटाने की झूठी जानकारी देकर इस याचिका को निष्फल करवाया था। जबकि अतिक्रमण न केवल पूर्ववत है बल्कि अतिक्रमणकर्ताओं को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देकर पक्के आवास बनवाये गए। पटेल के अनुसार सभी अतिक्रमणकर्ता कुलहरदा खसरा नम्बर 8 जो रास्ते के रूप में दर्ज नजूल भूमि है, पर काबिज हैं।

पटेल ने बताया कि हाइकोर्ट याचिका क्रमांक 18156/2018 में नगरपालिका हरदा द्वारा दिया गया जवाब भ्रामक, तथ्यों को छुपाने वाला है। ये अवमानना भी है।  

शिकायतकर्ता पटेल ने कलेक्टर को आवेदन देकर  नगरपालिका द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत जवाब और वस्तुस्थिति बिंदुवार बताकर कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।

क्या कहते हैं अधिकारी –  
हरदाअपर कलेक्टर श्रीमती प्रियंका गोयल ने मोबाइल पर बताया कि जनसुनवाई में प्राप्त आवेदन को शिकायत से संबंधित विभाग को भेज दिया जाता है। आप संबंधित विभाग से जानकारी लीजिये।

मुख्य नगर पालिका अधिकारी हरदा ज्ञानेंद्र यादव से इस शिकायत के सम्बंध में चर्चा करने हेतु उनके मोबाइल (9425834065) पर सम्पर्क किया तो किन्हीं कारणों से कॉल रिसीव न हो सकी।

(मुकेश पाण्डेय, हरदा)

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