BJP ने नहीं छोड़ी सरकार बनाने की उम्मीद, कांग्रेस को भी सत्ता में आने की आस

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 नई दिल्ली                                             
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की कोशिशों के बीच भाजपा ने भी अपनी सरकार बनने की उम्मीदें कायम रखी हैं। शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने के बाद भाजपा ने अन्य विकल्प खुले रखे हैं। पार्टी के नेता नारायण राणे सरकार गठन के लिए बहुमत हासिल करने की मुहिम में जुट गए हैं। हालांकि, पार्टी ने साफ किया है कि वह राज्यपाल के पास तभी जाएगी, जब उसके पास 145 की संख्या होगी।

नारायण राणे ने नए सिरे से मुहिम शुरू की : सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कुछ समय पहले ही भाजपा में आए नारायण राणे ने पार्टी के लिए बहुमत जुटाने को नए सिरे से मुहिम शुरू की है। राणे भाजपा-शिवसेना की पहली सरकार में मुख्यमंत्री थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इस नाते उनके शिवसेना और कांग्रेस दोनों में कई नेताओं से अच्छे संबंध हैं।

विधायकों को टटोल सकते हैं : माना जा रहा है कि राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार बनाने के लिए हो रही कोशिशों के बीच राणे उन विधायकों को टटोल सकते हैं, जो स्थायी सरकार के लिए भाजपा के साथ आने के पक्ष में हैं।

सही मौके की तलाश

महाराष्ट्र में भाजपा की रणनीति इंतजार करो की है और वह फिलहाल सरकार बनाने को लेकर कोई पहल भी नहीं करेगी। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सरकार बनाने के लिए तैयार होती हैं तो ठीक है। हालांकि, भाजपा को नहीं लगता कि तीनों परस्पर विरोधी दल जल्द किसी समझौते पर पहुंच पाएंगे। अगर, सरकार बनने में देरी हुई और ऐसा लगा कि राज्य में फिर चुनाव हो सकते हैं तो इन दलों के कई विधायक भाजपा के करीब भी आ सकते हैं। भाजपा भी ऐसे मौके को हाथ से नहीं जाने देगी।

कांग्रेस को भी जल्द सरकार बनाने की आस

महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर जल्द सहमति बन सकती है। कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना के साथ चर्चा सही दिशा में आगे बढ़ रही है। विवादित मुद्दों पर शिवसेना जल्द अपना रुख साफ कर सकती है, ताकि स्थिर सरकार बन सके। महाराष्ट्र में संभावित सरकार के गठन के लिए कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खडगे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और बालासाहेब थोराट को एनसीपी के साथ समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी है। 

पार्टी के ये नेता एनसीपी और शिवसेना के साथ चर्चा कर रहे हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि तीनों दल आपस में बेहतर समन्वय बनाने में सफल रहते हैं तो यह गठबंधन लंबा चल सकता है। क्योंकि, महाराष्ट्र के जिन क्षेत्रों में शिवसेना मजबूत है, वहां कांग्रेस और एनसीपी के लिए बहुत ज्यादा संभावना नहीं है। इसका आगे चुनाव में फायदा मिल सकता है। शिवसेना मुंबई और मराठवाड़ा में मजबूत है।
 
विधानसभा अध्यक्ष पद अपने पास रखने की कोशिश 

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, संभावित सरकार में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के बराबर-बराबर मंत्री हो सकते हैं। तीनों दलों से 14-14 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसके साथ ही कांग्रेस की कोशिश है कि वह विधानसभा अध्यक्ष पद अपने पास रखे। उप मुख्यमंत्री की बजाए विधानसभा अध्यक्ष पद को कांग्रेस प्राथमिकता दे सकती है।

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