कश्मीर में विरोध-प्रदर्शनों से सेब के निर्यात में कमी

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 श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के सेब किसानों ने इस साल 9 अक्टूबर तक 4.50 लाख टन सेब का निर्यात किया है। पिछले साल की इसी अवधि में 5.79 लाख टन सेब का निर्यात हुआ था। जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के बाद कम्युनिकेशन पर बैन और अन्य बंदिशों को लेकर विरोध- प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस कारण से सेब के निर्यात में इस वर्ष लगभग 1.35 लाख टन की कमी आई है।

प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच निर्यात बढ़ने की उम्मीद है, जिस दौरान सेब की 70 पर्सेंट फसल का हर साल निर्यात होता है। सरकार ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर के 99 पर्सेंट क्षेत्रों में आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं है और पोस्ट पेड मोबाइल सर्विसेज भी 71 दिनों बाद 14 अक्टूबर से दोबारा शुरू की जा रही हैं। अधिकारियों ने कहा कि इससे फसल की कटाई और निर्यात में मदद मिलेगी।
कश्मीर से हर साल लगभग 20 लाख टन सेब का निर्यात किया जाता है। बागवानी उद्योग 8,000-9,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इससे रोजगार के भी अच्छे मौके बनते हैं।

आतंकवादियों ने किसानों से सेब की फसल काटने से रोका है
उत्तर और दक्षिण कश्मीर में सेब उगाने वालों ने सरकार के 5 अगस्त के फैसले के विरोध में कटाई में देरी की है। दक्षिणी कश्मीर के कुछ इलाकों में आतंकवादियों ने किसानों से सेब की फसल नहीं काटने और उनके निर्देश का इंतजार करने को कहा है।

किसानों के लिए शुरू की MIS
विरोध-प्रदर्शन रोकने और किसानों से फसल काटने की गुहार करते हुए प्रशासन ने मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) शुरू की है। इसमें घाटी के चार स्टेशन से सीधे किसानों से सेब खरीदे जाएंगे। हालांकि, MIS का अब तक मामूली असर देखने को मिला है। किसान सरकार के ग्रेडिंग स्टैंडर्ड और घोषित कीमतों से नाखुश हैं। सरकार ने पिछले हफ्ते सेब की विभिन्न किस्मों की कीमतों में बदलाव करने का फैसला किया। इससे किसानों के लिए इस स्कीम का आकर्षण बढ़ेगा।

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