पराली जलाने का असर दिल्ली-एनसीआर की हवा पर पड़ रहा है, प्रदूषण खतरनाक लेवल पर

0

इस वक्त दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर है। प्रदूषण के इस हद तक बढ़ने का कारण पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाना है। धान की फसल कटाई और गेहूं की फसल बोने के बीच में किसानों के पास करीब 10 दिन का ही वक्त होता है। ऐसे में फसल की रोपाई के लिए खेतों में जमा पराली को हटाना अनिवार्य है। इस परिस्थिति में किसानों के पास सबसे सुविधाजनक तरीका पराली जलाना ही है। इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा के खेतों से उठनेवाला यह धुआं पड़ोसी दिल्ली की सेहत जरूर खराब कर रहा है।

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का असर दिल्ली पर भयानक तरीके से पड़ रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी का प्रदूषण स्तर 75 पॉइंट बढ़ गया जिसके कारण एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 484 तक पहुंच गया। दिल्ली और एनसीआर की हवा की गुणवत्ता इस कारण से बेहद खराब की श्रेणी में है और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने स्वास्थ्य आपातकाल (हेल्थ इमर्जेंसी) लगा दी।

दिवाली के बाद दिल्ली का प्रदूषण उच्चतम स्तर पर
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का प्रमुख कारण गाड़ियों से निकलनेवाला धुआं है। इसके बाद भी ठंड के मौसम में किसानों द्वारा पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर हर साल खतरनाक लेवल तक पहुंच जाता है। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस, एयर क्वॉलिटी मॉनिटर, सफर के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सप्ताह बुधवार को दिल्ली का प्रदूषण स्तर 35% बढ़कर रेकॉर स्तर तक पहुंच गया था। बुधवार को प्रदूषण के स्तर में हुई इस वृद्धि का प्रमुख कारण खेतों में पराली जलाना ही था।

दावों के बाद भी थम नहीं रही पराली जलाने की घटनाएं
23 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच लुधियाना के रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब के गांवों में पराली जलाने की 22,137 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसी समय अवधि में पिछले साल 17,646 केस दर्ज किए गए थे जिसमें 22% तक की वृद्धि दर्ज की गई है। पंजाब की 29 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में फसल से 22 मिलियन टन पराली इकट्ठा होता है। इतनी बड़ी संख्या में पराली जलाने का असर दिल्ली की हवा पर पड़ता है। हरियाणा में 13 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर अक्टूबर में 4,257 आग जलाने की घटना दर्ज की गई है।

सरकारी दावों के बाद भी किसान की पहुंच से मशीनें दूर
पंजाब और हरियाणा सरकार का दावा है कि किसानों को पराली जलाने के स्थान पर उन्हें दूसरे तरीके से नष्ट करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। पंजाब के कृषि सचिव के एस पन्नू का कहना है कि सरकार ने पिछले साल से अब तक 500 करोड़ रुपये पराली जलाने पर खर्च किए हैं। इसके तहत पिछले साल 28,000 मशीनों को लगाया गया था और इस साल यह आंकड़ा 17,000 का है। हालांकि, इन मशीनों की कीमत 55 हजार से बढ़कर 2.7 लाख तक पहुंच गई है, जो आम किसानों की पहुंच से दूर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *